ॐ नमों उवज्झायाणं से उपाध्याय भगवन की आराधना

  • नवपद ओलीजी के चतुर्थ दिवस पर उपाध्याय भगवन की बताई महिमा

बीकानेर, 12 अक्टूबर। नवपद ओलीजी के चर्तुथ दिवस पर रांगड़ी चैक पौषधशाला में चातुर्मास आयोजन में प्रखर प्रवचनकार जैन मुनि श्रुतानंद म सा ने अरिंहत, आचार्य के पदों के बाद आज उपाध्याय पद पर अपनी व्याख्यान देते हुए कहा कि अगर जिनशासन मे आचार्य पिता तुल्य है तो उपाध्याय माता तुल्य है। क्योकि माँ संस्कारों का सींचन करने मे भूमिका निभाती है।

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आचार्य भगवन किसी साधु को दिक्षित करते है, दीक्षा के बाद शिष्यों का सिंचन कैसे करना व बाद मे उपाध्याय जी भगवन के हाथ मे होती है और। उपाध्याय जी भगवन का ज्ञान के द्वारा साधु जीवन मे मुख्य रहता है। और इसलिए कहा है कहा गया है पढ़े पढ़ावे, योग्य बनावे। वितरागा का प्रथम गुण गावें। पाठक पद अवतार श्रीपाल कुमार वल्लभ सुरीश्वर महाराज के स्ववन मे उपाध्याय भगवन को विनय और वात्सल्य मूर्ति बताया गया है जिनका मुख्य उद्देश्य अध्ययन करने व करवाने का रहता है जिसके द्वारा साधू ज्ञान उपार्जित कर अपने आत्मा का कल्याण कर सकता है। क्योंकि संसार की जड़ अगर किसी को कहा जाये तो वह अज्ञानता है, और अज्ञानता को दूर हटाने का श्रेय मुख्य औक्षय श्रृषि को जाता है ।

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हमारे उपाध्यय भगवन किसी को, उपाध्यय भगवन के 25 गुण, उपाध्ययन का नीला यानी हरा वर्ण हैं। जैसे एक बाग कुशल माली के द्वारा लहलहाता सिंचन करके अद्भूत बनाया जाता है वैसे ही एक साधूत्व को निखारने मे एक कुशल माली का कार्य ये उपाध्याय जी भगवन करते है। ऐसा गुरूदेव ने प्रवचन के माध्यम से समझाया। सभी को उपाध्याय भगवन को ॐ नमों उवज्झायाणं की 20 माला करने की प्रेरणा दी।

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आत्मानन्द जैन सभा चातुर्मास समिति के सुरेन्द्र बद्धानि ने बताया कि श्रुतानंद म सा के प्रवचन से पूर्व जैन मुनि पुष्पेन्द्र म सा ने परमात्मा और गुरु वंदन करते हुए मंगलाचरण किया। नवपद ओलीजी के तीसरे दिन पीले रंग की छटा रखी गई जिसके तहत श्राविकाओं ने आज हरे रंग के वस्त्र धारण किये तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं मे भी हरे रंग की ही प्रधानता रखी।

उपाध्याय पद के रूप मे आज प्रदक्षिणा का दोहा ‘‘तप सज्झाये रत सदा, द्वादश अंगना ध्याता रे।उपाध्याय ते आतमा, जग बन्धन जग भ्राता रे।।’’ दिया गया। वर्ण – हरा, गुण -25, खमासमणा – 25 स्वास्तिक -25, धान के रूप मे मूंग व ॐ हीँ नमो उवज्झायाणं मंत्र की 20 मालाओं का जाप दिया गया। दोपहर तीन बजे सामयिकी की गई।

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