तेरापंथ मेरा पथ कार्यशाला का आयोजन

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गंगाशहर , 24 जून। तेरापंथ प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन मुख्य प्रशिक्षक उपासक निर्मल कुमार नौलखा के सानिध्य में आशीर्वाद भवन में आयोजित किया गया। शुभारंभ सत्र में सर्वप्रथम गंगाशहर की उपासक बहनों द्वारा “हम बने उपासक” गीत का संगान किया गया। कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने कहा कि आचार्य श्री भिक्षु आत्मवत् सर्वभूतेषु की भावना के एक सजीव प्रतीक थे। छहों ही प्रकार के जीवों को आत्मा के समान मानों भगवान् महावीर की यह वाणी उनकी आत्मा में रम चुकी थी। मुनिश्री ने आगे कहा कि तेरापंथ अज्ञानी को ज्ञानी बनाता है। सोते हुए को आध्यात्मिकता से जाग्रत करता है। आचार्य भिक्षु ने जो क्रांति 265 वर्षों पूर्व की उस क्रान्ति की मुख्य सुत्रों को, तत्वों को जन जन तक पंहुचाना है। मुनि श्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि जो भी संभागी इस कार्यशाला में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है वे अपने अपने क्षेत्रों में इस प्राप्त ज्ञान का प्रेक्षण करे।

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उपासक प्राध्यापक निर्मल नौलखा ने बताया कि उपादान हर व्यक्ति में विद्यमान है। निमित्त नहीं मिलता तब तक शक्तियां जागृत नहीं होती है। सोई हुई शक्तियों को जगाने के लिए उपासक श्रेणी भी एक निमित्त है। इस सत्र में महासभा के कार्यकारी सदस्य भेंरूदान सेठिया, सभा के मंत्री जतन संचेती, युवक रत्न राजेंद्र सेठिया प्रभारी ने अपने विचार रखें। इस सत्र का संचालन उपासिका श्रीमती संजू लालणी ने किया।

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दूसरा सत्र परीक्षण व वक्तव्य प्रस्तुति का हुआ। जिसमें आए हुए सभी प्रतिभागियों ने तेरापंथ व आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों के बारे में विस्तृत रूप से बताया। सभी को प्रशिक्षण देते हुए निर्मल नौलखा ने सबके प्रश्नों का बहुत ही सरल तरीकों से उत्तर दिया तथा सब की जिज्ञासा को भी समाहित किया।

तीसरे सत्र में पुनः वक्तव्य प्रस्तुति हुई उसके बाद चौथे सत्र में शनिवार की समय करवाई गई जिसमें तेरापंथ प्रबोध का संगान किया गया और पुनः प्रस्तुति का दौर शुरू हुआ जो की रात्रि 9ः30 बजे तक चला उसके बाद प्राध्यापक जी के मंगल पाठ के साथ कार्यक्रमक के पहले दिन का का अंतिम चरण पूरा हुआ। कार्यशाला का दूसरा दिन प्रथम सत्र प्रारंभ में निर्मल नौलखा ने स्वरचित गीत के द्वारा कार्यक्रम की शुरुआत की। उसके बाद अणुव्रत गीत व गुरु वंदना का संगान किया गया।

कार्यक्रम के दूसरे दिन का दूसरा सत्र के प्रारंभ में श्री निर्मल जी नौलखा ने अपने प्रशिक्षण देते हुए कहा कि सम्यकत्व अंक के समान है। अंक के पीछे जितने सुनने लगा दो तो संपदा बढ़ जाती है। आचार हमारा शुन्य के समान है। यदि सम्यकत्व नहीं रहेगा तो शून्य का कोई मोल नहीं है। छोटे प्रश्नों के उत्तर बहुत ही सारगर्भित में तरीके से बताया। एवं आए हुए सभी प्रतिभागियों को इतनी एकाग्रता एवं तन्मयता के साथ सबके विचारों को सुना और सबकी जिज्ञासाओं को समाहित किया।

जैन श्वेतांबर तेरापंथी महासभा के तत्वाधान में तेरापंथ सभा गंगाशहर द्वारा यह तेरापंथ मेरा पंथ प्रशिक्षण का सुंदर आयोजन किया गया। इसमें 53 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
तेरापंथी सभा गंगाशहर के कोषाध्यक्ष रतन लाल छल्लाणी ने आभार प्रकट किया। तेरापंथी सभा गंगाशहर के उपाध्यक्ष नवरतन बोथरा के साथ सभी पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं ने आवास व भोजन व्यवस्था सहित सभी कार्यो का कुशलता से संपादित किया। तेरापंथी महासभा के तत्वावधान में उपासक श्रेणी में प्रवेश के लिए प्रवेश परीक्षा का आयोजन किया गया जिसमें प्रवेश के लिए गंगाशहर से 10 बहिन भाईयों ने भाग लिया। तेरापंथी सभा गंगाशहर ने परीक्षा को कुशलता से सम्पन्न करवाया।

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