जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के श्रावक-श्राविकाओं ने तपस्याएं, सामायिक,प्रतिक्रमण व पौषध करके सम्वत्सरी मनाई

  • कल्पसूत्र का मूल पाठ ’’बारासा सूत्र’’ की वांचना

बीकानेर, 7 सितम्बर। जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ के आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी, मुनि व साध्वीवृंद के सान्निध्य में शनिवार को संवत्सरि महापर्व जैन धर्म के प्रमुख ग्रंथ ’’कल्पसूत्र’’ के मूल पाठ ’’बारासा सूत्र’’को प्राकृत भाषा में वांचना की गई।

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’’बारासा’ सूत्र को इंद्रचंद, वीरचंद, मालचंद व किरण देवी बेगानी परिवार ने आचार्यश्री को वंदना के बाद वांचना के लिए सौंपने का धर्मलाभ लिया। बेगानी चौक से ढढ्ढा चौक तक गाजे बाजे से ’’बारासा सूत्र’’ लाया गया। अनेक श्रावक-श्राविकाओं ने सामायिक, प्रतिक्रणम व पौषध उपवास,एकासना सहित विभिन्न तपस्याओं के साथ मनाया गया।

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’’मिच्छामी दुक्कड़म’’
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के संरक्षक पवन पारख, अध्यक्ष संदीप मुसरफ व मंत्री मनीष नाहटा ने चातुर्मासकाल के दौरान हुई भूलों व कमियों के लिए श्रावक-श्राविकाओं से क्षमा याचना की तथा बीकानेर में पहली बार आचार्यश्री सहित 18 मुनियों व 5 साध्विंयों के वर्षों बाद होने वाले धार्मिक-आध्यात्मिक कार्यक्रमों देव,गुरु व धर्म में समर्पण रखते हुए सक्रिय भागीदारी निभाने की अपील की।

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श्रावक-श्राविकाओं व श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट व श्री जिनेश्वर युवक परिषद के सदस्यों व पदाधिकारियों ने प्रतिक्रमण करते हुए साल में किए गए पाप और कटू वचन से किसी जाने-अनजाने में किसी को ठेस पहुंची है तो ’’मिच्छामी दुक्कड़म’’ कहकर हाथ जोड़कर मन, वचन व काया से तमाम जीवों से क्षमा याचना की।

विभिन्न तपस्याओं की अनुमोदना व पारणा रविवार को
आचार्यश्री जिन पीयूष सागर सूरीश्वरजी के सान्निध्य में बिना अन्न जल 48 दिन की शनिवार को पूर्ण करने वाले वरिष्ठ श्रावक कन्हैयालाल भुगड़ी, मासखमण तपस्वी रौनक बरड़िया सहित एक से 15 दिन की तपस्याएं करने वालों की तपस्याओं की अनुमोदना की गई। पर्युषण पर्व के दौरान उपवास, बेला, तेला, चोला, पंचोला, अट्ठाई करने वाले अनेक श्रावक-श्राविकाओं का पारणा रविवार को सुबह महावीर भवन में होगा। तपस्याएं करने वालों में बालक भीनव नाहटा सहित अनेक बच्चों ने भी पहली बार अट्ठाई (7-8 दिन) की तपस्याएं की जिन शासन में श्रद्धा व दृढ़ आत्मबल व संकल्पबल का उदाहरण प्रस्तुत किया।

चैत्य परिपाटी में जिनालयांं में दर्शन-वंदन
आचार्यश्री के नेतृत्व में मुनि, साध्वी, श्रावक-श्राविकाओं के चतुर्विद संघ ने चैत्य परिपाटी की परम्परा का निर्वहन करते हुए गाजे बाजे के साथ जिनालयों में दर्शन वंदन किए। ढढ्ढों के चौक से रवाना हुआ चैत्य परिपाटी की शोभायात्रा रांगड़ी चौक के श्री सुगनजी महाराज का उपासरा के आगे से होते हुए नाहटा चौक के प्राचीन भगवान आदिश्वर मंदिर, भुजिया बाजार के श्री चिंतामणि जैन मंदिर में दर्शन करते हुए वापस ढढ्ढों के चौक में पहुंचकर संपन्न हुआ। अक्षय निधि तपस्वी प्रतिभा बेगानी सिर पर कलश लिए हुए थीं वहीं श्राविकाएं मंगल भजन गाते हुए चल रहीं थीं।

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