अनशन पूर्वक शरीर की आसक्ति त्यागना बड़ी उपलब्धि

उमंग, उल्लास एवं सद्भावना के पर्व लोहड़ी की सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

श्रीमती मंजू देवी भंसाली की स्मृति सभा का आयोजन

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बीकानेर , 29 दिसंबर। तेरापंथ भवन गंगाशहर में संथारा साधिका श्रीमती मंजू देवी भंसाली की स्मृति सभा स्थानीय तेरापंथी सभा के अन्तर्गत मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी के सानिध्य में आयोजित की गई।

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मुनि श्री चैतन्य कुमार ‘अमन’ ने पारीवारिक जन एवं धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा – अनशन (संथारा) पूर्वक शरीर की आसक्ति त्यागना जीवन की बड़ी उपलब्धि है। हिम्मत, मनोबल, आत्मबल व संकल्पबल के बिना ऐसा संभव नही। प्रत्येक इंसान में शरीर के प्रति प्रगाढ़ आसक्ति भाव होता है। ऐसी स्थिति में उच्च भावों के बिना ऐसा करना संभव नहीं। संथारे में उच्च भावो की विशेष महत्ता होती है।

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भावो की उच्च श्रेणी में नश्वर शरीर का महत्व नहीं बल्कि भावना की प्रधानता होती है। उच्च भाव व्यक्ति को स्वर्गीय सुखों को देने वाले होते हैं। यहां तक उच्चभाव मोक्ष के सुखों को भी देने वाले होते हैं। भय और प्रलोभन से मुक्त सहज और समत्व भाव से किया गया संथारा सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है। तेरापंथ धर्मसंघ में अनेक श्रावक श्राविकाओं ने दीर्घतपस्या एवम् संथारे किये है। तेरापंथ धर्मसंघ में अनेक साधु-साध्वियों ने अन्तिम समय में संथारा संलेखना स्वीकार कर जीवन की इतिश्री की है।

इस अवसर पर पीहरपक्ष सेठिया परिवार से श्रद्धा समर्पित की गई। सभाध्यक्ष अमरचन्द सोनी, महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती संजू लालानी, भंसाली परिवार से पूजा, पूनम भंसाली मोहनलाल भंसाली ने अपनी भावनाएं प्रस्तुत की।

मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने परिवार को सम्बल प्रदान करते मधुर गीत का संगान किया। लोगस्स के सामुहिक संगान के साथ बहिन को श्रद्धाजंलि समर्पित की गई। कार्यक्रम का संचालन सभा मंत्री रतनलाल छलाणी ने किया। तोलाराम सामसुखा ने आचार्यश्री महाश्रमण जी के संदेश का वाचन किया ।

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