आचार्य महाप्रज्ञ के महाप्रयाण दिवस पर दो दिवसीय भावांजलि कार्यक्रम आयोजित


- आचार्य श्री महाप्रज्ञ सर्कल पर पहली बार मनाया महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस
गंगाशहर , 24 अप्रैल। तेरापंथ धर्म संघ के 10 वें आचार्य आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का 16 वां महाप्रयाण दिवस आज बोथरा भवन गंगाशहर में उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के सानिध्य में आयोजित हुआ। कार्यक्रम में बोलते हुए मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का सबके साथ मैत्री का संबंध था। बड़े-बड़े विद्वान लोग साहित्यकार, चिंतक एवं सरकारी अधिकारी, डॉक्टर, वकील, इंजीनियर, आदि प्रोफेशनल लोग आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के विचारों और साहित्य से प्रभावित होकर अपने जीवन का रूपांतरण करने में लग गए । राष्ट्रपति डॉक्टर अब्दुल कलाम आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के अनन्य भक्त थे। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम और आचार्य महाप्रज्ञ ने मिलकर “सुखी परिवार समृद्ध राष्ट्र” नाम की पुस्तक लिखी है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी को ज्ञान का अहंकार नहीं था। किसी तरह का विकार नहीं था। योगीराज थे। आचार्य श्री तुलसी ने अपने जीवन काल में ही युवाचार्य महाप्रज्ञ को आचार्य के रूप में नियुक्त किया था। आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञ जी मानो दो शरीर एक आत्मा थी। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी में विद्या, विनय, विवेक और समर्पण का गजब का अनुपम योग था। करुणा और वात्सल्य के सागर थे। उन्होंने कहा कि शरीर में उत्पन्न होने वाले कष्ट को समता से सहन करना ही धर्म है ।




मुनि श्री श्रेयांश कुमार जी ने कविता और गीतिका के माध्यम से अपनी भावांजलि व्यक्त की। इस अवसर पर मुनि श्री प्रमोद कुमार जी ने कहा तेरापंथ धर्म संघ भाग्यशाली, यशस्वी व पुण्यशाली धर्म संघ है। यहां सभी आचार्य गुण संपन्न, आचार संपन्न व विचार संपन्न हुए। मुझे गर्व है कि आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के कर कमलों से मुझे संयम जीवन प्राप्त हुआ। मेरी दीक्षा जलगांव में हुई। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी अनुकम्पा के सागर थे। मनोयोग, वचन योग व कर्म योग सभी योगो में उनकी करुणा झलकती थी । आचार्य प्रवर सरस्वती के वृहद् पुत्र थे । उनकी वाणी व कलम में सरस्वती थी। उन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की। आगम साहित्यों की टीका, भाष्य बहुत लिखा। जन – जन उनके साहित्य से बहुत प्रभावित हुआ। उनका साहित्य मौलिक था । उनके प्रवचन आज भी लोग सुनते हैं। आचार्य तुलसी हमेशा कहा करते थे कि आचार्य महाप्रज्ञ जी अतिन्द्रिय चेतना के धनी है। उनकी अंतर दृष्टि जागृत है। आचार्य महाप्रज्ञ जी ने अध्यात्म और विज्ञान का समन्वय किया।


मुनि श्री विमल विहारी जी ने कहा कि तनाव मुक्त जीवन जीने के लिए पूरे संसार को प्रेक्षा ध्यान का अवधान दिया। आज अशांत विश्व के लिए प्रेक्षा ध्यान की आवश्यकता है। विश्व में शांति और सद्भावना प्रेक्षा ध्यान से संभव है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी ने अपनी भाषा से आगमों को बहुत सरल बना दिया । हर कोई व्यक्ति उनके साहित्य को उनके उपदेशों को सुनकर, पढ़कर अपने जीवन को रूपांतरित कर सकता है। और कर्मों की निर्जरा करते हुए मोक्षगामी बन सकता है।
इस अवसर पर बोलते हुए मुनि श्री नमि कुमार जी ने कहा कि मुझे 2007,8 व 9 में कुछ सेवा करने का मौका मिला। 2009 को मुझे कुछ ऐसा शब्द फरमाया जिससे मेरे अन्दर वैराग्य के बीजों का अंकुरणों का प्रस्फुटन हुआ। जो आगे जाकर 2016 में मुझे आचार्य श्री महाश्रमण जी के कर कमल से दीक्षा हुई । इस अवसर पर मुनि मुकेश कुमार जी ने गीतिका का संगान किया।
इस अवसर पर बुधवार को आयोजित हुए आचार्य महाप्रज्ञ भावांजलि कार्यक्रम में रेखा चौरड़िया , किरण देवी छाजेड़, राजेन्द्र बोथरा, कमल भंसाली, मोहन भंसाली, धर्मेन्द्र डाकलिया, विजय महात्मा, श्रीमती मीनाक्षी आंचलिया, दीपक आंचलिया, श्रीमती संजू लालाणी, जैन लूणकरण छाजेड़, जतनलाल संचेती, जतनलाल दूगड़, धीरेन्द्र बोथरा आदि वक्ताओं ने अपनी भावनाओं को कविता, मुक्तक, गीतिकाओं, वक्तव्य के माध्यम से व्यक्त करते हुए आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किये।
आचार्य श्री महाप्रज्ञ सर्कल पर पहली बार मनाया महाप्रज्ञ महाप्रयाण दिवस
आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के 16 महाप्रयाण दिवस के अवसर पर आज प्रातः 6: 00 बजे चौरड़िया चौक में स्थित महाप्रज्ञ स्तंभ में श्री उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी के सानिध्य में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ मुनिश्री ने इस अवसर पर “ऊँ महाप्रज्ञ गुरुवे नमः ” का जाप करवाया । तत्पश्चात मुनि श्री ने आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के द्वारा मानवता को दिए गए अवधानों को जन-जन तक पहुंचाने का आह्वान किया । प्रेक्षा ध्यान जीवन विज्ञान और सत् साहित्य से जुड़कर हम विश्व का आध्यात्मिक कल्याण कर सकते हैं। सभी को जप तप स्वाध्याय करने की प्रेरणा प्रदान दी ।
दो दिवसीय एक्यूप्रेशर चिकित्सा शिविर का शुभारंभ
श्री महाप्रज्ञ प्रेक्षा योग आरोग्य केंद्र द्वारा आयोजित दो दिवसीय एक्यूप्रेशर चिकित्सा शिविर का शुभारंभ नथमल जी जुगराज बणोट के निवास स्थान पर मुनिश्री के मंगल पाठ से हुआ। इस अवसर पर मुनि श्री ने ध्यान योग एवं भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की विशेषता बताते हुए एक्यूप्रेशर चिकित्सा से स्वास्थ्य लाभ लेने की प्रेरणा दी । फिजियोथैरेपिस्ट सत्य प्रकाश सांखला द्वारा सभी का आभार व्यक्त किया गया।