नालन्दा पब्लिक स्कूल एल्युमिनी मीट समारोह में पूर्व छात्रों ने किए रोचक अनुभव साझा किये 

बीकानेर,18 जून।  नालन्दा पब्लिक सी.सै. स्कूल में एल्युमिनी मीट समारोह का आयोजन किया गया इस समारोह के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार व राजस्थानी भाषा के आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा थे। एल्युमिनी मीट के दिन प्रात काल से ही सत्र 1999 से 2002 अध्ययनरत पूर्व छात्र/छात्राएं एकत्रित होने लगी और यह सब आपस में मिलकर एक दूसरे से अपनी पुरानी यादों को साझा करने लगे और अपने गिले शिकवा लोगो को सुनाकर अपनी भुलों को सुधारने का प्रयास भी किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार व राजस्थानी भाषा के आंदोलन प्रवर्तक कमल रंगा ने अपने उद्बोधन में कहा इतना अनुशासित उल्लासपूर्वक और विभिन्न गतिविधियों  से परिपूर्ण इस ऐतिहासिक समारोह का आयोजन शाला के पूर्व विद्यार्थियों द्वारा आयोजित करने पर आज ऐसा लग रहा है कि महान् साहित्यकार एवं शाला के संस्थापक लक्ष्मीनारायण रंगा ने जो संस्कार-शिक्षा अपने विद्यार्थियों को दी वह आज फलीभूत होती दिखाई दे रही है।
पूर्व छात्र/छात्राओं ने अपना परिचय दिया उसे देखकर ऐसा लग रहा है कि आज सारे विभाग एक ही छत के नीचे बैठे है क्योंकि इसमें कुछ विद्यार्थी प्रशासनिक सेवाओं में कई चिकित्सक, कोई सी.ए, सी.एस. तो कई सरकारी महाविद्यालयो में प्राध्यापक, अनेक अभियंता बनकर अपनी तकनीकी कुशलता का परिचय दे रहे है। कई अध्यापक, कुछ लोग बड़े-बडे एनजीओ चला रहे है। तो कई लोग निजी व्यवसाय चलाकर लोगों को रोजगार दे रहे है, तो कुछ महिलाएं विद्यार्थी तो रोड़वेज जैसे विभाग में लेखा सेवा में अपना लोहा मनवा रही है। और कुछ लोग होममेकर बनकर अपने घरों को सजा संवार रहे है।
पूर्व छात्र/छात्राओं ने अपने उद्बोधन में शाला संस्थापक लक्ष्मीनारायण रंगा, बडे़ सर की यादों को याद कर उनको अपने मानस पटल पर अंकित कर इस समारोह में साझा किया उन्होंने बताया कि बड़े सर ने शाला काल में जो शिक्षा के साथ-साथ हमें जो चारित्रिक संस्कार दिए उससे आज हमारा जीवन आलोकित है।
समारोह का आगाज भगवान गणेश, सरस्वती एवं लक्ष्मीनारायण रंगा के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्जवल तथा उनके द्वारा रचित बीकाणै की संस्कृति सबका साझा सिर दाऊजी मेरे देवता नौगजा मेरे पीर के साथ हुई और गणेश वंदना व मा सरस्वती की अराधना पूर्व छात्र इस्माईल खां द्वारा की गई।
इसके बाद एल्युमिनी मीट समारोह का प्रारंभ किय गया। मंच पर आकर सत्रवार सभी बच्चों ने अपना परिचय दिया। इस अवसर पर शाला में देश के विभिन्न क्षेत्रों कोलकाता, मुम्बई, अहमदाबाद, गुजरात, चैन्नई, दिल्ली, जयपुर से आकर इस एल्युमिनी मीट का आनंद लिया। इस दौरान शाला की पूर्व छात्रा कलकता निवासी प्रीति छंगाणी ने शाला के दौरान सीखा गया गीत ए मेरे वतन के लोगों को गाकर अपनी पुरानी यादें ताजा की।
शाला प्राचार्य राजेश रंगा ने अपने उद्बोधन में बच्चों से कहा कि आपने नालन्दा में एक नई परंपरा का आगाज ही नहीं किया है बल्कि एक इतिहास का पन्ना जोड़ दिया है। क्योंकि निजी स्कूल के इतिहास में यह पहला एल्युमिनी मीट समारोह हुआ है आपके एक बेहद ही उम्दा एवं भावनाओं से सरोबार को देखकर अन्य शालाओं में भी ऐसे समारोह को भी प्रारंभ किया होगा।
रंगा ने छात्र/छात्राओं ने जो शानदार समारोह का आयोजन किया उसकी भुरी-भुरी प्रशंसा की उन्होंने चारों  सत्रों के सभी विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया कि उन्होंने  जो सम्मान आज हम अध्यापकों व स्कूल को दिया है वह हमारे मानस पटल पर जीवन पर्यन्त कायम रहेगा।
सम्मानित होने वाले अध्यापकगणों ने कहा कि आपने दो दशक पूर्व अध्ययन किया लेकिन आपके संस्मरणों से लगता है कि स्कूल कालखंड का संस्मरण आपके मानस पटल पर वैसा का वैसा ही है। इस अवसर पर महावीर स्वामी ने कहा कि बडे़ सर कहा करते थे कि आप बच्चियों पर दोहरा दायित्व है एक ओर आपको परिवार को संभालना है आज के इस भौतिक युग में घर से बाहर जाकर नौकरी आदि भी करनी पडेगी। यह बात आज सत्य चरितार्थ हो रही है और महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़कर परिवार और शाला का नाम रोशन कर रही है।
बाल मुकन्द पुरोहित ने कहा आज इन पूर्व छात्र/छात्राओं को देखकर लगता है कि शाला ने जो संस्कार दिए है उनसे यह छात्र अपने हकों एवं अधिकारों के लिए बेहद संजिदा और जागरूक है। उन्होंने कहा कि हकों के लिए संघर्ष करना उतना ही जरूरी है जितना समाज में समरसता पैदा करने के लिए झुकना जरूरी है।
सम्मानित होने वाले सभी अध्यापक/अध्यापिकाओं ने छात्र/छात्राओं की इस नई परंपरा का अपने मुक्त कंठ से भुरी-भुरी प्रशंसा की और उन्होने कहा आज आप लोगों ने जिस प्रकार हम अध्यापकों को अपने ह्रदय में स्थान दिया है जो हमारे जीवन में हमेशा आलोकित रहेगा और अविस्मरणीय रहेगा। आप लोग अपने मन चाहे स्थान को प्राप्त करें। हमारा आर्शीवाद जीवन पर्यन्त आप लोगों के साथ ही रहेगा।
इस दौरान छात्र/छात्राओं ने अपनी गुरूजनों के साथ कई प्रकार के खेल खेलाए जिसमें बेलुन गेम, केट वॉक, म्युजिक चेयर तथा गीत संगीत आदि।
शाला प्राचार्य राजेश रंगा ने बताया कि इस समारोह की एक विशिष्टता यह भी रही कि पूर्व छात्र/छात्राओ ने अपने शाला काल में जिन अध्यापक/अध्यापिकाओ से पढा था उन सभी को प्रतिक चिह्न, नारियल और उपरना देकर सम्मानित करते हुए उनके साथ रही खट्टी-मिट्ठी यादों को साझा करते रहे।
bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *