दीपावली का त्रिदिवसीय कार्यक्रम आयोजित हुआ
चेन्नई , 2 नवम्बर। आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्रीजी के सान्निध्य में “दीपावली का त्रिदिवसीय” कार्यक्रम आयोजित हुआ। साध्वी श्री डॉ गवेषणाश्रीजी ने कहा- जैन धर्म में दीपावली का संबंध भगवान महावीर से जुड़ा हुआ है। यह पर्व दीपों का, उजालों का पर्व है।
भगवान महावीर तीस वर्ष तक विदेह रखकर गृहवास में रहे। देह के होते हुए भी विदेह में रहे। साढ़े बारह वर्षों तक उनका साधना काल रहा। उस साधनाकाल में अनेक संघर्ष उपसर्ग आदि आये पर भगवान महावीर उसमें आडिग रहे। जीवन के संध्याकाल में संलेखना स्वीकार कर ज्योति – ज्योति में विलीन हो गयी। साध्वी श्री मयंक प्रभा जी ने कहा- भगवान की अंतिम देशना रूप उत्तराध्ययन का वाचन इन दिनों में विशेष रूप से किया जाता है। साधारणतया लोग इन पुनीत अवसर पर लक्ष्मी, कुबेर आदि की भी पूजा करते है।
आज के दिन ही धन्वंतरी का जन्म हुआ था, राम अयोध्या में 14 वर्षों का वनवास पूर्ण करके आज अमावस्या के दिन ही आये थे।साध्वी श्री मेरुप्रभा जी ने सुमधुर गीतका प्रस्तुत की l साध्वी श्री दक्षप्रभाजी के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरुआत हुईं । 13 घंटो का अखंड जप भगवान महावीर और गौतम स्वामी का चला। प्रवचन के मध्य भी भगवान महावीर का जप हुआ।