क्या ऐसे में कांग्रेस के उम्मीदवार बीकानेर की दोनों सीटें जीत पाएंगे ?


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यशपाल गहलोत की अध्यक्षता में आज जिला स्तरीय चुनाव संचालन समिति में दोंनो विधानसभा क्षेत्रों से 31 व्यक्तियों को लिया गया है। इस समिति में अल्पसंख्यक वर्ग में मुस्लिम समाज से 33 % व्यक्ति को शामिल किया गया है । जबकि पुरे वैश्य व जैन समाज से केवल एक व्यक्ति सुमित कोचर को ही शामिल किया गया है जिसको भी ब्लॉक अध्यक्ष होने के नाते पदेन लिया गया है , जो पश्चिम विधानसभा क्षेत्र से हैं और कल्ला की बदौलत ब्लॉक अध्यक्ष चुने गए थे । अतः जैन समाज के कोंग्रेसी विचारधारा लोग भी अपने आपको अलग थलग महशुस कर रहें हैं।
यहां यह उल्लेख करना उचित होगा की क्या बीकानेर पूर्व में वैश्य व जैन समाज के वैगर यशपाल अपनी नैया पार कर लेंगे ?

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अनेक वर्षों तक जैन समाज के व्यक्तियों के पास जिला अध्यक्ष का दायित्व रहा है। दोनों विधानसभा क्षेत्रों में वैश्य व जैन समाज के वोट निर्णायक स्थिति में है ।
लगता है कांग्रेस पार्टी में वैश्य , राजपूत , जैन समाज के लोगों का जुड़ाव नहीं के बराबर है या नेतृत्व इनको तब्बजो नहीं देना चाहता है। बीकानेर पूर्व व पश्चिम से टिकट की दौड़ में जो लोग थे उनको भी किनारे कर दिया गया है या साथ में नहीं लिया गया है ।

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बीकानेर पूर्व में भाजपा ने राजपूत समाज से चौथीबार अपना उम्मीदवार सिद्धि कुमारी को बनाया है। कांग्रेस के पास मौका था की एंटी इन्कम्बसी व पांच साल तक अपने घर तक सिमित रहने के कारण मतदातों की नाराजगी का फायदा उठा पाती। कांग्रेस सभी जातियों को जोड़ कर मैदान में जंग जितने का प्रयास करती तो जितने की उम्मीद बनती। यशपाल के चुनाव प्रचार में लगे लोगों को देखा जाए तो लगता है कि जाट , राजपूत , वैश्य , पंजाबी व जैन समाज के लोगों से दुरी बना रखी है। ऐसे मैं क्या कांग्रेस के उम्मीदवार बीकानेर की दोनों सीटें जीत पाएंगे ?

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