अरमान नदीम की पुस्तक ‘‘सुकून’’ पर चर्चा आयोजित

लघुता में प्रभुता ही लघु कथा का मूल तत्व है – जोशी

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

 

बीकानेर , 28 जनवरी। अजित फाउण्डेशन द्वारा आयोजित पुस्तक चर्चा कार्यक्रम के तहत युवा कथाकार अरमान नदीम की पुस्तक ‘सुकून’ पर समीक्षा कार्यक्रम आयोजित हुआ।

mmtc
pop ronak

कार्यक्रम की अध्यक्ष्यता करते हुए कवयित्री एवं कथाकार आशा शर्मा ने कहा कि अरमान नदीम की लघु कथाओं पर आधारित सुकून पुस्तक में काफी विषयों पर कथाओं का रचाव किया गया है। लघु कथाओं में नए मुहावरों प्रयोग साफ तौर पर देखा जा सकता है। पुस्तक में भ्रष्टाचार, स्त्री विमर्श , अखबार आदि ऐसे कई जटिल विषयों को सहज एवं सरल भाषा में लिखा गया है। लेखक की लघुकथाएं प्रचलित मापदण्डों के अनुरूप खरी उतरती है।
मुख्य समीक्षक के रूप में युवा साहित्यकार एवं खेल समीक्षक मनीष जोशी ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ‘‘लघुता में प्रभुता’’ लघुकथा की मुख्य विशेषता है। यह विशेषता अरमान नदीम की पुस्तक ‘सुकून’ में स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। उन्होंने कहा कि अरमान नदीम की लघुकथाओं में परिपक्वता की झलक दिखाई देती है। अरमान ने इन कथाओं की परिकल्पना कोराना महामारी के समय की है इसलिए इसमें बहुत सी कथाओं में कोराना का जिक्र हुआ है।
पुस्तक के लेखक एवं कथाकार अरमान नदीम ने पुस्तक रचना की यात्रा को बताते हुए कहा कि पुस्तक रचने का सफर काफी दिलचस्प रहा, बहुत कुछ सीखने को मिला। मुझे लघु कथा लिखने की प्रेरणा परिवार में मिले साहित्यिक वातावरण से मिली।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

अरमान नदीम की पुस्तक ‘‘सुकून’’ पर चर्चा में उपस्थित साहित्यकार

कार्यक्रम संयोजक व्यंग्यकार एवं लेखक सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि पुस्तक चर्चा कार्यक्रम पुस्तक से जुड़े विविध आयामों की चर्चा पर आधारित होता है। जिसमें पुस्तक के विभिन्न पहलूओं पर अलग-अलग पाठकों के विचारों की अभिव्यक्ति होती है और लेखक को और अधिक अच्छा लिखने हेतु प्रेरित करती है।

संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने संस्था की गतिविधियों की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने पुस्तक चर्चा कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताते हुए कहा कि बीकानेर के लखकों द्वारा रचित पुस्तक पर चर्चा करने से पुस्तक में प्रकाशित रचनाएं आमजन तक पहुंचती है। साथ ही पुस्तक में क्या लिखा गया तथा और क्या जोड़ा जा सकता है इस पर सामूहिक मंथन हो जाता है।

पुस्तक परिचर्चा कार्यक्रम में इसरार हसन कादरी, डॉ. फारूक चौहान, जुगल किशोर पुरोहित, बाबूलाल छंगाणी, राजाराम स्वर्णकार, गिरिराज पारीक, गोविन्द जोशी ने पुस्तक के विभिन्न आयामों पर अपने विचार रखे।

कार्यक्रम के दौरान अरमान नदीम की माता श्रीमती तसनीम बानो ने कहा कि छोटी उम्र में साहित्य संस्कार से दिक्षित होना मेरे लिए हार्दिक प्रसन्नता का विषय है। इसी क्रम में ख्यातनाम साहित्यकार नदीम अहमद नदीम ने कहा कि साहित्यक विरासत को सहेज कर निरन्तर साहित्य कर्म से जुड़ा रहना भविष्य में अरमान के लिए बेहतर है।
कार्यक्रम के अंत में शिक्षाविद् डॉ. विजयशंकर आचार्य ने संस्था की तरफ से आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जीवन जीने के लिए ‘सुकून’ की आवश्यकता होती है, ‘सुकून’ अरमान पूरे होने पर ही मिलता है।

कार्यक्रम में मकसूद हसन कादरी, इमरोज नदीम, लियाकत अली, योगेन्द्र पुरोहित, शमसाद अली, रऊफ राठौड़, सुनील गज्जाणी, कासिम बीकानेरी, अल्लीह दीन निर्बान, अनुराग शर्मा, हषवर्द्धन सिंह सिद्धू,उपस्थित रहे।

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *