युगप्रधानआचार्य श्री तुलसी का जन्म दिवस अणुव्रत दिवस के रूप में आयोजित हुआ

गंगाशहर , 3 नवम्बर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा युगप्रधान आचार्य श्री तुलसी का 111वां जन्म दिवस “अणुव्रत दिवस” के रूप में सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी व साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी के सान्निध्य में शांति निकेतन में आयोजित किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साध्वी श्री चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि आचार्य श्री तुलसी ने मानवता के लिए अनेक अवदान दिए। उसमें से एक अवदान है- अणुव्रत। उन्होंने अणुव्रत आंदोलन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए बताया कि अणुव्रत के माध्यम से आचार्य श्री तुलसी ने नैतिक व चारित्रिक क्रांति को विश्व भर में गुंजायमान किया।

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अणुव्रत की गूंज यूएनओ में भी हुई। यूएनओ में अणुव्रत विश्व भारती द्वारा अणुव्रत संबंधी कार्य किए जाते हैं। जब समाज को नैतिकता व चारित्रिक उत्थान की आवश्यकता थी, उसी समय आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत आंदोलन का सूत्रपात किया। हम अणुव्रत को सुनें, पढें और जीवन में उतारे। आचार्य श्री तुलसी ने आध्यात्मिक वैज्ञानिकता की बात कही, जिसके माध्यम से संपूर्ण मानव का कल्याण हो सकता है। इस अवसर पर साध्वी श्री प्रांजल प्रभा जी ने अपने उद्बोधन में कहा की आचार्य श्री तुलसी भारतीय संत परंपरा के एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं। उन्होंने 11 वर्ष की अल्प आयु में संयम रत्न धारण किया। साहित्य में कहा गया है कि गंगा पाप को, शशि ताप को तथा कल्प वृक्ष दीनता का हरण करता है लेकिन संत पुरुष पाप, ताप व संताप तीनों को ही दूर करने वाला होता है।

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आचार्य श्री तुलसी ने नैतिक व चारित्रिक मूल्य का उत्थान कैसे हो इस पर भागीरथी कार्य किया। अहिंसा, सत्य, अचौर्य ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह की साधना में कृत संकल्प रहे। सद्गुणों को बांटकर लोगों की बुराइयों का हरण किया। उन्होंने अनेक स्थान पर कहा कि हमें नोट नहीं चाहिए, वोट नहीं चाहिए, केवल आपकी खोट चाहिए। इस प्रकार लोगों को सही दिशा देने के लिए उन्होंने संपूर्ण जीवन में अनवरत प्रयास किये।

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साध्वी श्री कृतार्थ प्रभा जी एवं साध्वी श्री तितिक्षा श्री जी ने गीत के माध्यम से अपने भाव व्यक्त किये। कार्यक्रम का शुभारंभ भंवर लाल डाकलिया द्वारा प्रस्तुत मंगलाचरण से किया गया। तेरापंथ युवक परिषद के कोषाध्यक्ष रोशन छाजेङ, महिला मंडल उपाध्यक्ष प्रेमलता बोथरा, संस्था शिरोमणि तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़ ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम का सफल संचालन सभा के तेरापंथी सभा के कोषाध्यक्ष रतन लाल छलाणी ने किया।

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