नई सरकार अनुदानित समायोजित कार्मिकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दें -प्रोफेसर डॉ. बिनानी
नवनियुक्त माननीय मुख्यमंत्री भजन लाल जी शर्मा को एक मांग पत्र प्रेषित किया
बीकानेर , 30 दिसम्बर। राजस्थान के सभी अनुदानित समायोजित शिक्षाकर्मियों को पुरानी पेंशन योजना-ओपीएस का लाभ मिलना चाहिए । अनुदानित समायोजित शिक्षाकर्मी संगठन के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व प्राचार्य, चिंतक व लेखक प्रोफेसर डॉ. नरसिंह बिनानी ने इस संबंध में राजस्थान के नवनियुक्त माननीय मुख्यमंत्री भजन लाल जी शर्मा को एक मांग पत्र प्रेषित किया है ।
इस पत्र में नये मुख्यमंत्री जी को लिखा है कि कांग्रेस सरकार ने वर्ष 2022 के बजट में राज्य सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की घोषणा की थी। इस घोषणा के बाद राज्य के लगभग सभी सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ मिलना शुरू हो गया है। किन्तु राज्य कर्मचारियों का छोटा सा एक वर्ग अभी भी पुरानी पेंशन के इस लाभ से वंचित है। यह छोटा सा वर्ग अनुदानित शिक्षण संस्थाओं के सरकारी सेवा में समायोजित शिक्षाकर्मियों का वर्ग है।
प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने आगे लिखा है कि इसका कारण यह है कि जुलाई- अगस्त 2011 में सरकारी अनुदानित शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों को सरकारी सेवा में समायोजित कर राज्य की सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और अन्य विभागों में पद स्थापित कर दिया गया था। पदस्थापन के समय उनको अनुदानित शिक्षण संस्था में जिस वेतनमान में वे थे उसी में रखते हुए वेतन का निर्धारण व भुगतान किया गया । साथ ही आगामी वेतन वृद्धि, पी एल व सी एल अवकाशों की गणना, सातवें वेतनमान में वेतन निर्धारण आदि आर एस आर नियमों के अनुसार की गयी।
प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने बताया कि इसके अतिरिक्त सरकारी सेवा में समायोजित करते हुए कोई प्रोबेशन काल भी नहीं रखा गया। लेकिन केवल पेंशन के मामले में उनके साथ भेदभाव करते हुए उनको वर्ष 2004 की न्यू पेंशन स्कीम के दायरे में ही रखा।
अब राज्य सरकार ने अप्रैल 2022 से राज्य सरकार के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना- ओ पी एस को लागू कर दिया है। राज्य सरकार की इस बजट घोषणा के अनुरूप समायोजित शिक्षाकर्मियों को पेंशन देने के लिए उनकी सरकारी सेवा में समायोजन की तिथि को प्रथम नियुक्ति का आधार माना गया। इस आधार पर जो समायोजित शिक्षाकर्मी 31 जुलाई 2011 से 31 मार्च 2022 के मध्य सेवानिवृत हुए हैं वे पुरानी पेंशन के लाभ से पूर्णतः वंचित है। इसका कारण यह है कि वे पेंशन नियमों के अनुसार, दस वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने से पूर्व सेवानिवृत हो गए। इसी कारण अन्य सेवानिवृत अधिकांश समायोजित कार्मिकों को भी पुरानी पेंशन का पूर्ण लाभ नहीं मिल रहा है ।
प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने आगे जानकारी दी कि जिनको पेंशन का लाभ मिल भी रहा है उनको पेंशन नियमों के अन्तर्गत 25 साल की सेवा की शर्त पूरा नहीं होने के कारण पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। इसके अलावा समायोजित कार्मिकों में से जो कार्मिक, पेंशन नियमों के अनुसार, दस वर्ष की सेवा अवधि पूर्ण करने से पूर्व सेवा निवृत हो गए, उनको पुरानी पेंशन का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। वास्तविकता यह है कि ऐसे अनेक कार्मिक पेंशन का लाभ लिए वगैर ही दिवंगत हो गए हैं। कुछ जो सीमित संख्या में बचे हुए हैं वे भी लगभग 65-75 वर्ष के बुजुर्ग, अस्वस्थ व वृद्ध हो चुके है। पेंशन के अभाव में उनकी व उनके आश्रितों की आर्थिक स्थिति बेहद नाजुक है।
वे अपनी मांग को पूरा करवाने के लिए किसी प्रकार आंदोलन करने की शारीरिक स्थिति में नहीं है। अतः उनके पास राज्य सरकार से पुरानी पेंशन प्राप्त करने के आदेश का इंतजार करने के अलावा ओर कोई रास्ता नहीं है। प्रोफेसर डॉ. बिनानी ने मांग पत्र में नये मुख्यमंत्री जी से इस समस्या के निराकरण हेतु समायोजित कार्मिकों की अनुदानित संस्थाओं की पुरानी सेवाओं को जोड़ने के लिए नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाने का अनुरोध किया गया है ।
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