भारत में बंद होगा WhatsApp ? सरकार के किस फैसले से नाराज हैं जुकरबर्ग, भारत छोड़ने की दे डाली धमकी, जानिए पूरा मामला
WhatsApp: नयी दिल्ली , 26 अप्रैल। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप भारत में अपनी सेवा बंद कर सकती है। मेटा के स्वामित्व वाले मैसेजिंग एप WhatsApp के मालिक मार्क जुकरबर्ग (Mark Zuckerberg) ने भारत में अपनी सेवा बंद करने की धमकी दी है। वॉट्सऐप ने कहा है कि अगर उसे एन्क्रिप्शन (Encryption) तोड़ने के लिए मजबूर किया जाता है, तो वह भारत में अपना काम बंद कर देगा और यहां से चला जाएगा। मेटा के स्वामित्व वाले मैसेजिंग प्लेटफॉर्म व्हाट्सएप की तरफ से पेश वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में ये दलील रखी है।
दरअसल, व्हाट्सएप और इसकी पैरेंट कंपनी मेटा (meta) ने 2021 में देश में लाए गए इंफोर्मेशन टेक्नोलॉजी (आईटी) नियमों को दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट में गुरुवार (25 अप्रैल) को दोनों की याचिकाओं पर सुनवाई हुई। WhatsApp की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में कहा कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल लोग इसलिए करते हैं क्योंकि यह एन्क्रिप्टेड है और लोगों को इसकी प्राइवेसी पर भरोसा है।
ऐसे में उनके मैसेज को कोई भी नहीं पढ़ सकता है, लेकिन एन्क्रिप्शन तोड़ने के बाद इसकी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। अगर भारत सरकार ने एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया तो हमें देश छोड़ना होगा।
…तो छोड़ देंगे देश
WhatsApp की ओर से दिल्ली हाईकोर्ट में कहा गया है कि व्हाट्सएप का इस्तेमाल लोग इसलिए करते हैं क्योंकि यह एन्क्रिप्टेड है और लोगों को इसकी प्राइवेसी पर भरोसा है। यूजर्स ये जानते हैं कि WhatsApp पर भेजे गए मैसेज एंड टू एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं। ऐसे में उनके मैसेज को कोई भी नहीं पढ़ सकता है, लेकिन एन्क्रिप्शन तोड़ने के बाद इसकी प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। अगर भारत सरकार ने एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए मजबूर किया तो हमें देश छोड़ना होगा।
क्या होता है एन्क्रिप्शन?
व्हाट्सएप अपने मैसेज प्लेटफॉर्म के लिए एन्क्रिप्शन का इस्तेमाल करता है। आसान भाषा में कहें तो अगर कोई व्यक्ति किसी अन्य शख्स को मैसेज भेजता है या फिर उसका मैसेज रिसीव करता है, तो ये जानकारी सिर्फ उन दोनों के पास ही रहती है। कोई भी तीसरा व्यक्ति दो लोगों के बीच हुए मैसेज को पढ़ या सुन नहीं सकता है। ये वॉट्सऐप समेत कई मैसेजिंग एप्स के सबसे जरूरी फीचर हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट में WhatsApp का बड़ा बयान कि संदेश एन्क्रिप्शन को तोड़ना भारत में प्लेटफॉर्म का अंत होगा, कंपनी ने एक नागरिक के निजता के अधिकार और सरकार की राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बीच संतुलन पर बहस छेड़ दी है। यह बयान सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के एक नियम को चुनौती देने वाली व्हाट्सएप और मेटा की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया गया था।
विचाराधीन नियम, नियम 4(2) में कहा गया है कि मैसेजिंग सेवाएं प्रदान करने में लगी सोशल मीडिया कंपनियों को यह बताना चाहिए कि संदेश किसने भेजा है, अगर अदालत या सक्षम प्राधिकारी द्वारा ऐसा करने का आदेश दिया गया है।
नियम कहता है, “मुख्य रूप से मैसेजिंग की प्रकृति में सेवाएं प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ अपने कंप्यूटर संसाधन पर जानकारी के पहले प्रवर्तक की पहचान करने में सक्षम होगा, जैसा कि सक्षम क्षेत्राधिकार (competent jurisdiction) की अदालत द्वारा पारित न्यायिक आदेश या धारा के तहत पारित आदेश द्वारा आवश्यक हो सकता है। । “
यह एक चेतावनी के साथ आता है कि जानकारी केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, या बलात्कार, स्पष्ट यौन सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री से संबंधित अपराधों के लिए मांगी जाएगी, जिसमें न्यूनतम पांच साल की जेल की सजा का प्रावधान है। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि कम दखल देने वाले साधन सूचना के प्रवर्तक की पहचान कर सकते हैं तो इस प्रकृति का आदेश पारित नहीं किया जाएगा।
क्या है पूरा मामला ?
