राष्ट्रीय कवि चौपाल की 504 वीं राजस्थानी भाषा को समर्पित रही

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म्हारी जबान रौ खुलो ताळो पण चाबी सरकार रै हाथ में..

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मात् र भाषा बिन हिवड़ै री पीड़ किंया दूर होवै

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बीकानेर , 23 फ़रवरी। राष्ट्रीय कवि चौपाल की 504 वीं राजस्थानी भाषा को समर्पित रही। इस अनुठी सरस्वती सभा के अध्यक्षता में गौरीशंकर प्रजापत व मुख्य अतिथि श्रीमती सुधा आचार्य, विशिष्ट अतिथि में विप्लव व्यास, एवं श्रीमती सुनीता गुर्जर आदि साहित्य वृंद के सान्निध्य में मंच शोभित हुआ। श्रीमती सरोज भाटी ने मां सरस्वती की प्रार्थना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया।

गौरीशंकर प्रजापत ने कार्यक्रम की अध्यक्षता संदेश में काव्य में कहा कि “म्हारी जबान रौ खुलो ताळो पण चाबी सरकार रै हाथ में..
जी भर सार संघर्ष, तो सरकार होगी साथ में,
मुख्य अतिथि श्रीमती सुधा आचार्य ने कहा मात् र भाषा बिन हिवड़ै री पीड़ किंया दूर होवै, ए आठ करोड़ राजस्थानी पूछै म्हारी मानतां बिन भाषा बिन्या म्हारो मोल किंया होवै, विशिष्ट अतिथि में विप्लव व्यास ने बताया कि राजस्थानी भासा री मानता सारूं आखै राजस्थानियां नै इण भासा नै परौटण री मैहताऊं आवशयकता है। श्रीमती सुनीता गुर्जऱ ने नारी हूं मैं न्यारी हूं , जुगल किशोर पुरोहित ने मायड़ म्हारी मात है मायड़ म्हारो माण कविता सुना कर सदन का मन मोह लिया।

रामेश्वर साधक काम धाम चाये कीं नीं हुवे पण कैवै म्हाने मरण ने टैम कोनी, प्रमोद शर्मा ने अठै अंधेर घुप्प है देखी मां अबके स्याणा चुप है,.सागर सिद्धिकी बात करने का सलीका हो तो पत्थर बोलते हैं,..शिव दाधीच वाणी के जादूगरों मात शारदे के बेटों…डा कृष्ण लाल विश्नोई ने आग भणावे रोटियां, सेके.. महबूब अली जिंदगी री धना धन गाड़ी चलावे पैड़… श्रीमती सरोज भाटी ने तन तो माटी रौ पुतलो सुना कर मंच से वाह वाह बटोरी।

लीलाधर सोनी ने माण दे दो रै मायड़ भाषा ने.. कैलाश टाक ने हरी भरी बेल बल रही.. शिव शंकर शर्मा ने मायड़ भाषा री मान्यता सारू… शकूर बीकाणवी ने पागल हुआ हूं इतना गुंजे तराना, राजकुमार ग्रोवर ने हंसने वालों के साथ लोग सदा ही हंसते हैं, सुभाष विश्नोई जाते बसंत ने गिरते पतों से कहा,.. महेश बड़गुर्जर जादू करग्यो कानुडो़ खेले… राजू लखोटिया ने झिल मिल सितारों का आंगन होगा गीत बांसुरी धुन सुनाई,.. कैलाश दान चारण ने जग में जो आकर माया को समझ कर … पवनपुत्र चढ्ढा ने मेरा दिल ये पुकारे आ जा।
कार्यक्रम का संयोजन राजस्थानी साहित्य साधक वरीष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित किया तथा आभार साधक ने दिया।

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