राजस्थानी भाषा को संवैधानिक-राजभाषा की मान्यता शीघ्र मिले-रंगा

महान् इटालियन विद्वान डॉ. टैस्सीटोरी की स्मृति में दो दिवसीय ‘ओळू समारोह’ का आगाज राजस्थानी मान्यता के संकल्प से हुआ।
बीकानेर, 21 नवम्बर।
करोड़ों लोगों की अस्मिता एवं जन भावना के साथ सांस्कृतिक पहचान हमारी मातृभाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता एवं दूसरी राजभाषा का वाजिब हक शीघ्र मिले। इसी केन्द्रीय भाव के साथ प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा गत साढ़े चार दशकों से चली आ रही परंपरा के चलते महान् इटालियन विद्वान राजस्थानी पुरोधा डॉ. लुईजि पिओ टैस्सीटोरी की 104वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित होने वाले दो दिवसीय ‘‘ओळू समारोह’’ का आगाज आज प्रातः प्रथम दिवस प्रारंभ हुआ।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

कार्यक्रम के संयोजक संस्कृतिकर्मी हरिनारायण आचार्य ने बताया कि आज प्रातः 9 बजे सैकड़ों युवा पीढी के बालक-बालिकाओं को राजस्थानी मान्यता एवं मातृभाषा को जीवन व्यवहार में अधिक से अधिक प्रयोग करने के साथ मातृभाषा राजस्थानी के प्रति अपने आत्मिक एवं भावनात्मक भाव के साथ संकल्प दिलवाया गया।

pop ronak

युवा रचनाकार आशिष रंगा ने संकल्प-पत्र का वाचन करते हुए कहा कि हमें हमारी मां, मातृभुमि एवं मातृभाषा के प्रति सजग रहकर मान-सम्मान करना चाहिए। हमारी मातृभाषा जिसका हजारों वर्षों पुराना साहित्यिक-सांस्कृतिक वैभवपूर्ण इतिहास है। साथ ही हमारी मातृभाषा राजस्थानी भाषा वैज्ञानिक दृष्टि से सभी मानदण्डों पर खरी उतरती है, ऐसे में हमारी मातृभाषा को शीघ्र मान्यता केन्द्र व राज्य सरकार को देनी चाहिए। रंगा के इस कथन पर सैकड़ों युवा पीढी के प्रतिनिधियों ने समर्थन किया।

CHHAJER GRAPHIS

युवा शिक्षाविद् भवानीसिंह ने कहा कि राजस्थानी भाषा भारतीय भाषाओं में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। ऐसी भाषा की अनदेखी करना दुखद पहलू है। अब सरकारों को भाषा के प्रति अपना संवेदनशील एवं सकारात्मक व्यवहार रखते हुए भाषा की मान्यता पर शीघ्र निर्णय लेना चाहिए। इस अवसर पर संकल्प के प्रति अपना समर्थन जताने के साथ कई बालक-बालिकाओं ने मातृभाषा राजस्थानी से संबंधित छोटी-छोटी राजस्थानी भाषा की बाल कविता का वाचन भी किया।

राजस्थानी मान्यता संकल्प के इस आत्मिक एवं भावनात्मक आयोजन में अशोक शर्मा, सुनील व्यास, महावीर स्वामी, कार्तिक मोदी, नवनीत व्यास सहित अनेक राजस्थानी भाषा मान्यता के समर्थकों ने कहा कि अब समय आ गया है कि राजस्थानी भाषा को उसका वाजिब हक शीघ्र मिले।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *