परिसंवाद -हमारी कला और चुनौतियां एक सार्थक पहल
बीकानेर, 4 मई। नगर वैभव एवं नगर की यश गाथा को समर्पित पांँच दिवसीय ‘उछब थरपणा’ समारोह के चौथे दिन आज नालन्दा सृजन सदन में कलापक्ष से जुड़े सार्थक संवाद की नव पहल करते हुए ‘हमारी कला और चुनौतियांँ’ विषयक परिसंवाद का आयोजन किया गया।
प्रारंभ में परिसंवाद के विषय का प्रवर्तन आयोजक संस्था के संस्कृति कला विशेष कृष्णचंद पुरोहित ने करते हुए कहा कि कला और कलाकारों से जुड़ी चुनौतियों पर सामुहिक रूप से साझा कला संवाद का आयोजन एक नव पहल एवं सुखद अनुभव है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयोजक संस्था के राजेश रंगा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी लोक कला व नगर में अपना वैभवपूर्ण इतिहास रखने वाली विभिन्न शाखाओं से जुड़े कलाकारों की अपनी चुनोतियांँ है। साथ ही कला के विकास में समकालीन संदर्भो के साथ अपने मूल स्वरूप को कायम रखने के लिए कलाकारों को चुनौती से रूबरू होना पड़ता है। आज का यह सार्थक कला परिसंवाद कला और कलाकारों को समर्पित था।
प्रारंभ में करूणा आंदोलन से जुड़े संस्कृतिकर्मी हरिनारायण आचार्य ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि परिसंवाद के माध्यम से सार्थक सुझाव मिलेंगे। साथ ही नगर के कला जगत से जुड़े लोगों के बीच संवाद स्थापित रहे, इसके लिए एक व्हाट्स एप गुु्रप होना चाहिए।
परिसंवाद के मुख्य वक्ता में कलाकार एवं कुरेचन कला के विशेषज्ञ मोना सरदार डुडी ने कहा कि कलाकार के सामने वितीय संकट रहता है, मैंने इससे निजात पाने के लिए कुरेचन कला का इजाद किया। पेंटर धर्मा ने विज्ञापन के माध्यम से भी कला जगत से जुड़ी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। इसके लिए साझा सहयोग की जरूरत है।
बीकानेर गोल्डन आर्ट के कलाकार राम कुमार भादाणी ने कहा कि कला और कलाकारों को मंच न मिलना एक बडी चुनौती है। साथ ही हमें कला का मूल्य बाजार की मांग के अनुसार भी रखना होगा। वरिष्ठ कलाकार मुकेश जोशी सांचीहर ने कहा कि पैसा प्राथमिकता न हो, कला सामाजिक सरोकार को समर्पित होनी चाहिए और समाज से भी हमें सहयोग मिलना चाहिए।
चित्रकार योगेन्द्र पुरोेहित ने कहा कि हमें सभी चुनौतियों का सामना करते हुए हमारी कला और संस्कृति को आगे वाली पीढी तक ले जाना एक चुनौती है। इसके लिए बाहरी सहयोग के लिए ज्यादा आशावान नहीं होना चाहिए। वुडन आर्ट के वरिष्ठ कलाकार कृष्णकांत व्यास ने कहा कि हमें आधुनिक तकनीक का सहारा लेना होगा और इसके लिए आपसी सहयोग के लिए भी तत्पर रहना होगा। पोटैªट कला के कलाकार कमल जोशी ने कलाकारो के बीच संवादहीनता न हो साथ ही आपसी सकारात्मक सहयोग होना चाहिए।
युवा कलाकार पुलकित हर्ष ने कहा कि नई पीढी को उचित मार्गदर्शन मिले तो प्रिया मारू ने भी इसी अभाव को रेखांकित किया। बालिका चित्रकार फराह ने कहा कि संघर्ष हमें करना होगा तभी सफलता मिलेगी। रवि उपाध्याय ने सीखने की ललक को महत्व दिया। बालिका कलाकार मंशा रावत ने कहा कि कलाकारों के बीच सहयोग का एक सेतु बने तो बालिका कलाकार तनिषा निर्वाण ने कहा कि चुनौतियांँ बहुत है पर उनसे मुकाबला करना होगा यही बात संगीता ने दोहराई।
महत्वपूर्ण कला संवाद में निकिता सारण, मोहित पुरोहित, योगेश रंगा, मुस्कान मालु, सैफ अली, केशव जोशी, गणेश रंगा ने परिसंवाद में सहभागिता निभाते हुए कला और कला से जुडी हुई कई चुनौतियों को रेखांकित किया तो वहीं मयंक रामावत, दिनेश नाथ, आदित्य पुरोहित, मोहित पुरोहित ने युवा पीढी को वरिष्ठजन एक तरफ मार्गदर्शन दे वहीं सहयोग प्रदान कर नगर की कला वैभव एवं समृद्ध परंपरा को आगे ले जाने का उपक्रम करें।
घनश्याम स्वामी, आशीष रंगा, भवानीसिंह, इस परिसंवाद में युगल नारायण छंगाणी, मदन मोहन ओझा, मनोज देराश्री, महेश पुरोहित, श्यामसुंदर किराडू, उमेश पुरेाहित, आशीष ओझा, मरूधर बोहरा, नंद किशोर रंगा, राजकुमार रंगा सहित सभी कलानुरागियों ने खासतौर से साफा एवं चंदा कला के साथ हमारी लोक कलाओं से जुड़ी चुनोतियों को रखा और कहा कि इस कला को बचाने के लिए सरकार भी आगे आए।
सभी का आभार संस्कृतिकर्मी गोपीकिशन छंगाणाी ने ज्ञापित करते हुए कहा कि आज सैकडों बालक-बालिकाओं के साथ विशेष तौर से सेवानिवृत अधिकारी एम.सी. सोनगरा, रामदेव राठौड, रामेश्वर स्वामी, जगदीश पुरोहित, निर्मल सुथार, शिव स्वामी, अरूण स्वामी, गिरिराज पारीक, गंगाबिशन बिश्नोई, सहित कई लोगों ने प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए आयोजकों की और कलाकारों की प्रशंसा की और ऐसे नवाचार निरंतर होते रहे की कामना की।