अरविंद केजरीवाल द्वारा इस्तीफे का ऐलान क्यों ?

सुप्रीम कोर्ट की शर्तों ने बांध दिए थे दिल्ली सीएम के हाथ

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नई दिल्ली, 15 सितम्बर। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देने की घोषणा की है वो 48 घंटे बाद सीएम की कुर्सी छोड़ देंगे। उन्होंने यह फैसला जेल से बाहर आने के बाद किया है। वो दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े मामले में जेल में बंद थे। उनके सामने यह नौबत क्यों आई है इसके पीछे के कारणों में जाएं तो आबकारी घोटाले ऐसा मामला है जिसने AAP की छवि को नुकसान पहुंचाया।

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उन्होंने आम आदमी पार्टी के मुख्यालय में कहा, “मैं सीएम की कुर्सी से इस्तीफ़ा देने जा रहा हूं और मैं तब तक सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा जब तक जनता अपना फ़ैसला न सुना दे.”

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अरविंद केजरीवाल दो दिनों के बाद अपना इस्तीफ़ा देंगे. उन्होंने कहा है कि जब तक जनता उनको इस पद पर बैठने के लिए नहीं कहेगी, तब तक वो फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे.

साढ़े पांच महीने से अधिक समय तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब जेल से बाहर आए हैं तो उन्होंने पद से दो दिन बाद इस्तीफा देने की घोषणा कर दी है। उनके सामने यह नौबत क्यों आई है, इसके पीछे के कारणों में जाएं तो आबकारी घोटाले ऐसा मामला है, जिसने आम आदमी पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचाया है।

मनीष सिसोदिया के साथ-साथ केजरीवाल भी इसी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पांच माह से अधिक समय तक जेल में रहे हैं और उन्हें बहुत कठिनाइयों के बाद सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल सकी है। उसमें भी कोर्ट से प्रतिबंध लगाए हैं।

 

क्या है आबकारी घोटाला, आइए डालते हैं इस पर एक नजर...

यह बात 2021 की है, जब दिल्ली सरकार ने नई आबकार नीति लागू की थी, सरकार ने इस नीति के माध्यम से राजस्व बढ़ाने का दावा किया था। नीति लागू हो गई थी, दिल्ली वालों को सस्ते में शराब मिल रही थी।

आधे दामों में मिलती थी शराब
उस साल मार्च आते-आते आधे दाम पर भी लोगों को शराब मिली थी। इस नीति में एक नया प्रयोग यह किया गया था कि इस नीति में शराब बेचने का काम निजी कंपनियों को सौंपा गया था। वहीं, यही वह मुद्दा था जो केजरीवाल ही नहीं पूरी आम आदमी पार्टी के लिए परेशानी बना।

आप के बड़े नेता पहुंचे जेल
एलजी को मिली शिकायतों के आधार पर उस समय के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इस मामले की जांच की। उन्होंने एलजी को सौंपी रिपोर्ट में इसमें बड़े घोटाले की बात कही और यहीं से इस घोटाले की बात सामने आई। 22 जुलाई 2022 को एलजी वीके सक्सेना ने इस मामले में सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी।

नेताओं में सिसोदिया पहले हुए गिरफ्तार
मामले में प्राथमिकी दर्ज कर सीबीआई ने जांच शुरू की और केजरीवाल के करीबी माने जाने वाले मीडिया प्रभारी विजय नायर को 27 सितंबर 2022 को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद कई शराब कारोबारी गिरफ्तार हुए और 26 फरवरी 2023 को सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को नौ घंटे की लंबी पूछताछ के गिरफ्तार किया।

इस साल मार्च में केजरीवाल की गिरफ्तारी
इसके बाद ईडी ने चार अक्टूबर 2023 को संजय सिंह को लंबी पूछताछ के बाद उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया और ईडी ने 21 मार्च को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी गिरफ्तार कर लिया। केजरीवाल गत 13 सितंबर को जेल से बाहर आए हैं।

हालांकि आम आदमी पार्टी इसे फर्जी घोटाला बताती रही है। पार्टी का दावा है कि इस मामले में जांच एजेंसियों को आज तक एक भी सुबूत नहीं मिला है।

केजरीवाल ने और क्या कहा ?
उनका कहना है, “मैं जनता के बीच में जाऊंगा, गली गली में जाऊंगा, घर घर जाऊंगा और जब तक जनता अपना फ़ैसला न सुना दे कि केजरीवाल ईमानदार है तब तक मैं सीएम की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा.”

अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी सरकार में उप-मुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया भी तभी अपना पद संभालेंगे जब जनता अपना फ़ैसला सुना देगी. केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा के लिए फरवरी की जगह नवंबर में चुनाव कराने की भी मांग की है. उन्होंने कहा है कि जब तक दिल्ली में चुनाव नहीं होगे तब तक कोई अन्य नेता दिल्ली का मुख्यमंत्री होगा. इसके लिए दो दिन में आम आदमी पार्टी के विधायक दल की बैठक होगी उसमें नए मुख्यमंत्री का नाम तय होगा.

अरविंद केजरीवाल इससे पहले भी कई मौक़ों पर ज़रूरी फ़ैसला लेने से पहले जनता की राय लेने के बारे में बात करते रहे हैं. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत में जनता से कथित तौर पर राय लेने की बात कई बार की है. दिल्ली में पहली बार चुनाव लड़ने के बाद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली में सरकार बनाई थी. इसके लिए भी वो कई इलाक़ों में दिल्ली की आम जनता के बीच गए थे. केजरीवाल ने अपनी राजनीति मूल रूप से कांग्रेस के ख़िलाफ़ शुरू की थी, इसलिए कांग्रेस के साथ सरकार बनाने के मुद्दे पर उस वक़्त काफ़ी सियासी बयानबाज़ी चल रही थी.

