चिन्तक व विधिवेता डॉ. पन्ना लाल हर्ष ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा

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  • 34 वर्ष पूर्व जो चिन्तन दिया वो आरक्षण पर हाल ही में आए फैसले में नजर आया

बीकानेर , 5 अगस्त। आरक्षण पर हाल ही में आए फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए बीकानेर के शिक्षाविद व चिंतक डॉ पी.एल. हर्ष ने भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश माननीय डॉ. न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़, को पत्र लिखकर अपनी भावनाएं व्यक्त की है।

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उन्होंने पत्र में लिखा है कि मुझे उम्मीद है कि यह पत्र आपको अच्छे स्वास्थ्य और उत्साह से भरा हुआ मिलेगा। मैं भारत के एक जागरूक नागरिक के रूप में आपको आरक्षण के मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा हाल ही में दिए गए एस.सी.-एस.टी. पर फैसले के बारे में अपने विचार और चिंताएं व्यक्त करने के लिए लिख रहा हूं।

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डॉ हर्ष ने लिखा कि सबसे पहले, मैं हमारे संविधान में निहित न्याय और समानता के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका की निरंतर प्रतिबद्धता की सराहना करना चाहूंगा। हाल ही में आए फैसले ने समाज के विभिन्न वर्गों में महत्वपूर्ण बहस और चर्चा को जन्म दिया है, जिसने इस मुद्दे की जटिलता और संवेदनशीलता को उजागर किया है।

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डॉ. पन्ना लाल हर्ष ने लगभग 34 वर्ष पूर्व प्रकाशित अपने आलेख का हवाला दिया है जिसमे ये सभी बातें लिखी गयी थी। उन्होंने लिखा कि उपरोक्त निर्णय के संबंध में कृपया अपना ध्यान मेरे संलग्न लेख की ओर आकर्षित करें, जो 34 वर्ष से अधिक समय पहले (जनवरी 1990) नई-शिक्षा (मासिक पत्रिका) में प्रकाशित हुआ था। लेख की प्रति आपके अवलोकनार्थ संलग्न है। उस समय मैंने अपने लेख में सभी चार बिंदुओं का सुझाव दिया था और एक विधि छात्र होने के नाते, यह मेरे लिए सबसे खुशी का क्षण है कि मेरे लेख में सुझाए गए विषयों को आपके द्वारा 74 वर्ष की आयु में घोषित किया गया है।

डॉ हर्ष विधिवेता भी है ने लिखा कि मेरा मानना ​​है कि आरक्षण नीति के प्रति घोषित और समावेशी दृष्टिकोण हमें न्यायपूर्ण और समतापूर्ण समाज के दृष्टिकोण के करीब ले जाने में मदद करेगा। मुझे विश्वास है कि माननीय न्यायपालिका अपने विचार-विमर्श में हमारे समाज के सभी वर्गों के विविध दृष्टिकोणों और आकांक्षाओं पर विचार करना जारी रखेगी।

इस मामले पर आपका ध्यान देने के लिए धन्यवाद। मुझे हमारी न्यायिक प्रणाली की बुद्धिमत्ता और ईमानदारी पर पूरा भरोसा है और आशा है कि इस मुद्दे पर भविष्य में होने वाले विचार-विमर्श में भी यही बात प्रतिबिंबित होगी।

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