परम श्रद्धेय श्रीरामसुखदासजी महाराज की तपोस्थली पर गूंज रहे श्लोक, हजारों बच्चे सीख रहे गीता पाठ

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50 हजार से अधिक बच्चे जुड़ रहे गीता अध्ययन से, स्कूलों, मोहल्लों में ग्रीष्मकालीन शिविर व अन्य शहरों में ऑनलाइन मिल रहा प्रशिक्षण

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बीकानेर, 22 जून । बच्चों में संस्कारों का संचार हो और गीता का संदेश घर-घर पहुंचे इसी उद्देश्य से विगत तीन वर्षों से गीता पाठ अध्ययन व अभ्यास का प्रशिक्षण करवाया जा रहा है। यह उद्गार उदयरामसर स्थित मुरलीमनोहर धोरा पर श्री श्यामसुंदरदासजी महाराज ने व्यक्त किए। श्री श्यामसुंदरदासजी महाराज ने बताया कि परम श्रद्धेय श्रीरामसुखदासजी महाराज की इस तपोस्थली पर एकादशी के विशेष अवसर पर गीता के सम्पूर्ण अध्यायों का वाचन किया गया।

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कार्यक्रम में वृंदावन के श्री नवलरामजी महाराज का सान्निध्य रहा। गीता के सभी श्लोक कंठस्थ करने व संबंधित प्रश्नों के सभी जवाब सही देने पर हर्षिता सुथार को साइकिल व नंदनी सोनी को नगद राशि पुरस्कार प्रदान किया गया। इसी क्रम में उमा सुथार व रिद्धिमा सुथार को सिल्वर मेडल दिए गए। श्री श्यामसुंदरदासजी महाराज ने बताया कि श्री नवलरामजी महाराज परम श्रद्धेय श्री रामसुखदासजी महाराज के साथ रहते थे और आज धोरे पर हजारों विद्यार्थियों को गीता अध्ययन करते देख उनका मन प्रफुल्लित हो उठा।

135 स्कूलों में और 17 शिविरों के माध्यम से सीख रहे गीता पाठ

आयोजन समिति के मुकेश अग्रवाल ने बताया कि गत तीन वर्षों में 50 हजार से अधिक विद्यार्थी गीता क्लासेज से जुड़ चुके हैं। वर्तमान में 135 स्कूलों में 60 अध्यापकों द्वारा गीता क्लास लगाई जा रही है। इसी तरह पारीक चौक, चोपड़ा बाड़ी, नत्थूसर बास, लालगढ़, उदयरामसर, गंगाशहर, किसमीदेसर, गीता रामायण पाठशाला, सुजानदेसर सहित विभिन्न क्षेत्रों में ग्रीष्मकालीन शिविर आयोजित कर 16 अध्यापकों द्वारा 17 शिविरों में गीता पाठ के अध्ययन करवाए जा रहे हैं। इसके अलावा जूम मीट पर भी वर्चुअल प्रशिक्षण से मुम्बई, बैंगलोर, अहमदाबाद आदि क्षेत्रों के बच्चे भी लाभान्वित हो रहे हैं।

18 अध्याय याद होने पर मिलती है साइकिल

प्रत्येक रविवार को सुबह 10 से दोपहर 2 बजे तक गीता क्लास लगाई जाती है जिसमें श्री श्यामसुंदरदासजी महाराज व किशनजी महाराज के सान्निध्य में हजारों विद्यार्थियों को गीता के पाठ सिखाए जाते हैं। इसके अलावा हर एकादशी को सम्पूर्ण गीताजी के पाठ का वाचन होता है और प्रत्येक मंगलवार को संगीतमय सुंदरकांड पाठ के आयोजन होते हैं। खास बात यह है कि 9 अध्याय कण्ठस्थ होने पर सिल्वर मेडल और 18 अध्याय याद होने पर पुरस्कार में साइकिल अथवा नगद राशि प्रदान की जाती है। इसके बाद गीता माधुर्य याद करने पर विष्णु भगवान का बड़ा विग्रह उपहार स्वरूप दिया जाता है। गत वर्ष 9 हजार बच्चों को प्रशिक्षण मिला और 70 से अधिक बच्चों को सिल्वर मेडल तथा 3500 बच्चों को प्रमाण पत्र दिए गए हैं।

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