क्षमायाचना से कर्मरूपी शरीर को हल्का कर सिद्ध बुद्ध व मुक्त बने
क्षमायाचना से कर्मरूपी शरीर को हल्का कर सिद्ध बुद्ध व मुक्त बने
क्षमायाचना से कर्मरूपी शरीर को हल्का कर सिद्ध बुद्ध व मुक्त बने
आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में सामूहिक क्षमापन समारोह रविवार को
उदयरामसर की दादाबाड़ी में मेला,भक्ति संगीत, पूजा
मेरे अहंकार से….यदि मैने आपको नीचा दिखाया हो। मेरे क्रोध से…यदि आपको दुःख पहुचाया हो! मेरे झूठ से…किसी आपको कोई परेशानी हुई हो! मेरे ना कहने से….आपको सेवा करने में दान देने में, बाधा आयी हो! मेरे हर एक कण कण से..मैने आपको कभी निराश किया हो। मेरे शब्दों से….आपके हृदय को ठेस पहुंची हो।…