जयपुर के सौरभ श्रीवास्तव बीकानेर में प्रस्तुत करेंगे नाटक “अंधेरे रोशनी के”

बीकानेर ,27 सितंबर। विरासत संवर्धन संस्थान के तत्वावधान में दिनांक 01 अक्टूबर 2023, रविवार को सायं 07 बजे से टी.एम. ऑडिटोरियम, बीकानेर में “अँधेरे रोशनी के” नाटक का मंचन “गन्धर्व थियेटर, जयपुर” द्वारा सौरभ श्रीवास्तव के निर्देशन में किया जाएगा।

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

विरासत संवर्द्धन संस्थान के संस्थापक टी एम लालाणी ने बताया कि “अँधेरे रोशनी के” अंग्रेज़ी के एक प्रसिद्ध नाटक ‘गैसलाइट’ का हिन्दी रूपान्तरण है, सन् 1938 में पैट्रिक हैमिल्टन ने इसे लिखा और फिर 1940 में ब्रिटेन में तथा 1944 में हाॅलीवुड में इस स्क्रिप्ट पर आधारित फ़िल्में भी बनीं और हाॅलीवुड में बनी फ़िल्म को दो ऑस्कर अवार्ड भी मिले।

mmtc
pop ronak


संस्था के उपाध्यक्ष कामेश्वर प्रसाद सहल ने निर्देशक व अभिनेता सौरभ श्रीवास्तव का परिचय देते हुए बताया कि सौरभ श्रीवास्तव भारतीय पुलिस सेवा में साल 1991 बैच के अधिकारी रहे. भारतीय पुलिस सेवा के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी डीजी(महानिदेशक) रहने के साथ दिल से एक उम्दा कलाकार भी है।
उत्तर प्रदेश के बनारस शहर के रहने वाले एडीजी सौरभ श्रीवास्तव कॉलेज के दिनों से ही थियेटर से जुड़े रहे तथा इलाहाबाद, लखनऊ और कानपुर में शिक्षा के साथ रंगमंच पर भी सक्रिय रहे।
इसी साल सेवानिवृत्त होने के बाद वह पूरी तरह से रंगमंच को समर्पित होकर रंगप्रेमियों को भी अपनी कला से सराबोर कर रहे हैं ।

khaosa image changed
CHHAJER GRAPHIS

संस्था के कोषाध्यक्ष ने बताया कि नाटक के हिन्दी रूपान्तरकार सौरभ श्रीवास्तव ने इसकी कहानी में कोई विशेष परिवर्तन किये बिना ही इस नाटक को हिन्दुस्तानी पृष्ठभूमि और भारतीय सामाजिक- सांस्कृतिक परिवेश में ढाला है।
यह नाटक एक मनोवैज्ञानिक रहस्य गाथा की तरह है जिसमें काफ़ी ‘सस्पेन्स’ बना रहता है तथा घटनाएं घटित होती चलती हैं और रहस्य पर रहस्य खुलते जाते हैं ।
आज के समय में अंग्रेज़ी के शब्द ‘गैसलाइट’ का एक अर्थ यह भी होता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को लंबे अरसे तक मानसिक और मनोवैज्ञानिक रूप से इस प्रकार प्रताड़ित करे कि पीड़ित व्यक्ति अपना आत्मविश्वास ही खो बैठे और ख़ुद को पागल समझने लगे।
लेकिन इस नाटक के लिखे जाने से पहले ‘गैसलाइट’ शब्द का यह मनोविज्ञान की परिभाषा वाला अर्थ अस्तित्व में ही नहीं था ।
तब इस शब्द का एक साधारण सा अर्थ था गैस से जलने वाली रोशनी, पेट्रोमैक्स या पंचलाइट ।
इस नाटक के कथानक और इसके शीर्षक “गैसलाइट” ने अंग्रेज़ी भाषा को यह नयी मनोवैज्ञानिक पारिभाषिक शब्दावली दी – ‘टु गैसलाइट’ या ‘गैसलाइटिंग’…..

संस्था के महामंत्री भैरवप्रसाद कथक ने जानकारी दी कि सौरभ श्रीवास्तव के इससे पहले बीकानेर में कई नाटक मंचित हो चुके है। जिनमे एक एक्टर की मौत, मायने गंभीर होने के प्रमुख रहे है।

bhikharam chandmal

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *