देशभर के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर संगीत की फिल्मी एवं लोक गीतों ने सबका मन मोह लिया
बीकानेर, 25 मई। टी. एम. ऑडिटोरियम में प्रशिक्षण प्राप्त करने आये हुए देशभर के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सुमधुर संगीत की फिल्मी एवं लोक गीतों ने सबका मन मोह लिया। किसी भी कला में लोक संस्कृति बहुत प्रभावक व प्रिय लगती है। इस अवसर पर सुनीता, लक्ष्मी, मनोहरी एवं भगवती आदि गोस्वामी बहनों ने राजस्थानी परम्परागत गीत ‘पींपळी – बाय चाल्या थां भंवर जी पींपळी जी’ एवं जला सैण- म्हैं तो राजरा डेरा देखण आई ओ जैसे भावपूर्ण लोकगीतों की प्रस्तुतियों से सबको आनन्द विभोर कर दिया।
मोहित चौहान द्वारा गाये गये फिल्म ‘मेरे सनम’ का ‘पुकारता चला हूं मैं गीत की स्वर लहरी ने बहुत दाद दी। नीयति वर्मा ने फिल्म ‘अनपढ़’ के ‘आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे’ सुनकर सभी दर्शक झूम उठे। प्रण्या द्वारा ‘मुगले आजम’ के ‘मोहे पनघट पे तथा प्रेमा पंवार द्वारा ‘परिणिता’ के ‘कैसी है पहेली का संगान बहुत प्रभावक रहा। लता मलघट ‘हावड़ा ब्रिज’ फिल्म का ‘आये मेहरबान’ एवं फिल्म ‘महल’ के ‘आयेगा आने वाला’ गायन सुन कर सभी श्रोता रोमांचित हो गये।
शाश्वत कौशल ने ‘जंगली’ फिल्म के ‘एहसान तेरा होगा मुझ पर गीत की भावपूर्ण प्रस्तुति दी। अंजलि तिवारी ने गाइड फिल्म का ‘पीया तोसे’ एवं चिराग फिल्म का ‘तेरी अंखियों के सिवा’ गीतों का संगान किया। नुपुर ने अपनी सुरीली आवाज में ‘ज्वेल थीफ’ फिल्म का ‘रात अकेली है’ एवं ‘सावन की घटा’ का ‘जरा हौले हौले चलों जैसे गीत सुना कर श्रोताओं को स्तब्ध कर दिया।
इस अवसर पर हारमोनियम पर पं. पुखराज शर्मा व तबले पर गुलाम हुसैन, ढोलक पर लियाकत अली, ऑर्गन पर कमल ऑक्टोपेड पर मौसीन खान ने संगत की। आयोजन के प्रारम्भ में इनकी जुगलबन्दी में फिल्म हीरामण्डी की बहार राग में स्वागत की मधुर धुन से सभी दर्शकों का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए हेमन्त डागा ने कलाप्रेमियों को संगीत साधना के लिए समुचित व्यवस्था व अवसर उपलब्ध करवाने के लिए विरासत संवर्द्धन संस्थान के टी. एम. लालानी एवं सुर संगम के के. सी. मालू के प्रति आदर व्यक्त किया। डागा ने बताया कि वर्तमान जारी कार्यशाला में प्रशिक्षण निर्देशक पं. भवदीप संगीत क्षेत्र में जाने माने जयपुर घराने परिवार एवं बोलीवुड के लब्धप्रतिष्ठित खेमचन्द प्रकाश से सम्बन्धित है। संगीत प्रशिक्षण में भवदीप जी का बहुत सिद्धहस्त पांडित्य है। इस अवसर पर हेमन्त डागा ने भी अपने गीतों से शमां बांध दिया।
आज उच्च स्तरीय भारतीय संगीत प्रशिक्षण कार्यशाला के दूसरे दिन के सत्र में पं. भवदीप ने प्रशिक्षुओं को राग यमन में विलम्बित, व मध्य लय में बंदिश व तराना और भजन का अभ्यास करवाया। इसके साथ ही प्रशिक्षुओं को गायन की क्रियाऐं, मींढ़, कण, खटका, मुर्की तथा गमक का आदि की विस्तार से जानकारी प्रदान कर अभ्यास भी करवाया गया।
कामेश्वरप्रसाद सहल ने बताया कि कार्यशाला में आये कलाकारों की कल रविवार की सायं 08:30 बजे गजल एवं ठुमरी मधुर प्रस्तुतियां भी होगी। बीकानेर के सभी कलाप्रेमी श्रोता इनका रसास्वादन कर सकेंगे।