समय का सदुपयोग करें-आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी

  • श्री आगम तप ज्ञाताधर्म कथांग सूत्र की आराधना

बीकानेर, 2 अगस्त। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरिश्वरजी के सान्निध्य में श्री 45 दिवसीय श्री आगम तप अनुष्ठान के तहत शुकवार को ढढ्ढा चौक की आगम वाटिका में ज्ञाता धर्म सूत्र की आराधना मंत्र जाप के साथ की गई।

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आचार्यश्री ने बताया कि ज्ञाताधर्म का मूल नाम नायाधम्म है। इसके प्रथम श्रुत स्कंध का नाम ज्ञात श्रुत स्कंध व दूसरे का नाम धर्मकथा श्रुतस्कंध है। प्रथम श्रुतस्कन्ध के 19 अध्ययन और द्वितीय के 10 वर्ग है। इस सूत्र के प्रथम अध्ययन में हाथी के भव में खरगोश के जीव की रक्षा के लिए ढाई दिन तक एक पैर ऊंचा रखने वाले मेघकुमार के जीवन के वैचारिक पतन और उत्थान की अद्भुत कथा वर्णित है।

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इसमें भगवान मल्लिनाथ का जीवन दर्शन कराने वाला मल्ली अध्ययन भी आठवें अध्ययन के रूप् में भी वर्णित है । सद्गुरु की संगति और उपदेशामृत के सहारे बिना आत्मा कैसे भयंकर पतन होता है इसे समझाने वाला 13 वां अध्ययन है, जिसमें नंद मणियार का जीवन वृतांत है। द्रौपदी के अधिकार में द्रौपदी ने जिन पूजा की है ऐसा अधिकार इस मूल सूत्र में है दूसरे श्रुत स्कंध में ंइंद्र पत्नियों इंद्राणियों के वृतांत का समावेश है।

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धर्मचर्चा में आचार्यश्री ने कहा कि सत्संग, प्रवचन, साधना व आराधना तथा भक्ति से जीवन में परिर्वतन लाएं, समय का सदुपयोग करें । जीवन में वास्तविक शांति के लिए शरीर,शब्द, सोच, सम्पति व समय को धर्म आराधना में लगाएं, सुख व स्वार्थ पूति में नहीं। वर्तमान में लोग समय ही नहीं मोबाइल आदि के माध्यमों से संस्कारों को खराब कर वर्तमान भव के साथ भव-भव को बिगाड़ रहे है।

श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा ने बताया कि शुक्रवार को संघ पूजा का लाभ देवेन्द्र, सुरेन्द्र, यतीन्द्र व वीरेन्द्र जैन ने लिया। वरिष्ठ श्रावक कन्हैयालाल भुगड़ी के 12 दिन की तपस्या की अनुमोदना की गई। रविवार को प्रवचन पांडाल तथा रांगड़ी चौक के सुगनजी महाराज के उपासरे में ’’महावीर कॉलेज फॉर बेसिक नॉलेज का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। श्री जिनेश्वर युवक परिषद के अध्यक्ष संदीप मुसरफ ने बताया कि 4 अगस्त को सुबह छह बजे से नौ बजे तक मुकीम बोथरा मोहल्ले की बोहरों की सेहरी के भगवान महावीर स्वामी के मंदिर में आचार्यश्री की प्रेरणा से मुनिवृंद व साध्वीवृंद के नेतृत्व में जिनालय शुद्धिकरण अभियान में श्रमदान किया जाएगा ।

मुनिवृंद के सान्निध्य में 18 पाप स्थानक पूजा 4 को

बीकानेर, 2 अगस्त। रांगड़ी चौक की तपागच्छीय पौषधशाला में रविवार को मुनि पुष्पेन्द्र व मुनि श्रुतानंद विजय के सान्निध्य में सुबह सवा नौ बजे से करीब घंटें तक 18 पाप स्थानकों की पूजा भक्ति संगीत के साथ की जाएगी।
आयोजन से जुड़े सुरेन्द्र बद्धाणी जैन व शांति लाल कोचर ने बताया कि प्राणातिपाप, मृषावाद, अदत्तादान मैथुन, परिग्रह, क्रोध,मान माया, लोभ राग, द्वेष कलह, अभ्याख्यान, पैशून्य रति-अरति, परिवाद, माया मृषावाद व मिथ्यात्व शल्य पाप । इन 18 पाप स्थानों से जीवन में जिस किसी पाप का सेवन किया है, या करवाया है, अनुमोदन किया हो उन सबका मन, वचन व काया से क्षमापना की जाएगी।

शुक्रवार को मुनि पुष्पेन्द्र विजय ने प्रवचन में कहा कि मेतार्य मुनि ने अनेक कष्ट सहकर प्राणी मात्र की सेवा कर अहिंसा का अनूठा उदाहरण पेश कर अपना कल्याण कर लिया। मुनि श्रुतानंद विजय ने समरादित्य सूत्र का वाचन विवेचन करते हुए कहा कि मन मेंं मैल रखकर की गई भक्ति कभी सार्थक नहीं होती। ओसवाल शोप ग्रुप जयपुर के देवेन्द्र, सुरेन्द्र, यतीन्द्र व वीरेन्द्र जैन व ठाणे मुंबई की मातृश्री ज्योति बैन व दीपचंद चोपड़ा की ओर से लक्की ड्रा के पांच लाभार्थियों को पुरस्कृत किया गया तथा प्रभावना से अभिनंदन किया गया ।

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