Cold Wave: चलने लगी डांफर, जनजीवन हांफा…फसलों पर भी संकट, कैसे करें बचाव

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बीकानेर , 3 जनवरी। बीकानेर में शीतलहर का प्रकोप जारी है। रास्तों में आवागमन काम हो गया है। लोग घरों में ही रजाईयों में दुबके हुए है।

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न्यूनतम तापमान लगातार दूसरे दिन भी 6.4 डिग्री पर रहा, लेकिन अधिकतम तापमान 14.2 डिग्री के आसपास ही बना रहा। जबकि सोमवार को दिन के समय पारा 16.5 डिग्री तक पहुंच गया था। सोमवार की रात न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सैल्सियस रहा। मंगलवार को भी पारामापी इसी पर स्थिर रहा। न्यूनतम और अधिकतम तापमान में अंतर कम होते जाने का असर गलन के रूप में सामने आया।

अंचल में सर्दी और ज्यादा तीखी हो गई है। इसकी वजह से लोगों की दिनचर्या बदल गई है। धूप भी देरी से निकल रही है। रविवार तथा सोमवार की तरह मंगलवार भी सर्द दिन रहा। सर्दी की वजह से जहां लोग सुबह देरी से घर से निकल रहे हैं। वहीं शाम को भी जल्दी घरों में दुबक जा रहे हैं। बाहर निकले हुए लोग भी थोड़ा चलने के बाद यहां-वहां अलाव का सहारा ले रहे हैं। सर्दी बढ़ने से अभी भी गर्म कपड़ों की बिक्री परवान पर है। दोपहर डेढ़ बजे तक धुंध छाई रहने से धूप भी नहीं निकली। कुछ देर के लिए धूप निकली, तो लोगों ने इसका आनन्द लिया। हालांकि, ठंडी हवाएं धूप को बेअसर कर रही थीं।
इसलिए बढ़ी गलन

न्यूनतम तापमान लगातार दूसरे दिन भी 6.4 डिग्री पर रहा, लेकिन अधिकतम तापमान 14.2 डिग्री के आसपास ही बना रहा। जबकि सोमवार को दिन के समय पारा 16.5 डिग्री तक पहुंच गया था। सोमवार की रात न्यूनतम तापमान 6.4 डिग्री सैल्सियस रहा। मंगलवार को भी पारामापी इसी पर स्थिर रहा। न्यूनतम और अधिकतम तापमान में अंतर कम होते जाने का असर गलन के रूप में सामने आया। जब रजाइयों और कंबलों में दुबके लोगों की अंगुलियां भी बाहर निकल रही थीं, उन्हें भयंकर सर्दी का अहसास हो रहा था।

पाला पड़ने की आशंका, कृषि विभाग ने जारी की एडवाइजरी
अगले तीन-चार दिन तापमान में गिरावट होने और पाला पड़ने से फसलों में नुकसान की आशंका के चलते कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। संयुक्त निदेशक कृषि (विस्तार) कैलाश चौधरी ने बताया कि मौसम विभाग ने तापमान में गिरावट की आशंका जताई है। इससे सरसों, मटर, चना जैसी फसलों को नुकसान होने की आशंका है। चौधरी ने बताया कि दोपहर से पहले ठंडी हवा चल रही हो। हवा का तापमान अत्यंत कम होने लगे अथवा दोपहर बाद अचानक हवा चलना बंद हो जाए, तब पाला पड़ने की आशंका बढ़ जाती है। पाले से पौधों की कोशिकाओं में पानी जमने से कोशिका भित्ति फट जाती है। इससे पौधे की पत्तियां, कपोले, फूल, फल क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।

कैसे करें फसलों की रक्षा

संयुक्त निदेशक ने बताया कि किसान फसलों को पाले से बचने के लिए गंधक के तेजाब का 0.1 प्रतिशत अर्थात 1000 लीटर पानी में 1 लीटर सांद्र गंधक का तेजाब मिलाकर घोल तैयार कर फसल पर छिड़काव करें। घुलनशील गंधक के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव भी कर सकते हैं। खेत की उत्तर पश्चिम दिशा में जिधर से शीत लहर आती है, फसलों के अवशेष, कूड़ा करकट, घास फूस जलाकर धुआं करें। फसलों में सिंचाई करने से भी पाले का असर कम होता है। यह उपाय अपनाकर किसान फसलों को पाले के नुकसान से बचा सकते हैं।

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