बीजेपी ने बताया 'स्टंट'

इससे पहले केजरीवाल जनता से पूछते थे कि क्या उन्हें कांग्रेस के समर्थन से उन्हें सरकार बनानी चाहिए या नहीं. उस वक़्त भीड़ में मौजूद लोग आमतौर पर आम आदमी पार्टी के झंडे और बैनर के साथ खड़े नज़र आते थे और भीड़ से मिले जवाब के आधार पर ही केजरीवाल ने दिल्ली में पहली बार गठबंधन की सरकार बनाई थी. अरविंद केजरीवाल पहली बार साल 2013 में कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे. उस साल दिल्ली विधानसभा चुनावों में 'आप' को 28 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस के पास भी 8 सीटें थीं.

हालाँकि उस वक़्त जनता की राय के बाद मुख्यमंत्री बने केजरीवाल ने 49 दिनों में ही अपने पद से इस्तीफ़ा दे दिया था. क्या इस बार भी केजरीवाल अपने फ़ैसले पर जनता से इसी तरीके से राय मांगेंगे, यह अभी स्पष्ट नहीं है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के दो दिन बाद इस्तीफ़े की घोषणा पर बीजेपी ने कहा है कि ये उनका ‘पीआर स्टंट’ है.

बीजेपी के प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने तंज कसा, "कौन सी ऐसी निजी चीज़ है जो आप 48 घंटे की मोहलत मांगने की कोशिश कर रहे हैं. सरकारी काम आप कर नहीं सकते तो फिर 48 घंटे किसके लिए चाहिए."

केजरीवाल के इस्तीफ़े की घोषणा पर उन्होंने कहा, "जब उन्होंने इस्तीफ़े की बात की तो हम ये कह सकते हैं कि ये जुर्म का इक़बालिया बयान हो गया, आपने मान लिया है कि आप पर जो आरोप हैं उसके साथ आप पद पर नहीं रह सकते. "

उन्होंने सवाल किया कि केजरीवाल किस मजबूरी में इस्तीफ़े की बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "दिल्ली में उनकी सरकार है वो चाहें तो असेंबली भंग कर दें. पहले चुनाव करवाने की मांग क्यों कर रहे हैं."

वहीं बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा है कि ये अरविंद केजरीवाल का ‘पीआर स्टंट’ है. वो कहते हैं, उनको ये समझ आ चुका है कि दिल्ली की जनता के बीच उनकी छवि कट्टर ईमानदार नेता की नहीं बल्कि कट्टर भ्रष्टाचारी नेता की हो चुकी है

प्रदीप भंडारी ने कहा है, “आज आम आदमी पार्टी देशभर में कट्टर भ्रष्टाचारी पार्टी के रूप में जानी जाती है. अपनी इस पीआर स्टंट के तहत अपनी खोई हुई छवि को वापस पाना चाहते हैं. लेकिन आज दिल्ली की जनता के सामने तीन बात तय हो चुकी हैं. पहली अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि उनका ज़ीरो बैंक बैलेंस है तो उन्होंने इतना बड़ा शीश महल कैसे बना लिया.”

"आज उनको समझ आ गया है कि आम आदमी पार्टी दिल्ली का चुनाव हार रही है और उनके नाम पर दिल्ली की जनता वोट नहीं कर सकती इसलिए किसी और को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं."

इस्तीफ़े की घोषणा पर उठे सवालों पर पार्टी का जवाब

बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के लगाए आरोपों का जवाब दिल्ली सरकार में मंत्री और आम आदमी पार्टी नेता आतिशी ने दिए हैं. रविवार दोपहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा को भंग करने की ज़रूरत नहीं है. उन्होंने कहा, "किसी भी विधानसभा का अगर छह महीने से कम का कार्यकाल रह जाता है। तो केंद्र सरकार और चुनाव आयोग कभी भी चुनाव करवा सकता है. इसके लिए विधानसभा भंग करने की ज़रूरत नहीं है."

इस्तीफ़े के लिए दो दिन की मोहलत मांगने के सवाल पर आतिशी ने कहा, "इसका सीधा सा कारण है. आज रविवार है और कल सोमवार को ईद की छुट्टी है. इसलिए अगले वर्किंग डे यानी मंगलवार को केजरीवाल इस्तीफ़ा देंगे." उन्होंने कहा कि, दिल्ली की सरकार कितने दिन चलेगी इसके बारे में चुनाव आयोग ही तय करेगी, लेकिन तब तक सरकार की सभी योजनाएं चलती रहेंगी.

वहीं आम आदमी पार्टी नेता सौरभ भारद्वाज ने बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी के बयान के ख़िलाफ़ एतराज़ जताया.उन्होंने कहा, "तमाम आरोपों के बावजूद अब तक अदालत में कोई आरोप साबित नहीं हुआ है. सुधांशु त्रिवेदी ने केजरीवाल के लिए सज़ायाफ्ता शब्द का इस्तेमाल किया है. वो पढ़े लिखे व्यक्ति हैं, सासंद हैं. उन्हें क़ानून की समझ होनी चाहिए. केजरीवाल मामले में तो अब तक ट्रायल भी शुरू नहीं हुई है. मैं इसका पुरज़ार विरोध करता हूं, गंभीरता से ऐतराज़ दर्ज कराता हूं."

 

 

 

 

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