राजस्थान मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण समारोह आखिर हो गया
सुरेंद्र पाल सिंह टीटी के मंत्री पद की शपथ विधायक बनने से पहले मतलब श्रीकरणपुर विधानसभा सीट जितने की चाल
जयपुर , 30 दिसम्बर ।राजस्थान में मंत्रिमंडल का विस्तार हो रहा है। राज्यपाल कलराज मिश्र नए मंत्रियों को शपथ दिला रहे हैं। अब तक 17 मंत्री शपथ ले चुके हैं। इनमें 12 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार), 1 राज्य मंत्री हैं। सांसद पद छोड़कर विधायक बने किरोड़ीलाल मीणा, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं। सुरेंद्र पाल सिंह टीटी के मंत्री पद की शपथ के बाद मोदी के समर्थन में नारे लगे। उन्हें विधायक से पहले मंत्री पद की शपथ दिलाई गई। वे श्रीकरणपुर विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी हैं।
इन्होंने ली कैबिनेट मंत्री की शपथ
किरोड़ी लाल मीणा , गजेंद्र सिंह खींवसर, राज्यवर्धन सिंह राठौड़, बाबूलाल खराड़ी, मदन दिलावर, जोगाराम पटेल, सुरेश सिंह रावत, अविनाश गहलोत, जोराराम कुमावत, हेमंत मीणा ,
कन्हैयालाल चौधरी ,सुमित गोदारा
राज्यमंत्री- स्वतंत्र प्रभार मंत्री की शपथ – संजय शर्मा, गौतम कुमार , झाबर सिंह खर्रा, सुरेंद्र पाल सिंह टीटी, हीरालाल नागर
राज्यमंत्री मंत्री की शपथ – ओटाराम देवासी , डॉ. मंजू बाघमार, विजय सिंह चौधरी, के.के.विश्नोई,जवाहर सिंह बेढम
इन्होंने ली राज्य मंत्री(स्वतंत्र प्रभार) की शपथ : संजय शर्मा, गौतम कुमार दक, झाबर सिंह खर्रा, सुरेंद्र पाल टीटी, हीरालाल नागर
किसे क्यों मंत्री बनाया :
1. किरोड़ीलाल मीणा : विपक्ष में रहते सबसे मुखर रहे, एसटी का मुखर चेहरा। किरोड़ी लाल मीणा ने करीब 25 हजार से वोटों से जीत दर्ज की थी।
राज्यसभा सांसद रहते हुए राजस्थान में कांग्रेस राज के दौरान सबसे मुखर रहे। पेपर लीक से लेकर हर मुद्दे पर सड़क पर आंदोलन किए, संसद से लेकर हर मोर्चे पर घेरा। एसटी समुदाय के मुखर चेहरे के तौर पर उनकी पहचान है। बेबाकी से बोलने और मुद्दे उठाने के लिए जाने जाते हैं। संघ से जुड़े रहे हैं, इमरजेंसी के दौरान जेल गए। पूर्वी राजस्थान के सियासी समीकरण साधे गए हैं। सबसे पहले शपथ दिलाकर उन्हें सबसे सीनियर मंत्री के तौर पर जगह दी गई है।
2. गजेंद्र सिंह खींवसर : वसुंधरा राजे खेमे के गजेंद्र सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाकर एकजुटता का मैसेज
गजेंद्र सिंह खींवसर वसुंधरा राजे की दोनों सरकारों में मंत्री रहे। पिछली वसुंधरा सरकार में वे कैबिनेट मंत्री थे, उन्हें दूसरी बार कैबिनेट मंत्री बनाया है। गजेंद्र खींवसर को वसुंधरा राजे का नजदीकी माना जाता है। मारवाड़ के सियासी समीकरणों को साधने के अलावा उन्हें मंत्री बनाकर पार्टी के अंदरूनी समीकरणों को भी साधा गया है। इससे एकजुटता का मैसेज दिया गया है। खींवसर की छवि पार्टी के सौम्य राजपूत चेहरे के तौर पर रही है। दो बार मंत्री रहने के कारण प्रशासनिक अनुभव है।
3. राज्यवर्धन सिंह राठौड़ : राजधानी जयपुर से चौथे नेता, जो कैबिनेट में
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ केंद्र में मंत्री रहे हैं। दो बार सांसद रहे। पहली बार विधायक बने और कैबिनेट मंत्री बनाकर दो मैसेज दिए गए हैं। पूर्व फौजी अफसर और ओलंपिक चैंपियन को कैबिनेट मंत्री बनाकर मैसेज दिया है। जातीय समीकरणों के हिसाब से भी राजपूत वर्ग से एक उभरते चेहरे को महत्व देने का मैसेज दिया है। उन्हें हाईकमान का नजदीकी माना जाता है। राजधानी से वे चौथे नेता हैं जो कैबिनेट में हैं। सीएम भजनलाल, डिप्टी सीएम दिया कुमारी, प्रेमचंद बैरवा के बाद वे चौथे चेहरे हैं जो जयपुर से हैं।
4. बाबूलाल खराड़ी : कच्चे घर में रहने वाले बाबूलाल खराड़ी को मंत्री बनाकर नया मैसेज
झाड़ोल से विधायक बाबूलाल खराड़ी को मंत्री बनाकर आदिवासी इलाके के लोगों को एक मैसेज दिया गया है कि उनके जैसे ही आम आदमी को मंत्री बनाया है। खराड़ी अब भी कच्चे घर में रहते हैं। पिछली बार उन्हें राजस्थान विधानसभा का सर्वश्रेष्ठ विधायक चुना गया था। उनकी गिनती आदिवासी इलाके के जागरूक और ग्रासरूट से जुड़े नेता के तौर पर होती है।
5. मदन दिलावर :मुखर दलित हिंदुवादी चेहरा, आरएसएस की पसंद
मदन दिलावर की गिनती बीजेपी में मुखर हिंदुवादी चेहरे की रही है। बेबाक और उग्र रूप से बोलने के लिए जाने जाते हैं। पार्टी का प्रमुख दलित चेहरा है। भैरासिंह शेखावत सरकार और वसुंधरा राजे सरकार में मंत्री रह चुके हैं। विधानसभा में विपक्ष में रहते हुए काफी मुखर रहते आए हैं। आरएसएस से जुड़े रहे हैं और दूसरे हिंदुवादी संगठनों में भी लगातार सक्रिय रहे हैं। दिलावर पार्टी के प्रमुख दलित चेहरे हैं, हाड़ौती के सियासी समीकरण साधे गए हैं।
