चीन में फैली सांस संबंधी बीमारी, यहां स्वास्थ्य विभाग की सांसें हो गई ऊपर-नीचे


बीकानेर , 30 नवम्बर।
चीन में बच्चों में फैल रहे निमोनिया को देखते हुए केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी अनुसार बुधवार को चिकित्सा विभाग के अधिकारियों ने मॉक ड्रिल कर उपलब्ध संसाधनों व व्यवस्थाओं का जायजा लिया। जिले के 51 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, 17 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, 3 उप जिला अस्पताल, 2 जिला अस्पताल व एक मेडिकल कॉलेज से संबद्ध पीबीएम अस्पताल तक का हाल लिया गया।

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निरीक्षण संभाग, जिला व खंड स्तरीय अधिकारियों की ओर से किया गया। निरीक्षण के दौरान तैयारियों को कोविड लहर की आशंका के परिप्रेक्ष्य में परखा गया। खासतौर से देखा गया कि यदि कोविड जैसी कोई नई श्वसन बीमारी की लहर जिले तक पहुंचती है, तो हम कितने तैयार हैं ? और कितनी व्यवस्थाएं बाकी है ? इस पर मंथन किया गया। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मोहम्मद अबरार पंवार ने बताया कि मॉक ड्रिल के दौरान चिकित्सा संस्थानों में उपलब्ध बेड, आइसोलेशन बेड, ऑक्सीजन सपोर्टेड आइसोलेशन बेड, आईसीयू बेड, वेंटिलेटर बेड, मानव संसाधन की स्थिति, एम्बुलेंस सुविधा, जांच सुविधा, दवाइयों की उपलब्धता, उपकरण, तकनीकी सुविधा तथा उनकी आवश्यकता पड़ने पर क्रियाशीलता का जायजा लिया गया।

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ऑक्सीजन प्लांट का निरीक्षण

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पीबीएम अस्पताल में संयुक्त निदेशक बीकानेर जोन डॉ. देवेंद्र चौधरी, उपनिदेशक डॉ. राहुल देव हर्ष, अस्पताल अधीक्षक डॉ. पी के सैनी, डॉ. गौरी शंकर जोशी और योगेश शर्मा की उपस्थिति में बेड, आईसीयू बेड, ऑक्सीजन प्लांट इत्यादि का निरीक्षण कर पाई गई कमियों को दूर करने पर विमर्श किया। सीएमएचओ ने जिला अस्पताल नोखा में मॉक ड्रिल के दौरान ऑक्सीजन प्लांट में ऑक्सीजन के उत्पादन, स्टॉक व वार्डों में ऑक्सीजन सप्लाई संबंधी व्यवस्थाओं को देखा। दवाइयों के स्टॉक, जांचों की उपलब्धता, मानव संसाधन की स्थिति, एम्बुलेंस तथा उनकी क्रियाशीलता का जायजा लिया।

जिले में कुल 19 ऑक्सीजन प्लांट कोरोना के वक्त लगाए गए थे। इनमें से 11 पीबीएम हॉस्पिटल में हैं, जिसमें से जे वार्ड के दो, एसएसबी और हार्ट हॉस्पिटल का एक-एक प्लांट वर्किंग है।

बाकी प्लांट इंस्टॉलेशन के बाद ऑपरेशनल नहीं हो सके। यानी इन्हें शुरू करने की जरूरत ही नहीं पड़ी। इस वजह से इनकी मेंटिनेंस ही नहीं हो पाई। बुधवार को मॉकड्रिल के दौरान प्लांट चालू तो हो गए, मगर ऑक्सीजन जनरेट नहीं कर पा रहे हैं। इनके ऑक्सीजन सेंसर और फिल्टर खराब हो गए हैं। स्थित यह है कि इस बार इनफ्लूएंजा के केस बच्चों में होने की आशंका जताई जा रही है, जबकि पीबीएम बच्चा हॉस्पिटल का ऑक्सीजन प्लांट ही वर्किंग में नहीं है।

टीबी हॉस्पिटल के दोनों प्लांट बंद है। इसके अलावा जिला अस्पताल सेटेलाइट का ऑक्सीजन प्लांट वर्किंग में है। जिले में नोखा, खाजूवाला, श्रीडूंगरगढ़ और लूणकरणसर का प्लांट तैयार है। मगर वर्तमान में ऑपरेशनल नहीं है। नापासर के प्लांट का काम अब पूरा हुआ है। देशनोक प्लांट डीजी सेट के कारण अटका है। कोलायत का प्लांट ही अधूरा पड़ा है। अवाडा कंपनी काम बीच में ही छोड़ गई।

निरिक्षण के समय उपस्थित चिकित्सकगण

मौके पर अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील बोथरा, सहस्त्रकरण उपाध्याय सहित स्टाफ मौजूद रहा। डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ. लोकेश गुप्ता ने उप जिला अस्पताल श्रीडूंगरगढ़ का निरीक्षण कर किसी भी महामारी की लहर की स्थिति में तैयारी को परखा। मौके पर अस्पताल प्रभारी डॉ. एस के बिहानी सहित स्टाफ मौजूद रहा। इसी प्रकार जिले के अन्य जिला व ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों ने मॉक ड्रिल कर चिकित्सा संस्थानों में संसाधनों की उपलब्धता व अन्य तमाम व्यवस्थाओं का जायजा लिया। देर शाम तक सभी अस्पतालों से रिपोर्ट संकलन व उसकी समीक्षा जारी रही, जिसके आधार पर कमियों को दूर करने की कार्यवाही की जाएगी।

ऐसे काम करता है ऑक्सीजन प्लांट

एक्सपर्ट के अनुसार ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट में बड़ा कंप्रेशर होता है जो बाहर की हवा खींचता है। वहां से हवा वेपोराइजर में जाती है, जहां उसमें से वॉटर पार्टिकल अलग हो जाते हैं। उसके बाद एयर स्टोरेज टैंक में हवा को स्टोर किया जाता है। इसमें लगे हुए फिल्टर हवा को फिल्टर करने का काम करते हैं। वहां से हवा प्रेशर स्विंग ऑब्जरवेशन में चली जाती है, जहां से कार्बनडाइ ऑक्साइड अलग होकर बाहर निकल जाती है। इसमें जीयो लाइट होता है, जो ऑक्सीजन को अलग कर उपयोग लायक बनाता है। प्योर ऑक्सीजन को बड़े टैंकों में स्टोर किया जाता है। टैंक फुल होने के बाद सप्लाई होती है। यह सिस्टम माइक्रो कंट्रोलर से चलता है।

पीबीएम में 2496 बेड, 1826 तरह की दवाइयां :

पीबीएम हॉस्पिटल में 2496 बेड और 1826 तरह की दवाइयां हैं। इनमें आइसोलेशन बेड 500, ऑक्सीजन सपोर्ट बेड 350, आईसीयू बेड 355, वेंटीलेटर बेड 245 हैं। इनमें से करीब 500 बेड और 46 वेंटिलेटर बेड एमसीएच में हैं।

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