तीन साहित्यकारों सहित बीकानेर के रवि पुरोहित डूंडलोद में सम्मानित

khamat khamana

डीवीपी में साहित्य संगोष्ठी एवं साहित्यकार सम्मान समारोह सम्पन्न

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

बीकानेर , 28 नवम्बर। राजस्थानी-हिन्दी के कवि-कथाकार-समालोचक रवि पुरोहित को डूंडलोद विद्यापीठ के 27 वें वर्ष के अवसर पर आयोजित भव्य समारोह में उल्लेखनीय साहित्यिक अवदान के लिए सम्मानित किया गया।
डॉ. हेतु भारद्वाज के मुख्य आतिथ्य में आयोजित समारोह की अध्यक्षता शिक्षाविद् डॉ के डी यादव ने की। आर पी पोद्दार फाउण्डेशन के ट्रस्टी कैलाश पोद्दार एवं डीवीपी के पैटर्न मेम्बर योगेन्द्र रमाकांत शर्मा बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे।

pop ronak

इस अवसर पर साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए बीकानेर के रवि पुरोहित को रमाकांत केशवदेव शर्मा -शारदा रमाकांत शर्मा स्मृति साहित्य प्रतिभा पुरस्कार, जयपुर के राजाराम भादू, जयपुर को, केशवदेव शर्मा एवं रूकमणि देवी शर्मा स्मृति साहित्य प्रतिभा पुरस्कार, रजनी मोरवाल, जयपुर को एवं मानद मेजर रामप्रसाद पोद्दार स्मृति साहित्य प्रतिभा पुरस्कार रवि पुरोहित, बीकानेर को से सम्मानित किया गया। सम्मानित साहित्यकारों को शॉल, रजत श्रीफल, प्रतीक चिन्ह , अभिनन्दन पत्र एवं इक्कीस हजार रूपयें की नकद राशि सम्मानस्वरूप दी गई।

CHHAJER GRAPHIS

सतीशचन्द्र कर्नाटक, मुकेश पारीक एवं डॉ. अनिल शर्मा ने साहित्यकारों को दिये गये अभिनन्दन पत्र का वाचन किया। इस अवसर पर ‘पाठ्यक्रम बदलाव की प्रक्रिया-साहित्यिक परिप्रेक्ष्य में‘ विषय पर साहित्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया। रवि पुरोहित ने सम्मान के प्रति आभार प्रकट करते हुए अपनी साहित्य यात्रा के रोचक अनुभव साझा किये। उन्होंने डूंडलोद विद्यापीठ जैसी ग्रामीण अंचल की अंग्रेजी माध्यम की स्कूल में शिक्षा के साथ साथ साहित्यकारों के सम्मान जैसे आयोजन को अनूठा एवम् अनुकरणीय बताया और विषय पर अपना मत रखते हुए कहा कि साहित्य का पाठ्यक्रम में समावेशन छात्रों को मशीनी युग में भी संवेदनशील बनाए रखता है।

मुख्य वक्ता के रूप में संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय भोपाल के सहायक आचार्य डॉ सुभाषचन्द्र ने कहा कि पाठ्यक्रम विधार्थियों के व्यक्तित्व निर्माण का अहम भाग होता है। उन्होनें कहा कि सहज,सरल और रूचिकर साहित्यिक रचनाओं को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए ताकि विद्यार्थियों में शिक्षा के साथ-साथ साहित्य के प्रति भी रूचि जागृृत हो सके। उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम निर्माण बहुत ही गंभीर प्रक्रिया है जिसके दौरान छात्रों और अध्यापकों दोनों के मनौविज्ञान को ध्यान में रखा जाना चाहिए।

मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में डॉ. हेतु भारद्वाज ने कहा कि पाठ्यक्रम में वही सामग्री शामिल की जानी चाहिए जो छात्रों में मानवता के भाव को विकसित करे। उन्होनें कहा कि साहित्य के शब्दो में असीम ताकत होती है जिनके भाव पाठक को अंदर तक प्रभावित करते हैं इसलिए सबको जोड़ने वाली और सर्वसमाज का हित साधने वाले सामग्री पाठयक्रम में शामिल होनी चाहिए। इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभांरभ किया। डीवीपी के छात्रों ने सरस्वती वंदना एवं स्वागत गान पेश किया।

संस्था सचिव मुकेश पारीक, प्राचार्य सतीशचन्द्र कर्नाटक, संयुक्त सचिव सीताराम जीनगर, कोषाध्यक्ष हरिराम बेडिया, प्रबंध समिति के महेश भूत, हुसैन खान, कृष्णा दिवाकर शर्मा एवं जितेन्द्र रमाकांत शर्मा ने सुमनमाल से अतिथियों का स्वागत किया। संचालन डॉ अनिल शर्मा ने किया। इस अवसर पर मंगल मोरवाल, श्याम महर्षि डूंगरगढ, श्रीकांत पारीक, रमाकांत सोनी, मुकेश मारवाडी, हाजी गफूर सिक्का, रफीक सिक्का, सहीराम कुमावत, सृष्टी शर्मा, सत्तू सिंह उदावत, मोहम्मद सलीम मुगल एवं धर्मपाल शास्त्री सहित बडी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित थे। डीवीपी सचिव मुकेश पारीक ने स्वागत भाषण दिया तथा प्राचार्य सतीशचन्द्र कर्नाटक ने आभार प्रकट किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *