वारसी नाम है मुहब्बत का’ ग़ज़ल संग्रह का जयपुर में लोकार्पण हुआ
बीकानेर के वरिष्ठ शायर क़ासिम बीकानेरी ने मुख्य अतिथि के तौर पर शिरकत की
बीकानेर , 7 नवंबर। जयपुर के नौजवान शाइर शफ़ीक़ अहमद वारसी ‘शफ़ीक़’ के राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर के आर्थिक सहयोग से राष्ट्रीय कवि चौपाल प्रकाशन बीकानेर द्वारा प्रकाशित पहले ग़ज़ल संग्रह ‘वारसी नाम है मुहब्बत का’ का बज़्मे जलील जयपुर द्वारा भव्य लोकार्पण समारोह जयपुर के रामगंज स्थित नवाब कल्लन की हवेली में संपन्न हुआ।
प्रज्ञालय संस्थान के वरिष्ठ शिक्षाविद् राजेश रंगा ने बताया कि लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता जयपुर के वरिष्ठ शायर इनाम ‘शरर’ ने की। मुख्य अतिथि के तौर पर बीकानेर के प्रसिद्ध शायर क़ासिम बीकानेरी ने शिरकत की। विशिष्ट अतिथि के रूप में जयपुर के वरिष्ठ शायर सुरूर ख़लीक़ी और माहिर शैदाई मौजूद थे।
रंगा ने बताया कि इस मौक़े पर महफ़िले-मुशाएरा आयोजित किया गया। जिसमें लगभग 30 शाइरों एवं शाइरात ने अपने उम्दा कलाम के जरिए शफ़ीक़ अहमद वारसी को अपनी नेक दुआओं से नवाज़ा।
नगर के प्रसिद्ध शाइर क़ासिम बीकानेरी ने शफ़ीक़ अहमद वारसी को इस नज़्म के ज़रिए अपने नेक दुआओं से नवाज़ा-
ये सिला है तेरी अक़ीदत का
और तोहफ़ा है नेक नीयत का
रंग हैं इसमें हुस्नो-उल्फ़त के
और रंगीन हैं फ़ज़ाएं भी
वारसी नाम है मुहब्बत का।
साथ ही क़ासिम बीकानेरी ने अपनी ताज़ा ग़ज़ल के इन अशआर के ज़रिए सामईन को लुत्फ़ अंदोज़ कर दिया-
जिस पर फ़िदा हैं आज ये लम्हे बहार के/जलवे बयान कैसे हों उस हुस्ने-यार के।
दिल में बसा के रक्खी है तस्वीर यार की/हमको कभी न देखोगे कूचे में यार के।
शाइर क़ासिम बीकानेरी ने लोकार्पित पुस्तक ‘वारसी नाम है मुहब्बत का’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शफ़ीक़ अहमद वारसी का ग़ज़ल संग्रह उनकी अक़ीदत और मुहब्बत का एक बेहतरीन नमूना है, जिसमें ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ रंग नज़र आते हैं। उनकी शाइरी में रूहानियत के दर्शन होते हैं।