बीकानेर की प्रथम देहदानी विदुषी शांति भंडारी बहिन जी सामाजिक सेवा, समर्पण तथा त्याग की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी


बीकानेर , 12 मई। आर्य समाज मंदिर, महर्षि दयानन्द मार्ग, बीकानेर में रविवार को देहदानी शांति भंडारी के जन्म शताब्दी समारोह जो आर्य समाज और स्काउट गाइड संगठन के सयुंक्त रूप से आयोजित था,अवसर पर उनकी वसीयत के मुख्य निष्पादन कर्ता एवं समारोह के अध्यक्ष अशोक कुमार खन्ना, सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता ने कहा कि बहिन जी सम्पूर्ण जीवन कर्तव्य निष्ठा, सामाजिक सेवा, समर्पण तथा त्याग की साक्षात् प्रतिमूर्ति थी। शांति भंडारी बीकानेर की प्रथम देहदानी थी। उन्होंने अपनी अर्जित अस्सी लाख से अधिक सम्पति स्काउट गाइड संगठन, बीकानेर, आर्य समाज, महर्षि दयानंद मार्ग, बीकानेर, स्थानीय विभिन्न सामाजिक संगठनों के अतिरिक्त वैदिक धर्म और संस्कृति के प्रचार प्रसार मे अजमेर, टँकारा, उदयपुर आदि संस्थाओ को समर्पित कर बेमिसाल कार्य किया।




मनोज तंवर, अध्यक्ष, शांति भंडारी स्मृति स्थायी कोष ने कहा कि शांति भंडारी बहिन जी के सम्पूर्ण जीवन और समाज सेवा के विभिन कार्यों के कारण ही स्मरण कर रहें हैं और इसी से व्यक्ति की यश और कीर्ति अमर रहती है। आर्य समाज के प्रधान महेश आर्य ने उनके वैदिक धर्म और आर्य समाज संबधी कार्यो का उल्लेख करते हुए , उनकी वसीयत द्वारा प्राप्त आठ लाख और दतक पुत्र सुशील द्वारा प्रदत दो लाख बारह हजार की राशि से उनकी स्मृति मे भव्य यज्ञ शाला बनाने का जिक्र करते हुए आभार व्यक्त किया। रामजस, सहायक संगठन आयुक्त ने उनसे प्राप्त राशि के स्थायी कोष से चलने वाले विभिन्न प्रकल्पों और प्रोत्साहनो का जिक्र करते हुवे दिए जाने वाले पुरुस्कारों
के बारे में बताया।


जसवंत राज पुरोहित ने पीपीटी के माध्यम से बहिन जी की सम्पूर्ण जीवनी बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुति देकर दर्शकों प्रभावित किया। शिवनाम सिंह, श्रीमती अमिता ने भी विचार प्रकट किये। गीतकार गौरी शंकर और श्रीमती राजकुमारी मारु की प्रस्तुति ने श्रोताओ को भाव विभोर किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ धर्मवीर गोम्बर दम्पति के यज्ञमानत्व और केसर मल के ब्रह्मतव मे यज्ञ से हुवा। स्काउट गाइड और आर्यसमाज के विशिष्ट कार्यकर्तावो को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन जसवंत राजपुरोहित ने और धन्यवाद ज्ञापन मंत्री भगवती प्रसाद सोनी ने किया। कार्यक्रम का समापन शांति पाठ के पश्चात वैदिक उद्घोषके साथ हुवा। तत्पश्चात यज्ञ शेष वितरण हुआ ।