नाल गांव के पद्म प्रभु मंदिर में स्नात्र पूजा महोत्सव

बीकानेर, 14 अप्रैल। श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के तत्वावधान में रविवार को नाल बड़ी गांव स्थित दादाबाड़ी परिसर के करीब 250 वर्ष प्राचीन छठे तीर्थंकर पद्म प्रभु, बीसवें तीर्थंकर परमात्मा मुनिव्रत स्वामी की करीब 500 वर्ष प्राचीन मुलतान पाकिस्तान से लाकर स्थापित प्रतिमा व दादा कुशल कुशल गुरुदेव के मंदिर में खरतरगच्छ ज्ञान वाटिका के बच्चे भक्ति गीतों के साथ सामूहिक स्नात्र श्रद्धा व भाव से पूजा की।
श्री चिंतामणि जैन मंदिर प्रन्यास के अध्यक्ष निर्मल धारीवाल ने बताया कि ज्ञान वाटिका की श्रीमती सुनीता नाहटा, रविवारीय जिनालय दर्शन पूजा व चैत्यवंदन अभियान के समन्वयक पवनजी खजांची व ज्ञानजी सेठिया के नेतृत्व में पूजा की गई। पूजा में बच्चों के साथ उनके अभिभावकों व कई युवाओं ने हिस्सा लिया। मंदिरों को स्वच्छ व साफ सुथरा कर युवा पंकज गुलगुलिया, अरिहंत नाहटा, रौनक बरड़िया ने पक्षाल व पूजा करवाई। ज्ञान वाटिका के बच्चों ने 24 तीर्थंकरों के जन्म कल्याणक भक्ति गीतों के साथ मनाया । शांति कलश स्थापित कर सबके मंगलमय जीवन की कामना की।

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उन्होंने बताया कि मनन मुस्कान नाहटा, भाव्या, यश बोथरा, तनिषा सेठिया, आकांक्षा बैद ने चैत्यवंदन, शांति कलश का पूजन करवाया। पूजा में हिस्सा लेने वाले बच्चों का सुश्रावक राजेन्द्र, लीला देवी नाहटा, भागचंद, नवरतन सुराणा ने कलम आदि की प्रभावना से सम्मानित किया। नवंकारसी का लाभ सुश्रावक सुधीर, मनीष, सोनू,लव-कुश, रूपचंद व सुरेन्द्र बोथरा ने लिया।

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उदयरामसर के देवी आशापुरा मंदिर में भक्तिसंगीत संध्या 15 अप्रैल

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बीकानेर, 14 अप्रैल। उदयरामसर के श्री कुंथूनाथ जैन श्वेताम्बर एवं देवी आशापुरा मंदिर में चल रहे नवरात्रा महोत्सव के तहत 15 अप्रेल सोमवार को भक्ति संध्या का आयोजन शाम साढ़े सात बजे किया जाएगा।

आयोजन से जुड़े सुश्रावक सुरेश भंडारी ने बताया कि मंगलवार को सुबह दस बजे नवचंडी महायज्ञ, उसके बाद कन्या पूजन व महाप्रसाद का आयोजन होगा। मंदिर में प्रथम नवरात्रा से ही विशेष श्रृंगार, भोग व आरती के अनुष्ठान चल रहे है। भजन संध्या में श्रीडू्रगरगढ़ तहसील के दूलरासर के पितराम जोशी व शकील भाई के एजाज म्यूजिकल ग्रुप भजन प्रस्तुत करेगा। श्री जैन कुंथूनाथ मंदिर ट्रस्ट के साथ बीकानेर, गंगाशहर, भीनासर, उदयरामसर सहित आस पास के गांवों के बोथरा, भंडारी, डागा, दस्साणी, बच्छावत जैन परिवारों के साथ राजपूत, ब्राह्मण, माहेश्वरी व सुनार आदि जाति समुदाय के श्रद्धालु दर्शन करने पहुंच रहे है।

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