वीर चक्र शहीद रफीक खान के 74वे जन्मदिवस पर श्रद्धा सुमन
वीरभूमि राजस्थान, बीकानेर ज़िले के सिपाही समाज ,बांदरों का बास के वीर सपूत रफीक खान का जन्म रुखमा बानो की कोख से 27 दिसंबर 1949 को किसान परिवार में हुआ था । वतन पर जां निछावर करने वाले शहीद को जात धर्म के नाम से याद नही किया जाना चाहिए,शहीद के 74 वें यौमे पैदाईश पर अकीदत से याद करते हुए उनको श्रद्धांजली अर्पित करते हैं।
ग्रेनेडियर शहीद रफीक खान 1971 भारत पाक युद्ध के जांबाज देशभक्त देश की पूर्वी सीमा पर तैनात थे ।नवंबर 1971 के दौरान, युद्ध के आसन्न होने के कारण, Gdr रफीक खान की यूनिट 5 ग्रेनेडियर्स को पूर्वी क्षेत्र में तैनात किया गया था। हालांकि कई इलाकों में रुक-रुक कर झड़पें जारी थीं। ऐसा ही एक ऑपरेशन 5 ग्रेनेडियर्स बटालियन द्वारा किया गया था। Gdr रफीक खान को दुश्मन की चौकी पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था। दुश्मन की चौकी पर जीडीआर रफीक खान और उसके साथियों द्वारा सफलतापूर्वक कब्जा कर लिया गया था लेकिन अलग-अलग दुश्मन सैनिकों द्वारा प्रतिरोध छोटे-छोटे इलाकों में जारी रहा।
दुश्मन ने 5 ग्रेनेडियर्स के सैनिकों को हताहत करना जारी रखा। जीडीआर रफीक खान ने देखा कि बंकर में स्थित एक विशेष रूप से दुश्मन ,लाइट मशीन गन से हताहत कर रही थी। जीडीआर रफीक खान ने महसूस किया कि दुश्मन को किसी भी कीमत पर हलाक कराना होगा जीडीआर रफीक खान आगे बढ़े और बंकर की ओर एक हथगोला फेंका, जो बाहर ही फट गया, निडर होकर उसने एक और हथगोला फेंका और दुश्मन की लाइट मशीन गन को धराशाही कर दिया। ये काम बहादुरी का था इससे दुश्मनों के हौसले पस्त हो गए,हालांकि ऐसा करते समय वह लाइट मशीन गन के फटने की चपेट में आ गया और गंभीर रूप से घायल हो गया। जंग में उनके साथ के लोगो ने बताया कि वह जख्मी हालात में भी अपने साथियों को कंधे पर लाद के भारतीय सीमा में वापस लाए । दुश्मनों के ठिकानों को धराशाही करते हुए रफीक खान 14 नवंबर 1971 को वीर गति को प्राप्त हो गए।
तत्कालीन राष्ट्रपति महोदय ने मरणोपरांत शहीद रफीक खान को वीर चक्र प्रदान किया । वीर चक्र रफीक खान की शहादत पर बीकानेर को नाज़ है,राजस्थान सरकार ने वीर चक्र रफीक खान को शहीद हुए 52 वर्ष हो जाने के बाद भी शहीद के नाम सेअन्य शहीदो के नाम से स्कूल ,चौराहा आदि का नामकरण किया गया वीर चक्र शहीद रफीक खान के नाम से नहीं किया जाना जिला प्रशासन व सरकार की उदासीनता दर्शाता है।
शहीद मरते नहीं, शहीद आज भी ज़िंदा है वीर चक्र शहीद की शान में पेश है
“शहीद आज भी जिन्दा हैं”
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सरहद पर शहीद होने वाले ,शहीदों को सलाम ।
रफ़ीक़ की शहादत से समाज आज भी जिन्दा है।।
शहीदों की कुर्बानियों को ,हम भुला सकते नहीं ।
शहीद मरते नहीं वे तो शहीद आज भी जिन्दा हैं ।।
इतिहास भरा पड़ा है , शहादत की कहानियों से ।
शहीदों की शहादत के किस्से आज भी जिन्दा है ।।
मरने को तो मरते हैं सभी,जो भी आए हैं दुनिया में ।
“रफ़ीक़”जैसे हजारों हुए शहीद ,आज भी जिन्दा हैं ।।
देश की आजादी के खातिर,फन्दे पे भी झूले हैं शहीद ।
वतन पर मर मिटने वाले ,वीर शहीद आज भी जिन्दा हैं ।।
वतन की राह में वतन पे ,कुर्बान होने वाले जाँबाज शहीद।
वतन परस्त वतन के नौजवान,जाँबाज आज भी जिन्दा हैं।।
धन्य है , देश के शहीदों को जन्म देने वाली माँ को सलाम।
जांबाज देशभक्तों की शहादत से, वो माँ आज भी जिन्दा है।।
कौम व् वतन को नाज़ है वीर चक्र “रफ़ीक़” की शहादत पर ।
ए “नाचीज़” वतन पे न्योछावर होने वाले, आज भी जिन्दा हैं ।।
– मईनुदीन कोहरी “नाचीज़” बीकानेरी