सुश्रावक भीखम चंद बरड़िया का देवलोक गमन

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बीकानेर, 12 जून। श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के पूर्व सदस्य व श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के पूर्व कोषाध्यक्ष, श्री गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर जीर्णोद्धार समिति, श्री गंगेश्वर पार्श्वनाथ प्रतिष्ठा समिति के सदस्य मुनि सम्यक रत्न सागर म.सा. के सांसारिक वीर पिता भीखम चंद बरड़िया का बुधवार को निधन हो गया। वे 67 वर्ष के थे। वे अपने पीछे दो पुत्र, पोत्र व पौत्री का भरा पूरा परिवार छोड़ गये है।

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स्वर्गीय बरड़िया के पुत्र धीरज बरड़िया ने बताया कि उनको हृदय आघात के कारण पी.बी.एम.के हल्दीराम अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां बुधवार सुबह वे देव लोक गमन कर गए। उनके पार्थिव देह की अंत्येष्टि गोगागेट के बाहर जैन समाज के मोक्षधाम में की गई। मुखाग्नि उनके पुत्र धीरज व पौत्र नमन बरड़िया ने दी। उनकी अंत्येष्टि में उनके भाई सुरेन्द्र-महेन्द्र बरड़िया, श्री जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के कोषाध्यक्ष अशोक पारख, सदस्य निर्मल पारख, कंवर लाल सेठिया, श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, सदस्य वरिष्ठ श्रावक महावीर सिंह खजांची, गंगेश्वर पार्श्वनाथ मंदिर जीर्णोद्धार समिति सदस्य हस्तीमल सेठी, के.यू.प के मंत्री अनिल सुराणा, पवन खजांची, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के सदस्य, जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ, पार्श्वचन्द्र गच्छ, तपागच्छ, तेरापंथ व साधुमार्गी जैन संघ से जुड़े बड़ी संख्या श्रावकों ने अंत्येष्टि में शामिल होकर अंतिम श्रद्धांजलि दी। उनका उठावना गुरुवार सुबह नौ बजे रखा गया है।

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वीर भीखम चंद बरड़िया के सांसारिक पुत्र मुनि सम्यक रत्न सागर अपने गुरु जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी सहवृति मुनियों के साथ दीक्षा लेने 24 वर्ष बाद बीकानेर पहुंच रहे थे। मुनि पुत्र के 24 वर्ष के बाद अपनी जन्म भूमि में श्री गंगेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ शिवबाड़ी के अंजन श्लाका व प्रतिष्ठा महोत्सव व चातुर्मास के लिए पहुचने का कार्यक्रम है। उनका बीकानेर में नगर प्रवेश 16 जून को होगा। आचार्यश्री पीयूष सागर सूरीश्वरजी व मुनि सम्यक रत्न सागर के प्रवेश व चातुर्मास को लेकर उनमें अधिक उत्साह था। वे आचार्यश्री व मुनिश्री के पालीतना चातुर्मास कर बीकानेर की ओर आने के मार्ग पर हर प्रमुख स्थान पर पहुंचते तथा उनका स्वागत करते। सोशल मीडिया पर आचार्यश्री आदि ठाणा के कार्यक्रमों की जानकारी भी भेजते थे।

धर्मनिष्ठ श्रावक
वीर भीखमचंद बरड़िया धर्मनिष्ठ श्रावक थे। उन्होंने हमेशा देव, गुरु व धर्म के प्रति पूर्ण आस्था व विश्वास रखा। श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास की ओर से खरतरगच्छ युवा परिषद से सम्बद्ध ज्ञान वाटिका के बच्चों की ओर से बीकानेर के जैन मंदिरों में की गई स्नात्र पूजा में भी बाल श्रावक-श्राविकाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावना से सम्मानित करते थे। उनके आसामयिक निधन के कारण गुरुवार को सुगनजी महाराज के उपासरे में प्रवचन नहीं होंगे।

 

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