एनआरसीसी द्वारा कोटड़ी गांव में पशु शिविर व कृषक-वैज्ञानिक संवाद
बीकानेर , 29 सितम्बर । भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसन्धान केन्द्र (एन.आर.सी.सी.) द्वारा अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) के तहत आज बीकानेर के कोटड़ी गांव में पशु स्वास्थ्य शिविर एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
केन्द्र की अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत आयोजित इस गतिविधि में कोटड़ी एवं आस-पास क्षेत्र के करीब 101 महिला-पुरूष पशुपालक सम्मिलित हुए। आयोजित पशु शिविर में पशुपालकों ने अपने पशुओं सहित उत्साही सहभागिता रही साथ ही उन्होंने संवाद कार्यक्रम में वैज्ञानिकों को खुलकर अपनी समस्याएं बताई।
शिविर में कुल 248 पशुओं (जिनमें ऊँट, गाय, भैंस, भेड़ व बकरी) को दवाइयां, उपचार एवं उचित समाधान देकर लाभान्वित किया गया।
इस दौरान केन्द्र के एससीएसपी उप योजना के नोडल अधिकारी डॉ.आर.के.सावल ने कहा कि भारत सरकार की अनुसूचित जाति के कल्याणार्थ इस उप-योजना का उद्देश्य ढांचागत विकास के तहत समुदाय विशेष के लोगों को विभिन्न स्वरूपों में संबल प्रदान करना हैं।
डॉ. सावल ने पशुपालकों को पशुओं से अधिक उत्पादन प्राप्ति के लिए जागरूकता के साथ अपने व्यवसाय से जुड़ी उपयोगी जानकारी रखने हेतु विशेष रूप से प्रोत्साहित किया। उन्होंने क्षेत्र के पशुओं के रखरखाव, उनके आहार-चारे, पोषण तथा उनसे होने वाली आमदनी के बारे में भी पशुपालकों से पालकों से चर्चा की। डॉ. सावल ने केन्द्र में चल रहे स्वच्छता अभियान तहत इस गतिविधि को जोड़ते हुए खासकर महिला पशुपालकों को ‘स्वच्छ दूध उत्पादन‘ संबंधी जानकारी देते हुए पशु बाड़ों की साफ-सफाई, स्वच्छ दूध उत्पादन के अन्य पहलुओं के साथ स्वयं को स्वच्छ रखने हेतु प्रेरित किया। साथ ही दूध उत्पादन की व्यावसायिक गतिविधि के लिए संगठित होकर इस उत्पादन पर जोर दिया ताकि अधिक मुनाफा हो सकें।
केन्द्र निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने इस वैज्ञानिक दल से कोटड़ी में गतिविधि संबंधी जानकारी लेते हुए कहा कि पशुपालक भाई, वैज्ञानिक तरीके से पशुओं का प्रबंधन करें साथ ही पशुओं संबद्ध उद्यमिता की संभावनाओं जो जाने-पहचानें ताकि उनके समाजार्थिक स्तर में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकें, उन्होंने दल के माध्यम से अपने विचार ग्रामीणों को साझा करते हुए कहा कि पशुपालक, कभी भी एन.आर.सी.सी. में समूह के रूप में भ्रमण/प्रशिक्षण हेतु सम्पर्क कर सकते हैं। यह केन्द्र उनके कल्याण हेतु तत्परता से कार्य करने हेतु प्रतिबद्ध है।
केन्द्र के डॉ.काशीनाथ, पशु चिकित्सा अधिकारी ने कहा कि बदलते परिवेश में पशुओं में विभिन्न रोग यथा लम्पी जैसे आकस्मिक बीमारियों में पशुपालक भाई, नजदीकी पशु चिकित्सालय या पशु चिकित्सकों से तुरंत सलाह लेकर पशुधन हानि से बचें साथ ही अपने अन्य पशुओं की स्वास्थ्य सुरक्षा का भी विशेष ख्याल रखें। उन्होंने पशुपालकों को पशुओं के लिए आहार चारे की पौष्टिकता संबंधी जानकारी संप्रेषित की गई। श्री मनजीत सिंह, वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी ने बताया कि कैम्प में आए पशुपालकों को केन्द्र में निर्मित पशुओं के खनिज मिश्रण एवं संतुलित पशु आहार ‘करभ’ का भी वितरण किया गया।