कवि चौपाल में हिंदी उर्दू एवं राजस्थानी काव्य की रसधारा बही

khamat khamana

हमारे सोशल मीडिया से जुड़े!

बीकानेर ,अक्टूबर। सार्दुल स्कूल स्थित राजीव गांधी भ्रमण पथ पर साप्ताहिक काव्य पाठ कार्यक्रम कवि चौपाल की 433वीं कड़ी आयोजित की गई ।जिसमें नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ एवं युवा कवियों, कवयित्रियों और शायरों ने अपनी रचनाओं से काव्य की ऐसी रसधारा बहाई जिससे श्रोता आनंद के सागर में गोते लगाते रहे और कवियों की हर पंक्ति पर दाद पर दाद देते रहे।

L.C.Baid Childrens Hospiatl
संस्था के संस्थापक संरक्षक कवि नेमचंद गहलोत के सान्निध्य में आज की कड़ी आयोजित की गई। कभी नेमचंद गहलोत ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहा कि कभी चौपाल में आकर आदमी का आनंद एवं संतोष मिलता है ऐसा आनंद और कहीं नहीं मिलता। इस अवसर पर कवि नेमचंद गहलोत ने मां की शान में राजस्थानी कविता 'मां थारी है महिमा न्यारी' पेश करके श्रोताओं को भावुक कर दिया। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजसेवी श्रीगोपाल स्वर्णकार ने की। स्वर्णकार ने अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कहा कि कवि चौपाल कवियों के लिए सीखने की पाठशाला है, यहां बिना किसी भेदभाव के सभी रचनाकारों को समान अवसर दिया जाता है।

काव्य पाठ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि नगर के वरिष्ठ शाइर कहानीकार क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि कवि चौपाल ने पिछले 8 सालों से नगर एवं प्रदेश के अनेक रचनाकारों को काव्य पाठ का अवसर देकर साहित्य के माहौल को समृद्ध किया है। इस मौक़े पर क़ासिम बीकानेरी ने अपनी नज़्म 'जो मैं पहले था वो नहीं हूं अब' पेश करके श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी।

इस अवसर पर नगर के हिंदी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा के अनेक रचनाकारों ने अपनी एक से बढ़कर एक रचनाएं प्रस्तुत करके कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ शाइर वली मोहम्मद ग़ौरी ने अपने इस शे'र से भरपूर वाह वाही लूटी-'हक बोलने में मन के नुकसान है बहुत फिर भी वह बोल देता है नादान है बहुत', कवि किशन नाथ खरपतवार ने 'कठै गया भारत रा गांधी' कविता से गांधी जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए, नौजवान शायर, मोहम्मद मोईनुद्दीन मुईन ने अपनी ग़ज़ल के इस शे'र से सामइन को लुत्फ़ अंदोज़ कर दिया-'उम्र भर ग़म रहा नहीं होता/ वो अगर बेवफ़ा नहीं होता, हास्य कवि बाबूलाल छंगाणी 'बमचकरी' ने हास्य कविता 'असली पापा कौन' सुनाकर हंसी की फुलझडियों से श्रोताओं को लोटपोट कर दिया, वरिष्ठ कवयित्री मधुरिमा सिंह ने वृद्ध जनों पर आधारित रचना सुनाकर वृद्धो के प्रति संवेदना प्रकट की।

युवा कवि आयुष अग्रवाल ने ‘टीला सूं ऊंचां धोरा कविता पेश करके राजस्थानी कविता का नया रंग प्रस्तुत किया। शिव प्रकाश शर्मा ने ‘मुझे बोलने के लिए न कहा जाए’कविता पेश करके कार्यक्रम को परवान चढ़ाया। इनके अलावा कवि लक्ष्मी नारायण आचार्य, महेश सिंह बड़गूजर, कैलाशदान चारण, कवि हंसराज एवं सिराजुद्दीन भुट्टा ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं का मनोरंजन किया।

काव्य गोष्ठी में अनेक श्रोता मौजूद थे जिनमें कालूराम गहलोत, मोहम्मद ज़रीफ़, मोहम्मद रमज़ान, अख़्तर हुसैन सहित अनेक श्रोता मौजूद थे। काव्य गोष्ठी का संचालन युवा कवि आयुष अग्रवाल ने किया जबकि आभार हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि सरदार अली पड़िहार ने ज्ञापित किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *