बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में ACB की कार्रवाई, 7 लाख रुपए जब्त, एक गिरफ्तार, मगरमच्छ हाथ नहीं आया
बीकानेर , 24 दिसम्बर। बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में मंगलवार को एसीबी की टीम ने छापेमारी करते हुए 7 लाख रुपए कैश जब्त किए. इस कार्रवाई में एसीबी ने एक निजी एजेंसी के प्रतिनिधि को गिरफ्तार किया है परन्तु विश्वविधालय के अधिकारी तक खबर लिखे जाने तक पुलिस नहीं पहुँच पायी है।
राजस्थान में करप्शन के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है. एंटी करप्शन ब्यूरो को मिल रही शिकायतों पर कार्रवाई करते हुए भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों को गिरफ्तार कर रही है। इसी कड़ी में मंगलवार को बीकानेर से एक बड़ी खबर सामने आई. बीकानेर स्थित महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में मंगलवार को एसीबी की टीम ने छापेमारी करते हुए 7 लाख रुपए कैश जब्त किए. साथ ही एक निजी एजेंसी के प्रतिनिधि को हिरासत में लिया. मामले में आगे की कार्रवाई की जा रही है।
परीक्षा का टेंडर दिए जाने के नाम पर दी जा रही थी रिश्वत
मिली जानकारी के अनुसार बीकानेर के महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में परीक्षा टेंडर देने के बदले रिश्वत दिया जाने वाला था. लेकिन इसकी भनक एसीबी को लग गई थी. ऐसे में एसीबी के अधिकारियों ने मौके से 7 लाख रुपये की राशि बरामद की है. यह रिश्वत निजी फर्म द्वारा दी जा रही थी.
मामले की गहराई से जांच में जुटी एसीबी
एसीबी ने मौके पर ही एक फर्म के प्रतिनिधि को गिरफ्तार किया. अब एसीबी टीम इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और संबंधित प्रतिनिधि से पूछताछ जारी है. यह कार्रवाई भ्रष्टाचार रोकने के उद्देश्य से की गई है, और इससे विश्वविद्यालय प्रशासन व संबंधित फर्मों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े हो रहे हैं.
निजी एजेंसी के प्रतिनिधि से 7 लाख रुपए जब्त
कार्रवाई में शामिल एसीबी के अधिकारी ने मीडिया को बताया कि परीक्षा के टेंडर देने के एवज में रिश्वत दिए जाने की सूचना एसीबी को मिली थी. इस सूचना के आधार पर एसीबी ने गंगा सिंह विश्वविद्यालय में छापेमारी की. जहां से एक निजी एजेंसी (माइक्रो यूनिट इंफोटेक) के प्रतिनिधि मनोज कुमार के पास से करीब 7 लाख रुपए बरामद किए.
किस अधिकारी को दिया जाने वाला था पैसा, एसीबी जुटा रही जानकारी
अब एसीबी यह जानकारी जुटाने में जुटी है, रिश्वत की यह राशि विवि के किस अधिकारी को दिया जाना था. एसीबी की कार्रवाई से गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कर्मियों में हड़कंप मचा है. बताया गया कि पकड़ में आया आरोपी यूनिवर्सिटी में पब्लिसिंग का काम करने वाले निजी फर्म का प्रतिनिधि है.
संदेह के दायरे में आला अधिकारी
परीक्षा से जुड़ी फर्म के कर्मचारी से सात लाख रुपए की घटना के बाद युनिवर्सिटी में हडकंप मच गया है। परीक्षा से जुड़े युनिवर्सिटी के आला अधिकारियों तक इस कार्रवाई के तार पहुंच सकते हैं। परीक्षा का काम पूरी तरह गोपनीय होता है, ऐसे में बाहरी फर्म की भूमिका को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। हर साल लाखों स्टूडेंट्स के एग्जाम और इसके बाद रिजल्ट और रिचेकिंग के बाद रिजल्ट भी गोपनीय होते हैं। करोड़ों रुपए के इन कार्यों को लेकर युनिवर्सिटी प्रबंधन पर अब सवाल खड़े हो रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार यूनिवर्सिटी में कई बाहरी लोगों का जबरदस्त दखल पिछले कुछ समय में बढ़ गया है। ये लोग ही तय करते हैं कि किस काम का ठेका किसे मिलेगा और किस कॉलेज के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह व्यक्ति कुलपति का खासमखास है। जिसके बारे में थार एक्सप्रेस ने पहले भी मामले उजागर किये थे.
सूत्रों के अनुसार वर्ष 2004 से 2024 तक व 2025 का वर्क आर्डर भी इसी फर्म (माइक्रो यूनिट इंफोटेक) को दिया गया है। चर्चा यह भी है की विश्वविद्यालय के अधिकारी जो इस काण्ड में शामिल है वो अधिक मात्रा में आर्डर देते हैं और कम मात्रा में डिलेवरी लेते थे। उसी का भुगतान करने के लिए नगद रुपया लाया जाता है।
ज्ञात रहे की भारत सरकार की स्पष्ट गाइड लाइन है कि सभी तरह का भुगतान ऑनलाइन या बैंक के माध्यम से किया जाए चाहे वह भुगतान लेबर को भी क्यों ना करना हो। फिर इतनी राशि नगद लाने का औचित्य ही नहीं है। पुलिस अगर मनोजकुमार के मोबाईल की डिटेल खंगालती है तो सब कुछ मामल सामने आ जाएगा। ज्ञात हुआ है की परीक्षा नियंत्रक भोपाल गए हुए थे जो आज ही अपने कार्यालय में देरी से पहुंचे थे। शक की सुई स्पष्ट इशारा कराती ही की यह भ्र्ष्टाचार का नंगा नाच कैसे और किसके माध्यम से हो रहा है।
भ्र्ष्टाचार निरोधक विभाग की स्पेशल यूनिट द्वारा की गयी इस कार्रवाई में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के उस अधिकारी तक पुलिस क्यों नहीं पहुँच पायी या उसको क्यों नहीं गिरफ्तार किया गया जिसको देने के लिए यह राशि लेकर आयी गयी थी ? यह प्रशन चिन्ह महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय परिसर में कायम है।