काळी कळायण घातै घूमर……बिखेरै रंग आभै रै सतरंगै में…..बरसात पर केन्द्रित काव्य रसधारा बही
काळी कळायण घातै घूमर……बिखेरै रंग आभै रै सतरंगै में…..बरसात पर केन्द्रित काव्य रसधारा बही
काळी कळायण घातै घूमर……बिखेरै रंग आभै रै सतरंगै में…..बरसात पर केन्द्रित काव्य रसधारा बही
जीने की राह आसान बनाते हैं गुरु और गीता – स्वामी विमर्शानन्दगिरि