बीकानेर का पीओपी उद्योग भारी संकट में समस्या के निदान में राजनैतिक शून्यता

- 125 से ज्यादा फैक्ट्रियां बंद, रोज 2500 टन प्रोडक्शन ठप, श्रमिकों का पलायन
बीकानेर , 24 दिसम्बर। रीकाे काे खारा औद्याेगिक क्षेत्र में पीओपी से पाॅल्यूशन का समाधान एक महीना बीतने के बाद भी नहीं हाे पाया है। इसकी वजह से पिछले 15 दिन से क्षेत्र की 125 से ज्यादा पीओपी फैक्ट्रियाें का प्राेडक्शन बंद पड़ा है। अब श्रमिक भी पलायन की तैयारी करने लगे हैं। अनेक मजदूरों के सामने भूखे मरने की नौबत आ गयी है। उधर, मामला एनजीटी में पहुंचने के बाद पाॅल्यूशन कंट्राेल बाेर्ड भी सख्त हाे गया है।


बीकानेर जिला मुख्यालय से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर बसे खारा गांव में रहने वाले लोगों के लिए अब यह औद्योगिक विकास जान पर आफत बनकर आया है। औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण से होने वाली बीमारियों को लेकर पीबीएम अस्पताल के श्वसन रोग विभाग के डॉ. गुंजन सोनी ने बताया कि खारा गांव में AQI (Air Quality Index) लेवल बहुत ज्यादा है। उन्होंने कहा कि यहां प्रदूषण में पीएम 10 कण पाए गए हैं, जिससे खांसी, सांस लेने में दिक्कत, फेफड़ों में संक्रमण का खतरा भी रहता है। उन्होंने कहा कि पीएम-10 की अधिक मात्रा से श्वसन तंत्र पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे खांसी के दौरे, घबराहट और अस्थमा से लोगों को समस्या होती है।


खारा औद्याेगिक क्षेत्र में पीओपी की करीब 125 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं। खारा गांव के ग्रामीणाें की शिकायत के बाद पाॅल्यूशन कंट्राेल बाेर्ड ने चीफ इंजीनियर की अध्यक्षता में दाे बार जांच कमेटी बना दी, लेकिन यह कमेटी अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। प्रयाेग के नाम पर तीन फैक्ट्रियाें काे छाेड़ बाकी सभी काे बंद करवा दिया गया है। बाेर्ड की सख्ती के कारण पिछले 15 दिन से प्राेडक्शन ठप है। खारा में 125 से ज्यादा पीओपी फैक्ट्रियाें से राेज 2000 से 2500 टन पीओपी का प्राेडक्शन हाेता है। इसमें से अधिकांश पीओपी सकरनी काे और बाकी अन्य राज्याें में सप्लाई किया जाता है।

फैक्ट्रियों में प्राेडक्शन बंद रहने के कारण बाहरी पार्टियां अब धीरे-धीरे खारा से हाथ खींचने लगी हैं। उद्यमियाें काे चिंता है कि यदि 15 दिन और ऐसे ही हालात रहे ताे सभी श्रमिक व खरीददार भी पलायन कर जाएंगे। आधे श्रमिक छुट्टी लेकर गांव चले गए हैं। फैक्ट्रियां शुरू हाेने की सूचना पर ही वे वापस लाैटेंगे। वर्ना दूसरी जगह अपना राेजगार तलाश लेंगे। ज्यादा समय तक फैक्ट्रियों में प्राेडक्शन बंद रहने के बाद उसे वापस मुख्य धारा में लाने में काफी समय लग जाता है। एक तरह से बीकानेर के खारा क्षेत्र में पीओपी उद्यमी भारी संकट में आ गए हैं।पार्टियाें में फिर से विश्वास बनाना पड़ता है।
यह मामल एक शादी के समय पीओपी की फैक्टरी को बंद करने का निवेदन खारा के वरिष्ठ व्यक्ति ने उस फैक्टरी के मालिक को किया परन्तु उस फैक्टरी के मालिक ने उलटा ज्यादा धुंआ किया और खरा के वरिष्ठ नागरिक की बात की धज्जियां उड़ायी उसका ही खामियाजा रीको इंडस्ट्री एरिआ व आसपास की फैक्ट्रियों को भुगतना पड़ रहा है। खारा गांव के ग्रामीण फैक्ट्रियां बंद करवाने के पक्ष में नहीं हैं। लेकिन इससे हाेने वाले वायु प्रदूषण का समाधान हाेना चाहिए।
ग्रामीण गजेसिंह का कहना है कि गांव की कुल आबादी के 40 प्रतिशत लोग बीमार हैं और हर घर में सांस और दमा के मरीज हैं। खारा गांव में पीओपी की फैक्ट्रियों के कारण वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के चीफ इंजीनियर प्रेमालाल ने अपनी टीम के साथ यहां 3 दिन तक हालात का जायजा लिया और अब सरकार को उसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी। उन्होंने भी माना कि पीएम-10 (पार्टिकुलेट मैटर) की मात्रा मानक से कई गुना तक ज्यादा पाई गई। आम दिनों में इसकी मात्रा 1528 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रही, जबकि मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। गांव के हर घर की छत पर जमी हुई बारीक पाउडर की परत साफ देखी जा सकती है। गांव के भंवरसिंह खारा का कहना है कि हमने हर जगह अपनी बात पहुंचा दी लेकिन जिम्मेदारों की आंख नहीं खुल रही हैं और अब हमें अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी। समय रहते यदि बात मान ली गई तो ठीक, नहीं तो आरपार की लड़ाई लड़ी जाएगी। ग्रामीण सुरेश पारीक कहते हैं कि यह समस्या अब हमारे लिए धीरे-धीरे बहुत गंभीर होती जा रही है।
एनजीटी के आदेश पर पीसीबी ने नियुक्त किया प्रतिनिधि
खारा गांव में वायु प्रदूषण का मामला एनजीटी में पहुंच गया है। एनजीटी के आदेश के बाद पाॅल्यूशन कंट्राेल बाेर्ड ने विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी राजकुमार मीणा काे जांच टीम के लिए प्रतिनिधि नियुक्त किया है। मीणा चूंकि शुरू से ही इस मामले काे देख रहे हैं। इसलिए तथ्यात्मक रिपाेर्ट तैयार करेंगे, जाे एनजीटी में पेश की जाएगी। दूसरी तरफ जिला कलेक्टर काे भी एक प्रतिनिधि नियुक्त करना है। हालांकि अभी तक कलेक्टर ने इस संबंध में काेई आदेश जारी नहीं किए हैं। हालांकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम के आने की सूचना के बाद यहां POP की सारी फैक्ट्रियां 3 दिन तक बंद रहीं। ग्राउंड रिपोर्ट पर लोगों से बात की तो लोगों का कहना था कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की टीम के सामने हालात सामान्य नजर आए।
फैक्ट्रियाें से राेज लगभग एक करोड़ लाख का प्राेडक्शन, अब ठप
खारा उद्याेग संघ के अध्यक्ष परविंद्र सिंह ने बताया कि औद्याेगिक क्षेत्र में मिनरल जाेन स्थित 40 सहित कुल 125से ज्यादा फैक्ट्रियाें से राेज औसत 20 टन के हिसाब से 2500 टन से ज्यादा का प्राेडक्शन हाेता था। औसत चार हजार रुपए टन की बिक्री के हिसाब से राेज का एक रुपए के पीओपी का प्राेडक्शन प्रभावित हुआ है। 15 दिन में प्राेडक्शन लाॅस लगभग 15 कराेड़ हाे गया है। हालांकि फैक्ट्रियाें में पड़ा माल ताे बिक गया, लेकिन अब नया नहीं बन रहाहै। बाहर के खरीदार अब दूसरे शहरों की तरफ मुहं कर रहें हैं।
पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण का गठन
केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर पर्यावरण समाघात निर्धारण प्राधिकरण का गठन किया है। इसमें रिटायर्ड आईएफएस अधिकारी मुनीश कुमार गर्ग अध्यक्ष, मनफूल सिंह सदस्य व पर्यावरण विभाग के सचिव सदस्य सचिव हाेंगे। राज्य में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम की पालना के लिए चार विशेष अंकल समितियाें काे भी गठन किया गया है। बीकानेर जिले के आईएफएस अधिकारी दयाराम सहारण काे विशेषज्ञ अंकल समिति-तीन का अध्यक्ष बनाया गया है।
प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए उद्यमियों ने लगाए उपकरण, बोर्ड ने नकारे
पाॅल्यूशन कंट्राेल बाेर्ड के चीफ इंजीनियर प्रेमालाल, अधीक्षण अभियंता दीपक सिंह का दल साेमवार काे बीकानेर पहुंचा। उन्हाेंने खारा औद्याेगिक क्षेत्र में पीओपी फैक्ट्रियाें का जायजा लिया। उद्यमियाें की ओर से लगाए गए पाेल्यूशन कंट्राेल के माॅड्यूल देखे, लेकिन वे बाेर्ड के पैरामीटर पर खरे नहीं उतरे। तीन फैक्ट्रियाें पर बाेर्ड के पैरामीटर पर उपकरण लगाए गए हैं। उन पर प्रयाेग अभी जारी है। प्रेमालाल ने बताया कि मंगलवार काे फिर से उन्हें माॅनिटर किया जाएगा। गाैरतलब है कि बाेर्ड का दल 20 दिन में तीसरी बार खारा आया है, लेकिन पाॅल्यूशन कंट्राेल करने के लिए किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सका।
प्रेमालाल, चीफ इंजीनियर, पाॅल्यूशन कंट्राेल बाेर्ड ने बताया कि “खारा में पीओपी की फैक्ट्रियाें से वायु प्रदूषण का मामला अब एनजीटी में पहुंच गया है। उद्यमियाें काे नियम कायदाें की जानकारी है फिर भी उन्हाेंने इसे राेकने के लिए सालाें से काेई उपाय नहीं किए। अब बाेर्ड के पैरामीटर अपनाने हाेंगे। हम माॅनिटर कर रहे हैं।”
परविंद्र सिंह, अध्यक्ष, खारा उद्याेग संघ के अनुसार “खारा में पीओपी की सभी फैक्ट्रियां 15 दिन से बंद हैं। आधे श्रमिक पलायन कर चुके हैं। ऐसे ही हालात रहे ताे फैक्ट्रियाें पर ताले लगाने की नाैबत आ जाएगी। कलेक्टर के कहने पर हम अंडर टेकिंग देने काे तैयार हैं, लेकिन पाॅल्यूशन बाेर्ड नहीं मान रहा है। पाॅल्यूशन कंट्राेल करने के हमारे माॅड्यूल नकारे जा रहे हैं।”
बदलते समय के साथ औद्योगिक विकास का पहिया चलना जरूरी है, लेकिन ऐसे विकास से यदि मानव जीवन के साथ खिलवाड़ हो या उसे खतरे में डाला जाए तो ऐसा विकास किस काम का? बीकानेर का पीओपी उद्योग भारी संकट का सामना कर रहा है परन्तु सत्ता पक्ष व विपक्ष के कोई भी राजनेता सामने आकर समस्या का हल निकलवाने का प्रयास नहीं कर रहें हैं।