गांव की बेटी न्यूजीलैंड में बनी पायलट, पिता राजस्थान में करते फर्नीचर का काम

जोधपुर, 27 नवम्बर। हाल ही में जोधपुर के बालेसर की रहने वाली काजल का तिबणा इंडिगो में पायलट के पद पर चयन हुआ। वह न्यूजीलैंड में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद वापस इंडिया लौटी। इंडिया लौटने पर उसका जगह-जगह स्वागत किया गया। इतना ही नहीं गांव में एक सम्मान समारोह भी आयोजित किया गया।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

पिता फर्नीचर करते हैं काम
काजल सुथार की उम्र केवल 22 साल है। जिसके पिता फ़ताराम मुंबई में फर्नीचर और मार्बल का काम करते हैं। काजल के पिता पिछले कई सालों से मुंबई में रहते हैं। काजल बताती है कि बचपन में ही उसे शौक चढ़ गया था कि वह एक दिन पायलट जरूर बनेगी। आज उसका यह सपना पूरा हो चुका है।

mmtc
pop ronak

रोजाना 12 से 13 घंटे तक की करती थी पढ़ाई
काजल बताती है कि यह मुकाम हासिल करने के लिए उसने रोजाना 12 से 13 घंटे तक पढ़ाई की। न्यूजीलैंड में पढ़ाई और ट्रेनिंग के दौरान वह कई बार इतनी ज्यादा व्यस्त हो जाती कि समय पर खाना भी नहीं खा पाती। और कई बार कुछ दिन ऐसे भी चले जाते जब वह बिना खाना खा ही रह जाती।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

गांव की बेटी आसमान में उड़ाएगी प्लेन
क्योंकि मन में एक ही सपना था कि अब चाहे कुछ भी हो पायलट ही बनना है। जब काजल पायलट बनने के बाद गांव में लौटी तो गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। गांव के लोगों का कहना है कि पहली बार गांव की बेटी आसमान में एयरप्लेन उड़ाएगी।

राजस्थान के युवा बन रहे पायलट
आपको बता दें कि राजस्थान में युवक और युवतियां एयर होस्टेस के पद पर तो चयनित होते हैं लेकिन कुछ मात्रा ही ऐसे होते हैं जो पायलट पद के लिए पढ़ाई और पूरी ट्रेनिंग कर पाते हैं ऐसे में आज भी इस क्षेत्र में राजस्थान के युवा कम ही नौकरी लग पाते हैं।

 

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *