विश्व कविता दिवस पर काव्य गोष्ठी का आयोजन

shreecreates

मनुष्यता और नैतिकता का प्रसार साहित्य की भावना होनी चाहिए: जोशी

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl
DIGITAL MARKETING
SETH TOLARAM BAFANA ACADMY

बीकानेर, 21 मार्च। सादूल राजस्‍थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट बीकानेर के तत्वावधान में विश्व साहित्य दिवस के अवसर पर काव्य गोष्ठी का आयोजन गुरुवार को अम्बेडकर सर्किल स्थित हर्ष लेबोरेट्री में आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की एवं कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवियत्री डाॅ.बसंती हर्ष थी। इस अवसर पर अध्यक्षीय उद्बोधन में राजेन्द्र जोशी ने कहा मनुष्यता और नैतिकता का प्रसार साहित्य की भावना होनी चाहिए , जोशी ने कहा कि साहित्य में मानवतावाद और विवेकबुद्धि की बात बखूबी होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि साहित्य समाज का दर्पण तभी हो सकता है जब संवेदनात्मक साहित्य सृजन हो।

pop ronak

कवि- कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि ऐसे समय जब मनुष्यता के खिलाफ पूरी दुनिया-भर में चल रही साजिश को कविता सजग रहने और हर कौण पर बेनकाब कर सकती है, जोशी ने कहा कि समाज के खिलाफ साजिश के विरुद्ध आज की कविताओं में कवि की पीड़ा को पढ़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व कविता दिवस के अवसर पर पढी गई कविताएं जीवन से जुड़ी हुई है।
संयोजकीय व्यक्तव्य में साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने कहा कि कवि के हृदय में शब्द के प्रति एक अखंड, अविरल और एकनिष्ठ आस्था का भाव है। इनके लिए कविता विचारों का अलंकरण न होकर एक ऐसा अहसास है जिसमें जीवन राग का स्पंदन और मौलिकता की कस्तूरी बंद है। स्वर्णकार ने अपनी रचनाओं-मिलन ऋतु आई है / म्हारी कविता अन्यावां सूं भचभेड़ा कर आगे आवै चिन्नी सी नीं घबरावै, भूंडी कुचमादी सत्तावां रा विषदंत उखाड़े दे धंधूणी पटक पछाडै म्हारी कविता सुनाकर तालियां बटोरी।
वरिष्ठ कवयित्री गीतकार मनीषा आर्य सोनी ने भावपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत करते हुए मेरे घर आओ श्याम देखो मुझे सुबह-शाम, कैसे मैंने जीवन की लड़ी ये लड़ाई है और होली के मौसम में बदले कितने-कितने रंग पिया के साथ आ खेलें यादों के फाग सखी गीतों का शानदार प्रस्तुतीकरण दिया।

विश्व कविता दिवस के अवसर पर युवा कवि कैलाश टाक ने  ख़ून ने खोलना बंद कर दिया / जुबां ने सच बोलना बंद कर दिया / बिगड़ा जो दिल का तराजू/ दिल ने सच तोलना बंद कर दिया, जैसी महत्वपूर्ण रचना प्रस्तुत की।

काव्य गोष्ठी में डाॅ. कृष्णा आचार्य ने सरस्वती वंदना के साथ ही आगाज करते हुए अपनी भावपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत की। अब्दुल शकूर बीकणवी ने- म्हनै सुरसत री ओल्यूं आवै म्हारो मनडो हबीड़ा खावै सुनाई। इस अवसर पर कवि जुगल किशोर पुरोहित, डाॅ. बसंती हर्ष ने विश्व कविता दिवस के अवसर पर अपनी कविताएं प्रस्तुत की। काव्य गोष्ठी में वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ.एस.एन. हर्ष, ऋषि अग्रवाल, विमल शर्मा ने भी विचार रखे। व्यंग्यकार-सम्पादक डॉ. अजय जोशी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *