आचार्य श्री तुलसी का 110 वां जन्मोत्सव अणुव्रत दिवस के रूप में मनाया

गंगाशहर , 15 नवम्बर। तेरापंथ धर्मसंघ के 9वें आचार्य गणाधिपति पूज्य गुरुदेव श्री तुलसी के 110 वें जन्मदिवस को अणुव्रत दिवस के रुप में शासन श्री साध्वीश्री शशिरेखा और साध्वीश्री ललित कला जी के पावन सान्निध्य में तेरापंथी सभा , गंगाशहर द्वारा मनाया गया।

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कार्यक्रम की मंगल शुरुआत साध्वीश्री जी ने नमस्कार महामंत्र से की। उसके पश्चात साध्वीश्री स्वस्थ प्रभा जी ने एक गीतिका के माध्यम से आचार्य तुलसी की अवदानों के बारे में सभी को अवगत करवाया, इसी क्रम में साध्वीश्री कंचन रेखा जी ने अपना उद्बोधन प्रदान करते हुए कहा कि अणुव्रत हमें जीवन में प्रमाणिकता , नैतिकता से जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि किसी के साथ ठगी करने वाला अणुव्रती नहीं हो सकता है।साध्वी श्री योगक्षेम प्रभा जी व साध्वियों ने गीतिका प्रस्तुत करते हुए आचार्यश्री तुलसी का स्मरण किया।

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तेरापंथी महासभा सरंक्षक जैन लुणकरण छाजेड़ ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के जीवनकाल में तेरापंथ ने नयी नयी ऊंचाइयों को छुआ है। आचार्यश्री तुलसी ने संघ में नयी श्रेणी समण श्रेणी शुरू करके नए तीर्थ की स्थापना की जिसके चलते तेरापंथ , जैन के साथ साथ भारतीय संस्कृति विदेशों में पहुंची। छाजेड़ ने कहा कि तुलसी के नया मोड़ आयाम से चूले -चौकी तक सिमित रहने वाली महिलाओं को समाज में नेतृत्व प्रदान करने योग्य बनाया। छाजेड़ ने कहा कि महिला के पति की मृत्यु हो जाने पर कौन में बैठकर महीनो तक शोक मनानेवाली महिलाओं को इस कुप्रथा से मुक्ति दिलाई। छाजेड़ ने कहा कि आचार्यश्री तुलसी के अवदानों की चर्चा एक दिन में नहीं की जा सकती है। उनका जीवन अवदानों से भरा हुआ है जिसके चलते आज उनके अनुयायी उन्हें भगवान मानते हैं।

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तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी ने आचार्य तुलसी के अवदानों के बारे में बताते हुए कहा कि अस्पृश्यता निवारण के लिए आचार्यश्री तुलसी भारतीय संस्कार समिति के माध्यम से हरिजनों का उदार करके , दलितों के उत्‍थान, संविधान और नागरिकों में समानता लाने के लिए जीवन न्यौछावर करने वाले आचार्यश्री तुलसी दलितों का मसीहा बने। अपने जीवन के संस्मरण सुनाते हुए सोनी ने कहा की वो जब गंगाशहर से हरिजनों के दाल को लेकर आचार्यश्री तुलसी के दर्शनार्थ जा कर आये तो समाज व परिवार के लोग भी उनको अछूत मानने लगे। सोनी ने कहा कि मेरे जीवन में गुरु दृष्टि की आराधना करना ही प्रथम लक्ष्य रहता था। उन्होंने आचार्यश्री तुलसी के जीवन से जुड़े अनेक संस्मरण साझा किये।

तेरापंथ युवक परिषद के सहमंत्री मांगीलाल बोथरा, महिला मंडल की उपाध्यक्ष प्रेम बोथरा तथा अणुव्रत समिति के मंत्री ने भी अपने विचार रखे।

सेवा केंद्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री ललितकला जी ने अपने मंगल उद्बोधन में आचार्य तुलसी के जीवन की अनेक घटनाओं के बारे में सभी को विस्तार से बताया और सभी से यही अनुरोध किया कि आप सभी आचार्य तुलसी के अवदानों और उनके दिए हुए गुणों के बारे में चिंतन करें और उस पर अमल करना प्रारंभ करें। उन्होंने कहा की यह गंगाशहर का सौभाग्य है की यह भूमि गूदेव तुलसी के महाप्रयाण से दुनिया में पवित्र भूमि बन गयी है। तेरापंथ भवन में उनका निर्वाण हुआ अतः निर्वाण भूमि के दर्शनार्थ देश – विदेश भी लोगों का आवागमन लगा रहता है। कार्यक्रम का कुशल संचालन देवेन्द्र डागा द्वारा किया गया।

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