शूरवीरों से प्रेरणा लेकर राष्ट्रहित में कार्य करें

shreecreates
congrtaulation shreyansh & hiri
  • राजस्थानी साहित्य मांय वीर रस’ संगोष्ठी आयोजित

बीकानेर, 18 मई। राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी और राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम, चित्तौड़गढ़ के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को अकादमी सभागार में ‘राजस्थानी साहित्य मांय वीर रस’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान वक्ताओं ने राजस्थानी साहित्य में वर्णित वीरों-वीरांगनाओं के व्यक्तित्व-कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए इनके जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही।समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ ने कहा कि राजस्थानी साहित्य में हमारे प्रदेश के गौरवशाली अतीत व महान संस्कृति के साक्षात दर्शन होते हैं। उन्होंने राजस्थानी साहित्यकारों से भारतीय सेना के शौर्य पर अपनी कलम चलाने हेतु आग्रह किया। सक्सेना ने राजस्थान मीडिया एक्शन फोरम द्वारा चलाये जा रहे साहित्यिक आंदोलन की जानकारी देते हुए युवा पीढ़ी को अधिक से अधिक किताबें पढ़ने तथा भारतीय संस्कृति को आत्मसात करने की बात कही। उन्हांने कहा कि परिजनों को अपने बच्चों को राजस्थानी में पढ़ने-लिखने हेतु प्रेरित करना चाहिए।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
DIGITAL MARKETING
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

मुख्य अतिथि बुलाकी शर्मा ने कहा कि राजस्थानी साहित्य में पद्य के साथ-साथ गद्य साहित्य में भी वीर रस पर विपुल मात्रा में सृजन-कार्य हुआ है। उन्होंने इस दिशा में गंभीर शोध कार्य करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने विश्वास जताया कि राजस्थानी को मान्यता अवश्य मिलेगी। मुख्य वक्ता डॉ. गौरीशंकर प्रजापत ने कहा कि राजस्थान की माताएं अपने बच्चों को जन्म से ही मातृभूमि की रक्षा का पाठ पढ़ाते हुए कहती हैं- इला न देणी आपणी। पृथ्वीराज राठौड़, सूर्यमल्ल मिश्रण, कन्हैयालाल सेठिया, गणेशीलाल व्यास, मनुज देपावत सहित अनेक कवियों की रचनाओं में वीरता के असंख्य उदाहरण दृष्टिगत होते हैं। पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि राजस्थान के साहित्यकारों ने भी शूरवीरों के साथ स्वतंत्रता आंदोलन में अविस्मरणीय योगदान दिया। कमल रंगा ने संगोष्ठी के विषय को अत्यंत प्रासंगिक बताते हुए कहा कि भारतीय सेना के वीर जवान देश रक्षा हेतु सर्वस्व न्यौछावर कर रहे हैं। सुधा आचार्य ने राजस्थानी लोकगीतों में वीर रस, समरसता के उद्धरण प्रस्तुत किए। डॉ. के. एल. बिश्नोई ने वीरों के चार प्रकारों- युद्ध वीर, दान वीर, दया वीर एवं धर्म वीर पर प्रकाश डाला।

pop ronak

अकादमी सचिव शरद केवलिया ने आभार व्यक्त किया। असद अली असद ने स्वागत भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शंकरसिंह राजपुरोहित ने कहा कि विद्वानों ने राजस्थानी को वीरों की भाषा बताया है। इस अवसर पर डॉ. कृष्णा आचार्य, इंद्रा व्यास, डॉ. नमामीशंकर आचार्य, जाकिर अदीब, मोनिका गौड़, मईनुदीन कोहरी, मुकेश व्यास, जुगल किशोर पुरोहित, डॉ. मनस्विनी सोनी ने भी विचार रखे। लोकार्पण- समारोह में वरिष्ठ पत्रकार-साहित्यकार अनिल सक्सेना ‘ललकार‘ द्वारा लिखित पुस्तक ‘राजस्थान का साहित्यिक आंदोलन’ का अतिथियों ने लोकार्पण किया। सक्सेना ने साहित्यकारों, युवाओं से संवाद भी किया।

इससे पहले अतिथियों ने देवी सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण कर व दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। सुधा आचार्य ने शंखनाद किया। इस अवसर पर डॉ. इन्द्रसिंह राजपुरोहित, राजेन्द्र जोशी, ओमप्रकाश सोनगरा, महेश उपाध्याय, डॉ. मूलचंद बोहरा, कासिम बीकानेरी, श्रीनिवास थानवी, केशव जोशी, अंजलि टाक, कानसिंह, मनोज मोदी, रेणु प्रजापत, इन्द्र कुमार छंगाणी, विप्लव व्यास, अब्दुल शकूर बीकाणवी, योगेन्द्र कुमार पुरोहित, मनीषा आर्य सोनी, डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान, सुरेश कुमार मोदी, मोहम्मद फारूक, शान मोहम्मद, साजिद अली, अल्ताफ अहमद, जाकिर अली, गिरिराज पारीक, श्याम निर्मोही, डॉ. सुभाष ‘प्रज्ञ‘, डॉ. मूलचंद बोहरा, दीनदयाल घारू, रहमत अली, फिरोज खान, लियाकत अली, परितोष झा, मनीष कुमार जोशी, गंगाविशन बिश्नोई, प्रशान्त जैन, नीरज कुमार शर्मा आदि उपस्थित थे।
==================

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *