काळी कळायण घातै घूमर……बिखेरै रंग आभै रै सतरंगै में…..बरसात पर केन्द्रित काव्य रसधारा बही

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बीकानेर, 27 जुलाई। प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ की ओर से अपनी मासिक साहित्यिक श्रृंखला ‘काव्य रंगत-शब्द संगत’ की तीसरी कड़ी का भव्य आयोजन नत्थूसर गेट के बाहर स्थित लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा की अध्यक्षता में हुआ। संस्था द्वारा बीकानेर की समृद्ध काव्य परंपरा में नवाचार करते हुए यह श्रृंखला वर्ष भर प्रकृति पर केन्द्रित विषय पर ही होगी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि ऐसे आयोजन के माध्यम से बीकानेर की हिन्दी, उर्दू और राजस्थानी भाषा की काव्य धारा को नए आयाम मिलते हैं। साथ ही भाषायी समन्वय को भी बल मिलता है।
मुख्य अतिथि वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूख चौहान ने कहा कि प्रज्ञालय संस्थान द्वारा जो दशकों से साहित्यिक नवाचार किए जा रहे हैं उससे बीकानेर की त्रिभाषा के साहित्य में  नई ऊंचाईयां स्थापित हुई है। इसके लिए संस्था एवं आयोजक साधुवाद के पात्र हैं।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने कहा कि यह तीसरी कड़ी बरसात पर केन्द्रित है। काव्य रंगत में बरसात की विभिन्न तरह से व्याख्या करते हुए कविता, गीत और गज़ल के माध्यम से काव्य की रंगत में बरसात की सौरभ फैली। अपनी काव्य रचना को प्रस्तुत करते हुए वरिष्ठ कवि कमल रंगा ने अपनी बरसात पर केन्द्रित कविता-‘काळी कळायण घातै घूमर/बिखेरै रंग आभै रे सतरंगै में…..’के माध्यम से  बरसात की नई व्याख्या की।
इसी क्रम में वरिष्ठ शायर जाकिर अदीब ने अपनी ताजा गज़ल-न जाने कौन सी थी दिलकशी बारिश …../न जाने कितनो के अरमान डूबो गई बारिश। इसी कड़ी में वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इन्द्रा व्यास ने ‘बादल मांय लूकियोड़ी बैठी….. कविता प्रस्तुत की तो वहीं वरिष्ठ शायर कासिम बीकानेरी ने ताजा गज़ल-कितना हसीन है मौसम /बरसात हो रही है…..के माध्यम से बरसात की छटा बिखेरी। कवि जुगल पुरोहित ने अपनी नव काव्य रचना -काले-काले बादल में/बरखा का डेरा है…..पेश कर बरसात की रंगत रखी। कवि विप्लव व्यास ने अपनी मधुर वाणी में अबै तो आव-….अबै तो आव सुन्दर गीत प्रस्तुत किया।
कवि डॉ. नृसिंह बिन्नाणी ने बारिश की अठखेलियां के माध्यम से बरसात का चितराण  प्रस्तुत किया। वहीं कवि कैलाश टाक ने अपनी नई रचना के माध्यम से -बरसात का पानी अमृत है प्रस्तुत कर बरसात के महत्व को रेखांकित किया। वरिष्ठ कवि लीलाधर सोनी ने सस्वर नव गीत की शानदार प्रस्तुति देते हुए बरसो-बरसो म्हारा राम….. की जानदार प्रस्तुति दी।
काव्य रंगत में बरसात के कई रंग कई छटाएं सामने आई, उसमें कवि गिरिराज पारीक ने अपनी बरसात पर केन्द्रित रचना बारिश है प्रकृति का उपहार …….के माध्यम से बरसात का महत्व उकेरा। कवि अब्दुल शकूर बीकाणवी ने बरसात के श्रृंगार का गीत प्रस्तुत किया। वहीं कवि ऋषि कुमार तंवर ने रिमझिम बरसे बरसात पेश की तो कवि शिव प्रकाश शर्मा ने वसुंधरा का मान बढ़ा दे कविता रखी। युवा कवि यशस्वी हर्ष ने अपनी नई गज़ल के माध्यम से बरसात पर केन्द्रित अपना शेर प्रस्तुत किया। इसी क्रम में कवि हरिकिशन व्यास ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में भवानी सिंह, हरिनारायण आचार्य, अशोक शर्मा, भैरूरतन रंगा, पुनीत कुमार रंगा, घनश्याम ओझा, तोलाराम सारण, अरूण व्यास सहित अनेक श्रोताओं ने बरसात पर केन्द्रित कविता, गीत और शायरी का भरपूर आनंद लिया।
कार्यक्रम का  सफल संचालन कवि गिरीराज पारीक ने किया। सभी का आभार संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने ज्ञापित किया।

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