अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने बिखेरे नए रंग
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने बिखेरे नए रंग
अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने बिखेरे नए रंग
काळी कळायण घातै घूमर……बिखेरै रंग आभै रै सतरंगै में…..बरसात पर केन्द्रित काव्य रसधारा बही
जीने की राह आसान बनाते हैं गुरु और गीता – स्वामी विमर्शानन्दगिरि