पार्लियामेंट्री कमेटी की सिफारिश- महुआ मोइत्रा की सांसदी खत्म करें

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500 पन्नों की रिपोर्ट में TMC सांसद के काम को आपत्तिजनक और अनैतिक बताया


नयी दिल्ली , 9 नवम्बर।
महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश फॉर क्वेरी के आरोपों की जांच कर रही पार्लियामेंट्री कमेटी ने उनकी सांसदी खत्म करने की सिफारिश की है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- 500 पन्नों की रिपोर्ट में कमेटी ने महुआ मोइत्रा के कार्यों को अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक बताया। कमेटी ने TMC सांसद के लिए कड़ी सजा की मांग की है।
कमेटी में चेयरमैन समेत कुल 15 सदस्य हैं. कमेटी में बीजेपी के 7 सदस्य हैं. महुआ मोइत्रा घूसकांड मामले में जांच रिपोर्ट के पक्ष में परनीत कौर (कांग्रेस), हेमंत गोडसे (शिवसेना), सुमेधानंद (बीजेपी), अपराजिता सारंगी (बीजेपी), राजदीप रॉय (बीजेपी) और विनोद कुमार सोनकर (बीजेपी और चेयरमैन) ने वोट किए.

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एथिक्स कमेटी में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया।
महुआ मोइत्रा के खिलाफ प्रस्ताव पर पक्ष में छह सांसदों ने वोट किया। वहीं, प्रस्ताव पर विपक्ष में वोट डालने वाले सदस्यों की संख्या 4 रही। खास बात रही कि कांग्रेस की सांसद परनीत कौर ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया। कमेटी ने अपने प्रस्ताव में महुआ को सांसद के रूप में निष्कासित करने की सिफारिश की है।
बैठक के बाद सोनकर ने कहा कि समिति के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को स्वीकार करने का समर्थन किया और चार ने इसका विरोध किया। सूत्रों ने बताया कि समिति ने मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश की है। अब रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भेजी जाएगी। इससे पहले मीडिया रिपोर्ट के हवाले से कहा गया था कि मोइत्रा के खिलाफ लगे ‘रिश्वत लेकर प्रश्न पूछने संबंधी आरोपों की जांच कर रही लोकसभा की आचार समिति राष्ट्रीय सुरक्षा पर ‘अनैतिक आचरण का असर पड़ने के आधार पर उन्हें संसद के निचले सदन से निष्कासित करने की सिफारिश कर सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया था कि मसौदा रिपोर्ट में मोइत्रा के आचरण की निंदा की गई है। इसे ‘अत्यधिक आपत्तिजनक, अनैतिक, जघन्य और आपराधिक’ बताया गया है। साथ ही सरकार से मामले में समयबद्ध कानूनी और संस्थागत जांच का भी आह्वान किया गया है। एथिक्स कमेटी में कुल 15 सदस्य हैं। समिति में बीजेपी के सात, कांग्रेस के तीन और बसपा, शिवसेना, YSR कांग्रेस पार्टी, सीपीएम और जदयू के एक-एक सदस्य शामिल हैं।

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महुआ के खिलाफ क्या थी शिकायत?
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मोइत्रा के खिलाफ शिकायत की थी। उन्होंने मोइत्रा पर उपहार के बदले व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी के इशारे पर अडाणी समूह को निशाना बनाने के लिए लोकसभा में सवाल पूछने का आरोप लगाया था। इससे पहले 2 नवंबर को समिति की बैठक में मौजूद सभी पांच विपक्षी सदस्य यह आरोप लगाते हुए बैठक से बाहर चले गए थे कि सोनकर ने मोइत्रा की यात्रा, होटल में ठहरने और टेलीफोन पर बात करने के संबंध में उनसे व्यक्तिगत एवं अशोभनीय प्रश्न पूछे थे।
महुआ ने स्वीकार की थी लॉग-इन देने की बात
मोइत्रा ने स्वीकार किया है कि हीरानंदानी ने उनके लॉगिन का उपयोग किया। हालांकि, उन्होंने किसी तरह के आर्थिक लाभ हासिल करने के आरोप खारिज किए हैं। टीएमसी सांसद का कहना है कि अधिकतर सांसद अपने लॉगिन का विवरण दूसरों के साथ साझा करते हैं।

उधर, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने दावा किया कि महुआ मोइत्रा पर लगे आरोपी की जांच अब CBI कर सकती है। निशिकांत दुबे ने बुधवार को X पर लिखा- लोकपाल ने आज मेरे कम्प्लेन पर आरोपी सांसद महुआ जी के राष्ट्रीय सुरक्षा को गिरवी रखकर भ्रष्टाचार करने पर CBI इन्क्वायरी का आदेश दिया है।
इधर, निशिकांत दुबे की पोस्ट के 40 मिनट बाद महुआ ने सोशल मीडिया हैंडल पर लिखा- CBI पहले 13 हजार करोड़ रुपए के कोयला घोटाले में अडाणी पर FIR करे।
राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा यह है कि कैसे संदिग्ध FPI स्वामित्व वाली (चीनी और संयुक्त अरब अमीरात सहित) अडाणी की कंपनियां गृह मंत्रालय से क्लियरेंस के बाद पोर्ट-एयरपोर्ट खरीद रही हैं।
महुआ ने लिखा- पहले CBI मेरे इन दो सवालों का जवाब दे। इसके बाद वह मेरे घर आए और मेरे जूते गिन ले।

क्या लोकपाल को सिर्फ मेरे केस के लिए जिंदा किया गया है। गंभीर सवाल यह है कि कितने पत्रकारों को यह भी पता था कि मोदी के भारत में एक लोकपाल भी काम कर रहा है? इस केस में नई जांच जोक पाल से कम नहीं है।

यह जानकर बहुत खुशी हुई कि मोदीजी का लोकपाल अस्तित्व में है। कुछ चुनिंदा लोगों को इसके बारे में जानकारी कैसे मिली। लोकपाल ऑफिस ने बयान जारी क्यों नहीं किया?

संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने के केस में अब तक क्या हुआ…

5 पॉइंट में पूरा मामला समझें…

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने आरोप लगाए थे कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफे लिए थे। इस मामले को स्पीकर ने एथिक्स कमेटी को भेज दिया।

निशिकांत ने 21 अक्टूबर को महुआ पर एक और गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा- कुछ पैसों के लिए एक सांसद ने देश की सुरक्षा को गिरवी रख दिया। मैंने इसे लेकर लोकपाल से शिकायत की है।
उन्होंने कहा कि दुबई से संसद की ID खोली गई, जबकि उस वक्त वे कथित सांसद भारत में ही थीं। इस नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) पर पूरी भारत सरकार है। देश के प्रधानमंत्री, वित्त विभाग, केंद्रीय एजेंसी यहां हैं। क्या अब भी TMC और विपक्षी दलों को राजनीति करनी है। निर्णय जनता का है। NIC ने यह जानकारी जांच एजेंसी को दे दी है।
एथिक्स कमेटी ने 27 अक्टूबर को महुआ को समन भेजा और 31 अक्टूबर को सुबह 11 बजे कमेटी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। महुआ ने इसी दिन एथिक्स कमेटी को लिखा था कि वे 5 नवंबर के बाद ही मौजूद हो पाएंगी। 28 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी ने महुआ को 2 नवंबर को पेश होने को कहा।
6 नवंबर को महुआ ने दावा किया कि 7 नवंबर को होने वाली लोकसभा की एथिक्स कमेटी की बैठक इसलिए स्थगित की गई ताकि कमेटी के मेंबर कांग्रेस सांसदों को कार्यवाही से दूर रखा जा सके।
दरअसल, महुआ पर लगे आरोपों की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने के लिए मंगलवार को समिति की बैठक होनी थी। यह बैठक अब 9 नवंबर को होगी। महुआ ने यह भी आरोप लगाया कि मसौदे की रिपोर्ट सदस्यों को अभी तक नहीं दी गई है।

दरअसल, महुआ पर लगे आरोपों की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने के लिए मंगलवार को समिति की बैठक होनी थी। यह बैठक अब 9 नवंबर को हुयी । महुआ ने यह भी आरोप लगाया कि मसौदे की रिपोर्ट सदस्यों को अभी तक नहीं दी गई है।

एथिक्स कमेटी में पूछताछ, बायकॉट और उसके बाद महुआ के बयान…

1. कमेटी का नाम बदल देना चाहिए, क्योंकि इसमें नैतिकता नहीं बची: महुआ ने कहा- समिति को एथिक्स कमेटी (आचार समिति) के बजाय कोई अन्य नाम देना चाहिए, क्योंकि इसमें कोई नैतिकता नहीं बची है। चेयरमैन ने दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक तरीके से सवाल किए। वहां मौजूद 11 में से 5 सदस्यों ने पूछताछ

2. महुआ ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को लेटर लिखा: इस चिट्‌ठी में चेयरमैन विनोद सोनकर का बर्ताव अनैतिक, घिनौना और पूर्वाग्रह से भरा बताया। महुआ ने ये अनुरोध भी किया कि पोर्टल के लॉगिन और पासवर्ड को साझा करने वाले नियमों का खुलासा करें। ये कभी सांसदों को क्यों नहीं बताए जाते। यदि वे (नियम) थे तो हरेक सांसद इस ID और लॉगिन को कई लोगों के साथ साझा क्यों कर रहा है?

3. मेरी गरिमा को तार-तार करने वाले प्रश्न पूछे : मैंने बार-बार विरोध जताया, ये कार्यवाही के रिकॉर्ड में है। एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष मुझसे मुद्दे से संबंधित प्रासंगिक कोई भी सवाल जैसे लॉगिन, गिफ्ट लेने के आरोप…लेकिन इन पर कोई प्रश्न नहीं हुआ। एक महिला के रूप में मेरी गरिमा को तार-तार करने वाले व्यक्तिगत सवाल पूछे गए।

4. ‘चेयरमैन पूछते हैं- रात में किससे बात करती हैं’ : महुआ मोइत्रा, दानिश अली और अन्य विपक्षी सांसद भड़कते हुए गुरुवार दोपहर 3:35 बजे एथिक्स कमेटी के दफ्तर से बाहर निकले। जब इनसे गुस्से का कारण पूछा गया तो दानिश अली बोले- चेयरमैन पूछ रहे हैं कि रात में किससे बात करती हैं, क्या बात करती हैं। ये कैसी एथिक्स कमेटी है, जो अनैतिक सवाल पूछ रही है।

थार एक्सप्रेस
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