6. जोगाराम पटेल : पटेल वोट बैंक को साधने का प्रयास
मारवाड़ में पटेल समाज के मुखर और पढ़े लिखे चेहरे के तौर पर मौका दिया गया है। आंजना, पटेल बीजेपी का वोट बैंक माना जाता है। हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील रहे हैं। मारवाड़ में पार्टी के वोट बैंक और ओबीसी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने का मैसेज है। पटेल वसुंधरा राजे सरकार के समय संसदीय सचिव रहे हैं। उन्हें संसदीय मामलों का अच्छा जानकार माना जाता है।
7. सुरेंद्र पाल टीटी : पहली बार चलते चुनाव में किसी को मंत्री बनाया, चुनाव आयोग से राय ली गई थी
चलते चुनाव में किसी उम्मीदवार को मंत्री बनाकर देश में नया उदाहरण पेश कर दिया है। श्रीकरणपुर सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार गुरमीत कुन्नर के निधन के बाद वहां चुनाव रद्द हो गया था, सीट पर 5 जनवरी को वोटिंग है। सुरेंद्र पाल सिंह टीटी श्रीकरणपुर से बीजेपी के उम्मीदवार है और अब राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बन गए हैं। जानकारों के मुताबिक देश में चलते चुनाव के दौरान किसी को मंत्री बनाए जाने का पहला मामला है। इस मामले में कानून मौन है, नैतिकता के हिसाब से चलते चुनाव में मंत्री बनाए जाने पर सवाल उठ सकते हैं, लेकिन कानून मौन होने से यह वैधानिक रूप से गलत नहीं है। बीजेपी ने इसे लेकर चुनाव आयोग और वरिश्ठ कानूनी जानकारों से भी राय ली थी।
मीणा, चौधरी और गोदारा भी कैबिनेट मंत्री बने
विधायक हेमंत मीणा, कन्हैयालाल चौधरी और सुमित गोदारा ने भी बतौर कैबिनेट मंत्री शपथ ली है. उसके बाद संजय शर्मा ने स्वतंत्र प्रभार के मंत्री के रूप में शपथ ली. गौतम कुमार दक ने भी राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार की शपथ ली है.
22 में से 16 मंत्री पहली बार के, 12 में से 9 पहली बार कैबिनेट मंत्री बने
भजनलाल मंत्रिपरिषद के आज पहले विस्तार में बनाए गए 22 मंत्रियों में से 16 पहली बार मंत्री बने हैं। 12 कैबिनेट मंत्रियों से 8, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्रियों में से चार और 5 राज्य मंत्रियों में से चार पहली बार मंत्री बने हैं। अगर सीएम और दो डिप्टी सीएम को भी मिला लिया जाए तो 25 में से 20 पहली बार के मंत्री हैं।
12 में से 9 कैबिनेट मंत्री पहली बार
राज्यवर्धन सिंह राठौड़, जोगाराम पटेल, बाबूलाल खराड़ी, सुरेश सिंह रावत,अविनाश गहलोत,जोराराम कुमावत, हेमंत मीणा,कन्हैयालाल चौधरी, सुमित गोदारा।
स्वतंत्र प्रभार वाले 5 में से 4 पहली बार मंत्री :
संजय शर्मा, गौतम कुमार दक, झाबर सिंह खर्रा, हीरालाल नागर
6 बार के विधायक, दो बार लोकसभा और एक बार रहे राज्य सभा सांसद
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा सवाईमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक है। वे सवाईमाधोपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार जीते हैं। दोनों बार ही वे भाजपा के टिकट पर जीते हैं। इन्होंने यहां से पहला चुनाव 2003 में लड़ा और विधायक बने। 2003 से 2007 तक भाजपा सरकार में केबिनेट मंत्री रह चुके हैं। तब इनके पास खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग, आपदा प्रबंधन एवं सहायता और श्रम विभाग व योजना था। इनका जन्म 3 नवंबर 1951 को हुआ। ये पेशे से चिकित्सक हैं। ये दौसा जिले की महवा तहसील के रहने वाले हैं।
राजनीतिक कॅरियर
डॉ. किरोड़ीलाल मीणा सवाईमाधोपुर क्षेत्र से तीसरी बार जीते हैं। सबसे पहले ये 1989 से 1991 तक सवाईमाधोपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद रहे। इसके बाद ये 2003 से 2008 तक सवाईमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने। इस बार फिर तीसरी बार ये सवाईमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने हैं। हालांकि उनके राजनैतिक कॅरियर की बात की जाए तो अब तक वे दो बार लोकसभा सांसद, एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। वहीं पांच बार विधायक रह चुके हैं। इनमें 1985 से 1989 तक महवा विधानसभा क्षेत्र, 1998 से 2003 तक बामनवास, 2003 से 2008 सवाईमाधोपुर विधानसभा क्षेत्र, 2008 से 2009 तक टोडाभीम और 2013 से 2017 तक लालसोट से विधायक रहे हैं।