साध्वी ज्योति श्री जी ने अध्यात्म की ज्योति जलाकर अपना पथ प्रकाशित कर दिया


- तेरापंथी सभा ने स्मृति सभा आयोजित कर श्रद्धा सुमन अर्पित किए
गंगाशहर , 8 मार्च। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कुमलकुमार एवं मुनिश्री श्रेयांस कुमार, केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी विशद प्रज्ञा , साध्वी श्री लब्धियशा ,साध्वी श्री ललितकला के सान्निध्य में शासन श्री साध्वी ज्योतिश्री जी की स्मृति सभा गंगाशहर सेवाकेन्द्र शान्तिनिकेतन में रखी गई।



मुनि श्री कमल कुमार स्वामी ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा- जो सदा तप, जप, ध्यान, स्वाध्याय में लीन रहता है वह अपने आप में लीन रहता है। । जो अपने में लीन रहता है उसके कर्म क्षीण होते हैं।उन्होंने कहा कि साध्वी ज्योति श्री जी ने अध्यात्म की ज्योति जलाकर अपना पथ प्रकाशित कर दिया। मुनिश्री ने साध्वी श्री की स्मृति में चार लोगस्स सूत्र का ध्यान करवाकर सादर श्रद्धांजलि अर्पित की।


केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशदप्रज्ञा ने कहा – संत वह होता है जो शांत होता है। जो शांत होता है उनके चारों गतियों का अंत होता है। साध्वी ज्योति श्री जी ने उपशम कषायी होकर संसार भ्रमण को सीमित कर लिया। साध्वी ललितकला जी ने कहा- हीरा कहीं भी रहे उसकी कीमत घटती नहीं है । संत जहां भी रहे, जहां भी जाए, सबका भला होता हो। साध्वी लब्धियशा ने कहा कि साध्वी ज्योतिश्री का बाहरी सौंदर्य के साथ-साथ आन्तरिक सौन्दर्य भी अनुपम था। सहज, सरलता, अनासक्त , निर्लिप्तता, शांत सहवास ,मृदु भाषी, स्मित वदन उनकी पहचान थी। इस अवसर पर शासन श्री साध्वी कुन्थु श्री , शासन श्री साध्वी मंजु रेखा , साध्वी श्री प्रांजल प्रभाजी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन साध्वी श्री सुमंगला श्री व गीत का संगान पवन छाजेड़ ने किया। साध्वी मृदुलाजी, साध्वी ध्रुवरेखाजी व समणी चैतन्य प्रज्ञा ने अपने विचार रखे। साध्वी वृंद ने समूह गीतिका की सुन्दर प्रस्तुति दी। इसी क्रम में तेरापंथी महासभा के संरक्षक व तेरापंथ न्यास के ट्रस्टी जैन लूणकरण छाजेड़ , महासभा के कार्यकारिणी सदस्य भैंरूदान सेठिया , तेरापंथी सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ,तेयुप के उपाध्यक्ष ललित राखेचा , परिवार की तरफ से उपासक इंदरचंद बैद ने श्रद्धांजलि अर्पित की। संचालन मीनाक्षी आंचलिया ने किया।