58 तपस्वियों का हुआ अभिनंदन
8 व 8 से अधिक तपस्या करने वाले तपस्वियों का तप अभिनंदन समारोह आयोजित हुआ
गंगाशहर , 19 नवंबर। श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा आज तप अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। समारोह को संबोधित करते हुए शासनश्री साध्वी श्री शशिरेखा जी ने अपने उद्बोधन में तप की महत्ता बताते हुए कहा कि आगमों में बताया गया है कि तपस्या द्वारा पूर्व में संचित कर्मों की निर्जरा होती है। जिस व्यक्ति का मनोबल मजबूत होता है, वही तपस्या कर सकता है। जैन इतिहास में बड़ी-बड़ी तपस्याओं के अनेक उदाहरण मिलते हैं।
साध्वी श्री ललित कला जी ने कहा कि तपस्या द्वारा कर्म निर्जरा के साथ-साथ व्यक्ति सच्चे सुख की अनुभूति करता है। निष्पृह भाव से की गई तपस्या से व्यक्ति मोक्षगामी बनता है। जिस प्रकार सोना तपकर कुंदन बनता है, उसी प्रकार तपस्या द्वारा आत्मा निर्मल बनती है। उन्होंने तप करने वालों को आडंबर करने से बचने की प्रेरणा दी।
साध्वीवृन्द द्वारा सामूहिक गीतिका का संगान किया गया। समारोह का शुभारंभ सामूहिक नमस्कार महामंत्र द्वारा किया गया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेरापंथी महासभा के संरक्षक जैन लूणकरण छाजेड़, तेरापंथी सभा के परामर्शक विमल चोपड़ा, महिला मंडल अध्यक्ष संजू लालाणी, तेरापंथ युवक परिषद मंत्री भरत गोलछा, प्रकाश महनोत ने तप अनुमोदना करते हुए अपनी भावना व्यक्त की। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विमल चोपड़ा , नवरतन बोथरा, मांगीलाल लुणिया, पवन छाजेड़, मनोहर लाल नाहटा, जीवराज श्यामसुखा, प्रकाश भंसाली, चंद्रप्रकाश राखेचा, त्रिलोकचंद बाफना द्वारा तपस्वियों को अभिनंदन पत्र व साहित्य द्वारा सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम का कुशल संचालन करते हुए तेरापंथ सभा के मंत्री रतनलाल छलाणी ने बताया कि चातुर्मास काल में आठ व 8 से अधिक तपस्या करने वाले 58 तपस्वियों का आज अभिनंदन किया गया। तपस्या करने वालों में 8 वर्ष के बच्चे से लेकर 80 वर्ष तक के बुजुर्ग शामिल है। तपस्या करने वालों में जहां गृहणियां है तो दूसरी ओर प्रोफेशनल भी शामिल है। तपस्वियों में 8 दिन की तपस्या करने वाले भी है, तो 30 दिन की तपस्या करने वाले भी हैं।