IT नियम 2021 के अनुसार व्हाट्सएप को इसके यूजर्स के चैट्स को ट्रेस करने के साथ ही किसी मैसेज को पहली बार भेजने वाले पहले यूजर की पहचान करने की बात कही गई। अब इसे व्हाट्सएप मानने से इनकार कर रहा है। व्हाट्सएप और इसकी मूल कंपनी, META, इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 को चुनौती दे रहे हैं, जो चैट का पता लगाने और ऑरिजिनल मैसेंजर की पहचान को अनिवार्य बनाता है। IT नियम 2021 के खिलाफ बहस करने वाली कंपनी व्हाट्सएप का तर्क है कि ये नियम एन्क्रिप्शन को कमजोर करते हैं। ऐसे में भारतीय संविधान की ओर से दी गई यूजर्स की प्राइवेसी की गारंटी का उल्लंघन होता है।
WhatsApp ने क्या कहा
WhatsApp ने अपनी याचिका में मांग की है कि इस नियम को असंवैधानिक घोषित किया जाए और इसका पालन न करने पर उस पर कोई आपराधिक दायित्व न आए। याचिका में कहा गया है कि ट्रैसेबिलिटी की आवश्यकता कंपनी को एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ने के लिए मजबूर करेगी और उन लाखों उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता और मुक्त भाषण के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करेगी जो संचार के लिए WhatsApp के प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं।
इस पर जोर देते हुए और यह कहते हुए कि नियम बिना किसी परामर्श के लाया गया था, व्हाट्सएप की ओर से पेश वकील तेजस करिया ने दिल्ली हाई कोर्ट को बताया कि लोग मैसेजिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हैं क्योंकि यह अपने एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ गोपनीयता की गारंटी देता है। बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा की पीठ को बताया, “एक मंच के रूप में, हम कह रहे हैं, अगर हमें एन्क्रिप्शन तोड़ने के लिए कहा जाता है, तो WhatsApp भारत से चला जाएगा।”
एक अन्य प्रमुख तर्क यह था कि नियम के तहत व्हाट्सएप को लाखों संदेशों को वर्षों तक संग्रहीत करना होगा। उन्होंने कहा, “हमें एक पूरी श्रृंखला रखनी होगी और हमें नहीं पता कि किन संदेशों को डिक्रिप्ट करने के लिए कहा जाएगा। इसका मतलब है कि लाखों-करोड़ों संदेशों को कई वर्षों तक संग्रहीत करना होगा।”
पीठ ने तब पूछा कि क्या यह नियम दुनिया में कहीं और लागू है। वकील ने उत्तर दिया, “नहीं, ब्राज़ील में भी नहीं, पीठ ने कहा, “क्या ये मामले दुनिया में कहीं भी उठाए गए हैं? आपसे कभी भी दुनिया में कहीं भी जानकारी साझा करने के लिए नहीं कहा गया? यहां तक कि दक्षिण अमेरिका में भी?”
‘संतुलन की आवश्यकता’
पीठ ने कहा कि निजता के अधिकार पूर्ण नहीं हैं और ”कहीं न कहीं संतुलन बनाना होगा।” ऐसा तब हुआ जब केंद्र सरकार के वकील ने कहा कि सांप्रदायिक हिंसा से संबंधित मामलों में ऐसे प्लेटफार्मों पर संदेशों के प्रवर्तक का पता लगाने के लिए नियम की आवश्यकता है। केंद्र ने अदालत को यह भी बताया कि व्हाट्सएप और फेसबुक उपयोगकर्ताओं की जानकारी से कमाई करते हैं और कानूनी तौर पर यह दावा करने के हकदार नहीं हैं कि वे गोपनीयता की रक्षा करते हैं।
इसमें बताया गया कि फेसबुक को अधिक जवाबदेह बनाने के प्रयास विभिन्न देशों में चल रहे हैं। सरकार ने पहले भी कहा था कि अगर एन्क्रिप्शन तोड़े बिना मैसेज के ओरिजिनेटर का पता लगाना संभव नहीं है तो व्हाट्सएप को कोई और मैकेनिज्म लाना चाहिए। पीठ अब 14 अगस्त को मामलों की सुनवाई करेगी।