कवि नेमचंद गहलोत का एकल काव्यपाठ और सम्मान
बीकानेर 11 जनवरी। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान, बीकानेर की तरफ से कवि नेमचंद गहलोत का एकल काव्यपाठ एवं सम्मान समारोह प्रेरणा भवन- सुजानदेसर में आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए समालोचक डॉ.उमाकांत गुप्त ने कहा कि नेमचन्द अपने नाम के अनुरूप शीतलता फैलाते हैं। पर उपदेश कुशल बहुतेरे से अलग हटकर इनमें एक खूबी है ये किसी काम को कहकर नहीं उसे करके दिखाते हैं, ऐसा भाव होने पर ही आदमी महान बनता है।
मुख्य अतिथि स्वामी विमर्शानंदगिरी ने कहा कि – एक अग्नि बीज, एक चैतन्य बीज गहलोत में भरा हुआ है नेमचंद के भीतर जो शब्द हैं उनमें राग-रस बोधि तत्व छिपे हुए हैं जिनसे इनके विचार सात्विक बनते हैं। निशब्द ने शब्द बनाया है, उस अरूप ने रूप बनाया है। हर शब्द रूप, रस, चिन्तन, कामना में एक अनंत छिपा है। उस अनंत को किसी साहित्यकार ने पहचान लिया है तो काल में रहकर कुछ भी लिखता है वह रचना कालजयी बन जाती है।विशिष्ट अतिथि समाजसेवी एन.डी.रंगा ने कहा कि गहलोत एक सुलझे हुए सात्विक विचारक हैं जो हमेशा रचने का कार्य करते रहे हैं इन्होनें जीवन में बहुत संघर्ष किया। इनके संघर्षमयी जीवन से युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में आकाशवाणी कलाकार महेशसिंह राजपुरोहित ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की। शब्दरंग के सचिव राजाराम स्वर्णकार ने नेमचंद गहलोत के सम्पूर्ण व्यक्तित्व-कृतित्व को बताते हुए कहा कि – पत्थरों से पानी निकालने वाले, खारे पानी को अमृत बनाने वाले एवं अपनी मां की आज्ञा का अक्षरश: पालन करने वाले इस सहृदयी इंसान ने अपनी कडी मेहनत, ईमानदारी और लगन से निष्ठापूर्वक काम करके अपनी और अपने परिवार की साख को समाज में स्थापित किया।
नेमचंद गहलोत ने अपने काव्यपाठ में – धार किसी का धारो मत – माल किसी का मारो मत, मां तू बडभागिनी, अशिक्षा एक अभिशाप, आओ एक उपकार करें, कुदरत का इशारा, कब मिलता मन को आराम, क्यूं बांधो हो बैर, चार दिनां री चांदनी, बेटी होती घर की शान सुनाकर अपनी रचनाधर्मिता को उजागर किया।
शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की तरफ से मंच द्वारा नेमचंद गहलोत को विशेष माला, शोल, स्मृति चिह्न अर्पित कर सम्मान किया गया। कार्यक्रम में लीलाधर सोनी, जुगलकिशोर पुरोहित, मदनगोपाल सोनी, रामेश्वर साधक बाडमेंरा, श्रीगोपाल स्वर्णकार, डॉ. बसन्ती हर्ष- डॉ.एस.एन.हर्ष, प्रेमनारायण व्यास, कासिम बीकानेरी, शिव दाधीच, महेंद्र जोशी, शकूर बीकाणवी, सोनू सिसोदिया, राजस्थानी मोटियार परिषद् से डॉ.गौरीशंकर प्रजापत, प्रशांत जैन सभी ने अपनी-अपनी संस्थाओं की तरफ से माला, शोल भेंटकर नेमचंद गहलोत का बहुमान किया। सभी के प्रति आभार जुगलकिशोर गहलोत ने ज्ञापित किया।