आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष का प्रथम चरण समारोह


प्रतिभा, प्रज्ञा और पुरुषार्थ से युक्त थे आचार्य भिक्षु : मुनि मोहजीतकुमार




भिक्षु चेतना वर्ष के प्रथम चरण का किलपॉक में हुआ भावपूर्ण आयोजन


चेन्नई, किलपॉक, 8 जुलाई। (स्वरूप चन्द दांती ) श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, किलपॉक द्वारा तेरापंथ के संस्थापक आचार्य श्री भिक्षु की जन्म त्रिशताब्दी के उपलक्ष्य में भिक्षु चेतना वर्ष के प्रथम चरण का आयोजन भिक्षु निलयम में मुनि श्री मोहजीतकुमार के सान्निध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत महामंत्र के उच्चारण से हुई। इसके पश्चात उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मुनि श्री मोहजीतकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जन्म सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि सिद्धांत, सहिष्णुता, साहस और साधना के नए युग का आरंभ था। उनकी प्रतिभा, प्रज्ञा और पुरुषार्थ बचपन से ही उन्हें विशेष बनाते थे। उनके सम्यक आचार और अनुशासन प्रेम ने तेरापंथ को एक सशक्त दिशा दी।
मुनि श्री जयेशकुमार ने कहा कि आचार्य भिक्षु का जीवन रूढ़ियों को तोड़ने, सत्य की खोज करने और समाज को यथार्थ के धरातल पर लाने का सशक्त प्रयास था। संघर्षों से उन्होंने समाधान के बीज बोए। कार्यक्रम का संचालन करते हुए मुनि भव्यकुमार ने आचार्य भिक्षु के जीवन, दर्शन और बोधि की गहराईयों को सरलता से प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर उपस्थित श्रावक समाज ने जप, तप, त्याग और प्रत्याख्यान के माध्यम से आचार्य भिक्षु को श्रद्धांजलि समर्पित की। सभा मंत्री विजय सुराणा और महिला मण्डल मंत्री श्रीमती वनिता नाहर ने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मण्डल की बहनों द्वारा प्रस्तुत ‘भिक्षु श्रद्धा स्वर’ गीत ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। कार्यक्रम का समापन मंगल पाठ से हुआ।
========
तंडियारपेट, चेन्नई में भिक्षु चेतना वर्ष की हुई भावपूर्ण शुरुआत
चेन्नई, 8 जुलाई। (स्वरूप चन्द दांती ) श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, उत्तर चेन्नई तंडियारपेट के तत्वावधान में आचार्य श्री भिक्षु जन्म त्रिशताब्दी वर्ष भिक्षु चेतना वर्ष के उपलक्ष्य में प्रथम चरण का कार्यक्रम वरिष्ठ उपासिका श्रीमती राजश्री डागा की गरिमामयी उपस्थिति में आयोजित हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत श्रीमती राजश्री डागा और श्रीमती सुप्रिया सामसूखा द्वारा नमस्कार महामंत्र से हुई। इसके बाद “भिक्षु म्हारे प्रगटया जी भरत खेतर में” गीत और ‘ॐ भिक्षु जय भिक्षु’ का जाप वातावरण को भिक्षुमय बना गया।
सभा अध्यक्ष इंदरचंद डूंगरवाल ने स्वागत वक्तव्य प्रस्तुत किया। स्थानीय बहनों द्वारा भिक्षु अष्टकम का संगान किया गया। श्रीमती पिंकी गेलड़ा ने भी अपने विचार रखे। मुख्य वक्ता श्रीमती राजश्री डागा ने आचार्य भिक्षु के जीवन और सिद्धांतों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे एक अलौकिक पुरुष थे, जिन्होंने संयम, आगम स्वाध्याय और आचार-सिद्धांत की दृढ़ नींव पर तेरापंथ की स्थापना की। उन्होंने आह्वान किया कि त्रिशताब्दी वर्ष में अधिक से अधिक स्वाध्याय और आचार्य भिक्षु के विचारों को नई पीढ़ी तक पहुँचाना हम सबका कर्तव्य है।कार्यक्रम का संचालन श्रीमती शांता गेलड़ा ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन सभा के उपाध्यक्ष दिलीप गेलड़ा ने दिया। कार्यक्रम का समापन मंगलपाठ के साथ हुआ।