कार्यशाला The power of reading का गंगाशहर महिला मण्डल द्वारा सफल आयोजन

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गंगाशहर , 27 अक्टूबर।
अखिल भारतीय महिला मण्डल द्वारा निर्देशित कार्यशाला का शुभारंभ मण्डल की बहिनों द्वारा मंगलाचरण से हुआ। तत्पश्चात मंत्री श्रीमती मीनाक्षी आंचलिया ने विषय की जानकारी प्रदान की। कार्यशाला के मुख्य वक्ता डॉ. धनपत जैन ने अपने वक्तव्य में कहा कि यदि हमें मरणोपरांत अपने आप को स्मरण में रखना है तो निरन्तर पढ़कर , लिखना एवं बोलना होगा।
मोबाइल E-books आदि का ज्ञान तो रूप की तरह है जो वय अनुसार ढल जाता है परन्तु पुस्तकों आगमों का ज्ञान सदैव निखरता रहता है। हमें गुरु एवं साधु -सतिवरो से प्रेरणा लेनी चाहिए। उनके द्वारा प्रदत जो ज्ञान हमें सीमित शब्दों में असीमित मिलता है वो उनके द्वारा किए हुए स्वाध्याय का ही परिणाम है। हमें अपनी ज्ञान ग्राही इन्द्रियों का सदुपयोग करते रहना चाहिए।
साध्वी श्री ललित कला जी ने अपने उद्बोधन में बताया कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के साहित्य से हमें शारीरिक, मानसिक ,आध्यात्मिक वैज्ञानिक, बौद्धिक आदि सभी क्षेत्रों का ज्ञान अर्जित होता है।
शासन श्री साध्वी शशिरेखाजी ने अपनी प्रेरणादायी वाणी से अवगत कराया कि 1200 गाथाओं का स्वाध्याय करने से एक उपवास के जितना फल मिलता है। ज्ञानावरणीय कर्म का क्षय होता है एवं स्वाध्याय से प्रायश्चित भी होता है। पुण्य के 20 भेदों में एक प्रकार स्वाध्याय है जिसे राग -द्वेष मुक्त होकर करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
मण्डल द्वारा धनपत जैन को साहित्य एवं पताका से उपहारित किया गया। पूर्व मंत्री कविता चोपड़ा ने अधिवेशन एवं अधिवेशन में गंगाशहर महिला मण्डल को प्राप्त पुरस्कारों के बारे में बताया गया तथा उपस्थित सभा का आभार ज्ञापित किया। कार्यशाला का कुशल संचालन श्रीमती पिंकी चोपड़ा द्वारा किया गया।

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