2024 का चातुर्मास चॉइस का चातुर्मास बने – मुनि हिमांशुकुमार
चेन्नई, 15 जुलाई। (स्वरुप चन्द दांती ) आचार्य श्री महाश्रमणजी के विद्वान सुशिष्य मुनि श्री हिमांशुकुमार ने तेरापंथ सभा भवन, साहूकारपेट में धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए कहा कि ऋतुओं में वर्षाकाल सबसे अच्छा मौसम होता है। अन्य मौसमों में जहां आमोद प्रमोद की प्रमुखता रहती है, वहीं वर्षाकाल जीवन में उन्नति का काल होता है।
भौतिकता में जहां वर्षाकाल में नई फसलों से वसंत में बहार आती है, तो आध्यात्मिक क्षेत्र में इस समय साधु-साध्वियां एक स्थान पर स्थिर हो जाते है। उनके सान्निध्य का प्रलम्ब लाभ जनता को भी मिलता है। साधु-साध्वीयों के सान्निध्य में साधना आराधना कर अपने आत्मोत्थान की दिशा में प्रगति करने का अवसर मिलता हैं।
मुनिप्रवर ने कहा कि ‘2024 का यह चातुर्मास चॉइस का चातुर्मास बने।’ कुछ कार्य पंसद के होते है, तो कई कार्यों को ही हमारी पंसद बनानी चाहिए। जो हमारे लिए श्रेय हो, श्रेष्ठ हो, उस पसंद को, कार्य को हमें प्योरिटी के साथ करना चाहिए। परिवार में सभी व्यक्तियों की अलग अलग पसंद हो सकती हैं और वे उन कार्यों को करते है।
हमें साधना के क्षेत्र को, पसंद का क्षेत्र बना कर, उसमें यात्रायित होना चाहिए। चन्द्रमा की कलाओं की तरह आगे बढ़ना चाहिए। चातुर्मास स्वयं जागने और ओरों को भी जगाने का समय हैं। हमें विशेष लक्ष्य के साथ उत्साह, उमंग से आगे बढ़ना है।
मुनिप्रवर ने कहा कि पंसद के कार्य करने से पांच बाते होती है- 1. उत्साह बना रहता है। 2. उस कार्य के लिए समय का नियोजन कर लेते है। 3. कार्य में बिते समय का भी ध्यान नहीं रहता। 4. बोरिंग नहीं होते, उबते नहीं और 5. थकान महसूस नहीं होती। इस तरह हमें भौतिकता के साथ आध्यात्मिकता का सामजस्य बैठाकर, प्रसन्नता के साथ साधना को पसंद बना, साधनों से दूर रहने का प्रयास, जीवन को श्रेयस्कर बना सकता है।
मुनि हेमंतकुमार ने कहा कि व्यक्ति जीवन में हर कार्य के लिए ट्रेन होता है, ट्रेनिंग लेता है और बीच में गेप पड़ने पर पुनः प्रारम्भ से ट्रेनिंग लेनी पड़ती है। हमारा यह चातुर्मास ट्रेनिंग से आगे का ट्रांसफोर्मेशन का बने। जीवन में रुपांतरण का बने। हमारे व्यवहार में, कार्यों में, वाणी में उच्चता बनी रहे।