अखिल भारतीय साहित्य परिषद् की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने बिखेरे नए रंग

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बीकानेर , 22 दिसम्बर। अखिल भारतीय साहित्य परिषद महानगर इकाई बीकानेर द्वारा कला-संगम कार्यक्रमों की मासिक श्रृंखला के प्रथम सोपान में कवि गोष्ठी का शुभारंभ करते हुए कवि राजाराम स्वर्णकार ने अपनी प्रतिनिधि रचनाएं – कुदरत खुद अपने हाथों से मेरे गीत सजाती है, स्वर संगीत लहरियां आ उनमें मिठास भर जाती है, तीसरी आंख का सच, सत्य:पांच रूप, जीवन जोत, रुबाइया, कुंडलियां और मुक्तक सुनाकर तालियां बटोरी। हास्यकवि बाबूलाल छंगाणी ने पानी मे पकौड़े कोई तल नहीं सकता, ए सर्दी तुझको, कोरोना में सासरे,काम वाळी बाई,मेरे खो जाने की खबर ने, नये जमाने री प्रार्थना और कुचरणी व्यंग्य कविताएं सुनाकर माहौल को ठहाकों से गुंजायमान किया। युवा कवयित्री सुश्री सोनाली सुथार ने कानाफूसी, समंदर, में बदळगी हूँ, सनैसो, रम्मत, हूंस अर ओळू सुनाकर नई पीढ़ी के नव रचनाकर्म पर ध्यान आकर्षित किया।

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इससे पहले सभी कवियों के साथ आख़िलानन्द पाठक, जितेन्द्रसिंह राठौड़, डॉ.बसन्ती हर्ष ने मां सरस्वती के चित्र पर पुष्प अर्पित किए। बीकानेर इकाई के महामंत्री जितेन्द्रसिंह राठौड़ ने स्वागत उद्बोधन दिया।

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कार्यक्रम प्रभारी मोनिका गौड़ और बीकानेर महानगर की अध्यक्ष श्रीमती बसंती हर्ष ने निकट भविष्य में अखिल भारतीय साहित्य परिषद द्वारा आयोजित किए जाने वाले अन्य कार्यक्रमों को विस्तार से रेखांकित किया।

इस कार्यकम में नगर के वरिष्ठ साहित्यकार रवि पुरोहित, वरिष्ठ उद्घोषक प्रमोदकुमार शर्मा, वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ. अजय जोशी, मूलचंद बोहरा रजनी छाबड़ा, जुगलकिशोर पुरोहित, रामजीवण व्यास, घनश्यामसिंह, मधुरिमासिंह, सरोज भाटी, कृष्णलाल बिश्नोई, एड.गंगाबिशन विश्नोई, विनोद शर्मा, बी. एल. नवीन, डॉ.एस.एन हर्ष व अन्य गणमान्य लोगों ने काविताओं का रसास्वादन किया।

 

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